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लॉकडाउन इफेक्ट: रायपुर में एक महीने में घरेलू हिंसा के 55 केस, क्या है उपाय ?

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Published : May 22, 2021, 5:34 PM IST

एक कहावत है, 'जहां कई सारे बर्तन होते हैं वहां आवाज तो होती ही है', लेकिन जब यहीं चीजें इंसानों पर लागू होने लगे तो परिवार बर्बाद होने तक की नौबत आ जाती है. हम बात कर रहे हैं घरेलू हिंसा की. दरअसल, लॉकडाउन के दौरान घर में बंद रहने के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा है, जिससे घरेलू हिंसा के केस बढ़े हैं. घरेलू हिंसा न हो इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, देखिए ये रिपोर्ट...।

55 cases of domestic violence in a month in Raipur
घरेलू हिंसा

रायपुर: लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में घरेलू हिंसा के केस बढ़े हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी या घर में विवाद की स्थिति बन रही है. कई बार गुस्से में आकर हिंसा भी हो रही है. घर में बंद रहने के कारण चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है, जिससे घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं. रायपुर में इस बार लॉकडाउन में 10 अप्रैल से 15 मई के बीच महिला थाने में घरेलू हिंसा के करीब 55 मामले सामने आए हैं. पुलिस ने 25 मामलों को महिला थाने में ही सुलझा दिया है और दोनों पक्ष में समझौता करा दिया गया है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले

राजधानी रायपुर के महिला थाने में दर्ज घरेलू हिंसा के 25 केस को सुलझाने के बाद भी 30 केसेस को काउंसलिंग के माध्यम से नहीं सुलझाया नहीं जा सका. इसमें कुछ केस दहेज प्रताड़ना के भी हैं. महिला थाना के प्रभारी मंजूलता राठौर के मुताबिक 10 अप्रैल से 15 मई तक महिला थाने में घरेलू हिंसा के 55 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. कोरोना संक्रमित होने पर टेलिफोन के जरिए भी पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझाए जा रहे हैं. जरूरी और महत्वपूर्ण मामलों में काउंसलिंग किया जा रहा है. मंजूलता राठौर के मुताबिक बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण काउंसलिंग भी प्रभावित हुई है. विशेष परिस्थितियों में समय देकर दोनों पक्षों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जा रहा है.

लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के खिलाफ 'हिंसा', जानें पूरी रिपाेर्ट

क्या कहती हैं मनोचिकित्सक ?

घरेलू हिंसा को लेकर मनोरोग चिकित्सक सुरभि दुबे बताती हैं, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर पुरुष और महिला घर में रहते हैं और इस समय फ्रस्ट्रेशन और अन्य कारणों से उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है. कुछ ऐसे मानसिक रोगी भी होते हैं जो समय पर दवाई नहीं मिलने से उनमें हिंसा का भाव देखने को मिलता है. घरेलू हिंसा पर नियंत्रण पाने के लिए महिला और पुरुषों को आराम करना चाहिए. समय निकालकर योगा करना चाहिए या अपने मन को किसी दूसरी तरफ डाइवर्ट करना चाहिए. जिससे मन शांत हो और हिंसा की भावना ना आये. इन सबके अलावा मनोरोग चिकित्सक से भी सलाह लेते रहना चाहिए.

अपने मन को शांत रखने की कोशिश करें

मनोरोग चिकित्सक बताती हैं, पति-पत्नी के बीच आपसी तनाव के कारण घरेलू हिंसा या विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती है. वे कहती हैं, पिछले लॉकडाउन की तुलना में इस लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के केस में कमी आई है. लॉकडाउन के समय पति-पत्नी के एक साथ रहने से छोटी-छोटी गलतियां प्वाइंट आउट होती हैं और दोनों के बीच जो अपेक्षाएं रहती हैं वह भी पूरी नहीं हो पाती है. इसके कारण विवाद और हिंसा की स्थिति निर्मित होती है. ऐसे में पति-पत्नी और परिवार को चाहिए कि वह अपने मन को डाइवर्ट करके गेम्स, योगा, मेडिटेशन, वॉकिंग या घरों के अंदर छोटी-छोटी पार्टियों का आयोजन करके घरेलू हिंसा या विवाद से बचें.

रायपुर: लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में घरेलू हिंसा के केस बढ़े हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी या घर में विवाद की स्थिति बन रही है. कई बार गुस्से में आकर हिंसा भी हो रही है. घर में बंद रहने के कारण चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है, जिससे घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं. रायपुर में इस बार लॉकडाउन में 10 अप्रैल से 15 मई के बीच महिला थाने में घरेलू हिंसा के करीब 55 मामले सामने आए हैं. पुलिस ने 25 मामलों को महिला थाने में ही सुलझा दिया है और दोनों पक्ष में समझौता करा दिया गया है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले

राजधानी रायपुर के महिला थाने में दर्ज घरेलू हिंसा के 25 केस को सुलझाने के बाद भी 30 केसेस को काउंसलिंग के माध्यम से नहीं सुलझाया नहीं जा सका. इसमें कुछ केस दहेज प्रताड़ना के भी हैं. महिला थाना के प्रभारी मंजूलता राठौर के मुताबिक 10 अप्रैल से 15 मई तक महिला थाने में घरेलू हिंसा के 55 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. कोरोना संक्रमित होने पर टेलिफोन के जरिए भी पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझाए जा रहे हैं. जरूरी और महत्वपूर्ण मामलों में काउंसलिंग किया जा रहा है. मंजूलता राठौर के मुताबिक बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण काउंसलिंग भी प्रभावित हुई है. विशेष परिस्थितियों में समय देकर दोनों पक्षों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जा रहा है.

लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के खिलाफ 'हिंसा', जानें पूरी रिपाेर्ट

क्या कहती हैं मनोचिकित्सक ?

घरेलू हिंसा को लेकर मनोरोग चिकित्सक सुरभि दुबे बताती हैं, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर पुरुष और महिला घर में रहते हैं और इस समय फ्रस्ट्रेशन और अन्य कारणों से उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है. कुछ ऐसे मानसिक रोगी भी होते हैं जो समय पर दवाई नहीं मिलने से उनमें हिंसा का भाव देखने को मिलता है. घरेलू हिंसा पर नियंत्रण पाने के लिए महिला और पुरुषों को आराम करना चाहिए. समय निकालकर योगा करना चाहिए या अपने मन को किसी दूसरी तरफ डाइवर्ट करना चाहिए. जिससे मन शांत हो और हिंसा की भावना ना आये. इन सबके अलावा मनोरोग चिकित्सक से भी सलाह लेते रहना चाहिए.

अपने मन को शांत रखने की कोशिश करें

मनोरोग चिकित्सक बताती हैं, पति-पत्नी के बीच आपसी तनाव के कारण घरेलू हिंसा या विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती है. वे कहती हैं, पिछले लॉकडाउन की तुलना में इस लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के केस में कमी आई है. लॉकडाउन के समय पति-पत्नी के एक साथ रहने से छोटी-छोटी गलतियां प्वाइंट आउट होती हैं और दोनों के बीच जो अपेक्षाएं रहती हैं वह भी पूरी नहीं हो पाती है. इसके कारण विवाद और हिंसा की स्थिति निर्मित होती है. ऐसे में पति-पत्नी और परिवार को चाहिए कि वह अपने मन को डाइवर्ट करके गेम्स, योगा, मेडिटेशन, वॉकिंग या घरों के अंदर छोटी-छोटी पार्टियों का आयोजन करके घरेलू हिंसा या विवाद से बचें.

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