ETV Bharat / city

रायपुर में अनाथों को गोद लेने के लिए विदेशों से आ रहीं अर्जियां, 6 साल में करीब 100 बच्चों को मिला सहारा

रायपुर महिला एवं बाल संरक्षण विभाग (child protection department) की पहल पर मौजूदा समय में कई अनाथ बच्चे (orphan children) इन दिनों विदेशों में अपने भाग्य तराशने में लगे हैं. इन बच्चों को को विदेशी दंपत्तियों (foreign couples) ने एडॉप्ट किया है. बच्चों को गोद लेने (adoption) के ऑनलाइन प्रक्रिया (online process) के तहत भारत में भी कई राज्यों के रईसों ने अपनी दरियादिली दिखाई है.

author img

By

Published : Sep 21, 2021, 6:42 PM IST

Applications are coming from abroad to adopt orphans
अनाथों को गोद लेने विदेशों से आ रहीं अर्जियां

रायपुरः आंखे खोलते ही जिन्होंने खो दिया अपनों का साथ, उठ गया माता-पिता का साया, नहीं रहा जिनके सिर पर किसी का हाथ या जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया, या लोकलाज के डर से जिन बच्चों को मां ने छोड़ दिया, ऐसे अनाथ बच्चों का भाग्य ऐसे चमका कि कई बच्चे धनाढ्य परिवारों में रह रहे हैं.

रायपुर में अनाथों को गोद लेने के लिए विदेशों से आ रहीं अर्जियां

उन बच्चों को गोद लेकर कई माता-पिता अपने बच्चों जैसा लाड़ दुलार करके अच्छी शिक्षा दे रहे हैं. पिछले 6 साल में महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के माध्यम से करीब 100 बच्चों को गोद दिया जा चुका है. चूंकि गोद देने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है, इसलिए देश भर से बच्चों को गोद लेने अभिभावक कतार में हैं.

विशेष बच्चों को विदेशी दंपत्तियों ने अपनाया
बाल संरक्षण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 6 साल में 9 बच्चों को विदेशी दंपत्तियों को गोद दिया गया है. इनमें 6 बच्चे अमेरिका और 3 बच्चों को न्यूजीलैंड (New Zealand) के अभिभावकों ने गोद (parents adopted) लिया है. आज उन बच्चों की परवरिस विदेशों में हो रही है. बच्चों की शिक्षा के साथ ही खुशनुमा परिवार भी इन बच्चों को मिल गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिन बच्चों को विदेशी अभिभावकों (foreign parents) ने अपनाया है, वह दिव्यांग या किसी बीमारी से ग्रसित थे, जिनका इलाज गोद लेने वाले दंपत्तियों ने कराया, अब सभी स्वस्थ हैं.

बालिकाओं को गोद लेने में रुचि
महिला बाल विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा बालिकाओं को गोद लेने में अभिभावकों की रूचि है. क्योंकि पिछले 6 साल में बालकों से ज्यादा बालिकाओं को गोद लिया गया है. बाल विकास विभाग में गोद लेने की प्रक्रिया की जानकारी लेने प्रतिदिन 15 से 20 लोग पूछताछ करने आते हैं. ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने और ज्यादा लोग कतार में होने से अभिभावकों को थोड़ा निराशा भी देखने को मिलती है.

विदेशों के अलावा भारत के विभिन्न राज्यों में रायपुर के बच्चे
बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग की ओर से भारत सरकार की वेबसाइट केयरिंग्स के माध्यम से बच्चों को एडॉप्शन में दिया जा रहा है. 2015 से ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो गई है. 2015 से अब तक 100 के करीब बच्चों को हमने रायपुर जिले से बच्चों को एडॉप्शन के लिए लिया हुआ है. राजधानी रायपुर से गोद दिए जाने वाले बच्चे अब पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, केरल तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के बालाघाट, जबलपुर, देवास, ग्वालियर, सिवनी और छत्तीसगढ़ के रायपुर, तिल्दा, भिलाई-दुर्ग, कोरिया, बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा के धनाढ्य परिवारों में हैं.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी
नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि हमारा एक वेबसाइट (Website) है. जिसका नाम www.cara.com है. इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है. भावी अभिभावक को इंग्लिश में पीएपी कहा जाता है. उसी पीएपी रजिस्ट्रेशन (PAP Registration) के माध्यम से भावी अभिभावकों का रजिस्ट्रेशन (Registration of parents) होता है. उसके पश्चात सारे डाक्यूमेंट्स कंप्लीट (Documents complete) होने के बाद उसका होम स्टडी (home study) हमारे विभाग के द्वारा किया जाता है. होम स्टडी एप्रूव होने के बाद उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर अलॉट हो जाता है. उसके बाद बच्चे और परिवार के लिए मैचिंग होता है.

नक्सलवाद से बड़ी समस्या कुपोषण, पंडो जनजाति के लिए 15 साल में BJP ने क्या किया: सीएम बघेल

कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की देखरेख कर रहा विभाग
कोविड-19 के सेकंड फेज में जिनके माता-पिता की कोरोना से मौत हो गई, उनमें 4 बच्चे हमें प्राप्त हुए हैं. वह हमारे संस्था में रह रहे हैं. अप्रैल 2020 से ले कर अब तक ऐसे माता-पिता जो किसी अन्य बीमारी से असमय मौत की गाल समा गए, उन 32 बच्चों को भी सुरक्षित रखा गया है. उन्हें भी हम दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में शामिल किए हुए हैं.

विदेशों में दत्तक ग्रहण एजेंसी रखती है नजर
बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत बताते हैं कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (Central Adoption Authority) के माध्यम से हमारे यहां विदेशों में भी हमारे दत्तक ग्रहण एजेंसियां संचालित हैं. हम हर 3 माह पर बच्चों का वीडियो कॉल के सहारे फॉलोअप लेते हैं और वहां की एजेंसी की वीडियो क्लिप भेजते हैं. उसके बाद एजेंसी फॉलोअप ले कर हमें मेल भेजती है.

गोद दिए बच्चे

201509
201602
201716
201816
201914
202014
2021 05

एक बच्चे को गोद लेने में यह आता है खर्च

गोद लेते समयः 24 हजार

न्यायालयीन आदेश पश्चातः 16 हजार

2 साल में 4 बार बच्चे को देखने अफसरों के विजिट परः 08 हजार

अमेरिकन्स भारतीय बच्चों को क्यों लेते है गोद?
अमेरिकन्स ज्यादातर भारतीय बच्चों को ही गोद लेते हैं. इसमें अकेले रायपुर के ही 6 बच्चों को गोद लिया गया है. समाजशास्त्री व डिग्री कॉलेज की प्राचार्या श्रद्धा गिरोलकर ने बताया कि मुझे लगता है कि भारतीय बच्चों में मेहनत करने की ट्रेडेंसी बहुत ज्यादा होती है। अपने काम के प्रति वे बहुत ज्यादा अनुशासन होते हैं. लास्ट ईयर मैं खुद यूएस गई थी. मेरी बच्ची ने मुझे बताया कि जो अमेरिकन है वह 5 बजे घर चले जाते हैं, लेकिन जो इंडियंस है वह मैक्सिमम काम करते हैं. काम के प्रति बहुत ज्यादा वे डिसिप्लिन रहते हैं. भारतीय बहुत मेहनत करते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिकन्स इंडियन कल्चर से बहुत ज्यादा प्रभावित रहते हैं तो ऐसा लगता है कि यह भी वजह हो सकती है यहां के बच्चों को गोद लेने का ताकि, वह यहां की कुछ बातें उनके भी समाज तक पहुंच सके.

रायपुरः आंखे खोलते ही जिन्होंने खो दिया अपनों का साथ, उठ गया माता-पिता का साया, नहीं रहा जिनके सिर पर किसी का हाथ या जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया, या लोकलाज के डर से जिन बच्चों को मां ने छोड़ दिया, ऐसे अनाथ बच्चों का भाग्य ऐसे चमका कि कई बच्चे धनाढ्य परिवारों में रह रहे हैं.

रायपुर में अनाथों को गोद लेने के लिए विदेशों से आ रहीं अर्जियां

उन बच्चों को गोद लेकर कई माता-पिता अपने बच्चों जैसा लाड़ दुलार करके अच्छी शिक्षा दे रहे हैं. पिछले 6 साल में महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के माध्यम से करीब 100 बच्चों को गोद दिया जा चुका है. चूंकि गोद देने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है, इसलिए देश भर से बच्चों को गोद लेने अभिभावक कतार में हैं.

विशेष बच्चों को विदेशी दंपत्तियों ने अपनाया
बाल संरक्षण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 6 साल में 9 बच्चों को विदेशी दंपत्तियों को गोद दिया गया है. इनमें 6 बच्चे अमेरिका और 3 बच्चों को न्यूजीलैंड (New Zealand) के अभिभावकों ने गोद (parents adopted) लिया है. आज उन बच्चों की परवरिस विदेशों में हो रही है. बच्चों की शिक्षा के साथ ही खुशनुमा परिवार भी इन बच्चों को मिल गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिन बच्चों को विदेशी अभिभावकों (foreign parents) ने अपनाया है, वह दिव्यांग या किसी बीमारी से ग्रसित थे, जिनका इलाज गोद लेने वाले दंपत्तियों ने कराया, अब सभी स्वस्थ हैं.

बालिकाओं को गोद लेने में रुचि
महिला बाल विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा बालिकाओं को गोद लेने में अभिभावकों की रूचि है. क्योंकि पिछले 6 साल में बालकों से ज्यादा बालिकाओं को गोद लिया गया है. बाल विकास विभाग में गोद लेने की प्रक्रिया की जानकारी लेने प्रतिदिन 15 से 20 लोग पूछताछ करने आते हैं. ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने और ज्यादा लोग कतार में होने से अभिभावकों को थोड़ा निराशा भी देखने को मिलती है.

विदेशों के अलावा भारत के विभिन्न राज्यों में रायपुर के बच्चे
बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग की ओर से भारत सरकार की वेबसाइट केयरिंग्स के माध्यम से बच्चों को एडॉप्शन में दिया जा रहा है. 2015 से ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो गई है. 2015 से अब तक 100 के करीब बच्चों को हमने रायपुर जिले से बच्चों को एडॉप्शन के लिए लिया हुआ है. राजधानी रायपुर से गोद दिए जाने वाले बच्चे अब पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, केरल तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के बालाघाट, जबलपुर, देवास, ग्वालियर, सिवनी और छत्तीसगढ़ के रायपुर, तिल्दा, भिलाई-दुर्ग, कोरिया, बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा के धनाढ्य परिवारों में हैं.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी
नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि हमारा एक वेबसाइट (Website) है. जिसका नाम www.cara.com है. इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है. भावी अभिभावक को इंग्लिश में पीएपी कहा जाता है. उसी पीएपी रजिस्ट्रेशन (PAP Registration) के माध्यम से भावी अभिभावकों का रजिस्ट्रेशन (Registration of parents) होता है. उसके पश्चात सारे डाक्यूमेंट्स कंप्लीट (Documents complete) होने के बाद उसका होम स्टडी (home study) हमारे विभाग के द्वारा किया जाता है. होम स्टडी एप्रूव होने के बाद उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर अलॉट हो जाता है. उसके बाद बच्चे और परिवार के लिए मैचिंग होता है.

नक्सलवाद से बड़ी समस्या कुपोषण, पंडो जनजाति के लिए 15 साल में BJP ने क्या किया: सीएम बघेल

कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की देखरेख कर रहा विभाग
कोविड-19 के सेकंड फेज में जिनके माता-पिता की कोरोना से मौत हो गई, उनमें 4 बच्चे हमें प्राप्त हुए हैं. वह हमारे संस्था में रह रहे हैं. अप्रैल 2020 से ले कर अब तक ऐसे माता-पिता जो किसी अन्य बीमारी से असमय मौत की गाल समा गए, उन 32 बच्चों को भी सुरक्षित रखा गया है. उन्हें भी हम दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में शामिल किए हुए हैं.

विदेशों में दत्तक ग्रहण एजेंसी रखती है नजर
बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत बताते हैं कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (Central Adoption Authority) के माध्यम से हमारे यहां विदेशों में भी हमारे दत्तक ग्रहण एजेंसियां संचालित हैं. हम हर 3 माह पर बच्चों का वीडियो कॉल के सहारे फॉलोअप लेते हैं और वहां की एजेंसी की वीडियो क्लिप भेजते हैं. उसके बाद एजेंसी फॉलोअप ले कर हमें मेल भेजती है.

गोद दिए बच्चे

201509
201602
201716
201816
201914
202014
2021 05

एक बच्चे को गोद लेने में यह आता है खर्च

गोद लेते समयः 24 हजार

न्यायालयीन आदेश पश्चातः 16 हजार

2 साल में 4 बार बच्चे को देखने अफसरों के विजिट परः 08 हजार

अमेरिकन्स भारतीय बच्चों को क्यों लेते है गोद?
अमेरिकन्स ज्यादातर भारतीय बच्चों को ही गोद लेते हैं. इसमें अकेले रायपुर के ही 6 बच्चों को गोद लिया गया है. समाजशास्त्री व डिग्री कॉलेज की प्राचार्या श्रद्धा गिरोलकर ने बताया कि मुझे लगता है कि भारतीय बच्चों में मेहनत करने की ट्रेडेंसी बहुत ज्यादा होती है। अपने काम के प्रति वे बहुत ज्यादा अनुशासन होते हैं. लास्ट ईयर मैं खुद यूएस गई थी. मेरी बच्ची ने मुझे बताया कि जो अमेरिकन है वह 5 बजे घर चले जाते हैं, लेकिन जो इंडियंस है वह मैक्सिमम काम करते हैं. काम के प्रति बहुत ज्यादा वे डिसिप्लिन रहते हैं. भारतीय बहुत मेहनत करते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिकन्स इंडियन कल्चर से बहुत ज्यादा प्रभावित रहते हैं तो ऐसा लगता है कि यह भी वजह हो सकती है यहां के बच्चों को गोद लेने का ताकि, वह यहां की कुछ बातें उनके भी समाज तक पहुंच सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.