रायगढ़ : वन अधिकार अधिनियम 2006 में प्रावधानित सामुदायिक वन संसाधन (सीएफआरआर) तथा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार)अधिनियम 1996 (पीईएसए)पर शोध एवं मूल्यांकन हेतु राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और तीर फाउंडेशन की टीम 6 से 9 मई 2022 तक रायगढ़ प्रवास पर रही. रायगढ़ भ्रमण के दौरान अन्वेषक दल ने एडीएम आर.ए.कुरूवंशी और डीएलसी के सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य गौरीशंकर राठिया, बिलास तिहारूराम सारथी, मालती नीलाम्बर राठिया, नगर पंचायत सदस्य सुरेश किस्पोट्टा, सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग अविनाश श्रीवास और वन विभाग के एसडीओ फारेस्ट रायगढ़ अनिता गुप्ता और एफआरए संबंधी अन्य अधिकारी-कर्मचारियों से मुलाकात कर चर्चा की ( Review of the works of forest walks in Raigarh) है.
किन मुद्दों पर हुई बात : इस दौरान सीएफआरआर हेतु दावा करने की प्रक्रिया(Process to claim CFFR in Raigarh), अधिकार मिलने के बाद के कार्य जैसे-आजीविका हेतु वन प्रबंधन समिति का गठन, समिति की संस्थागत मजबूती, कामकाज हेतु प्रशिक्षण तथा राजस्व एवं वन विभाग के रिकार्ड में अभिलेखों के मद परिवर्तन के संबंध में चर्चा की गयी. टीम ने स्वयंसेवी संगठन प्रदान के सदस्यों से भेंट कर सीएफआरआर हेतु दावा प्रक्रिया में ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति द्वारा की गयी कार्रवाई के बारे में जानकारी प्राप्त की. साथ ही दावा तैयार करने में आने वाली समस्या और उनके निराकरण के बारे में चर्चा की गयी.
ग्रामीणों को मिली महत्वपूर्ण जानकारी : इस प्रकार सभी विभागों से समन्वय स्थापित कर असर्वेक्षित ग्रामों का सर्वे कर रिकॉर्ड में शामिल करने और प्रत्येक ग्राम को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान कर आजीविका हेतु वन संसाधन के उपभोग तथा वनों के संरक्षण हेतु कार्य करने के लिए योजना विस्तार की जानकारी भी दी गई. जिससे डीएलसी और एसडीएलसी के सदस्यों और विकासखण्ड लैलूंगा के ग्राम जमुना, चिंगारी के ग्रामवासियों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के संबंध में अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई.