बिलासपुर: हाईकोर्ट (Order of Chhattisgarh High Court) ने धान खरीदी को लेकर अहम फैसला सुनाया है. दरअसल जांजगीर-चांपा के एक किसान का धान नहीं खरीदा गया. धान खरीदी की आखिरी तारीख तक वो अपने धान को बेचने के लिए सोसायटी का चक्कर लगाता रहा लेकिन अधिकारी की लापरवाही के कारण वो अपना धान बेच ना सका. इसके बाद उसने धान खरीदने के लिए कोर्ट में अर्जी दी. इस मामले में लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने (While hearing the petition, the court) किसान का पक्ष सुना. कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए निर्देश दिया कि किसान के धान की खरीदी की जाए. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी तहसीलदार ने वही गलती दोहराई और खरीदी की तारीख निकल जाने के बाद भी किसान से धान नहीं लिया गया. इस मामले में कोर्ट ने आदेश का अवमानना मानते हुए कहा कि खरीदी की तारीख भले ही निकल गई है लेकिन बावजूद इसके किसान का धान खरीदा जाए(buy farmer's paddy).
क्या था पूरा मामला ?
हाईकोर्ट में लगी याचिका में बताया गया है कि अधिकारी की लापरवाही से याचिकाकर्ता (Petitioner due to negligence of officer) अपना धान समय पर नहीं बेच सके.इसे लेकर जांजगीर-चांपा के किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. कोर्ट ने मुख्य सचिव समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया.तारीख निकलने के बाद भी याचिकाकर्ता के धान खरीदने के निर्देश दिए गए हैं. इससे पूर्व धान खरीदी पंजीयन में आदेश का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने तहसीलदार डबरा को अवमानना नोटिस जारी किया था.जांजगीर जिले में डबरा तहसील के अंतर्गत ग्राम भेडिकोना में सदानंद पटेल और हरीश पटेल की संयुक्त खाते की कृषि भूमि है. इन दोनों ने तहसीलदार डबरा को आवेदन कर कहा था कि हमारे खाते के अंतर्गत धान खरीदी का पंजीयन करें. इसके बावजूद तहसीलदार ने अन्य खातेदारों लोकेश्वर, पन्नालाल, गोवर्धन के नाम से पंजीयन कर दिया. लेकिन सदानंद और हरीश के पंजीयन को छोड़ दिया. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता सदानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर(Sadanand filed a petition in the High Court) की थी. 27 जनवरी 2021 को हाईकोर्ट ने निर्देशित किया कि जिस किसान का जितना हिस्सा होता है उसे उतना धान और पैसा बांट दिया जाए।
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आदेश के बाद भी नहीं सुनी गई बात
2 माह की अवधि में यह काम पूरा करने के निर्देश (instructions for completion) दिए गए थे. लेकिन तहसीलदार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद याचिकाकर्ता एक बार फिर हाईकोर्ट का सहारा लिया.जिसके बाद एक बार हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसान का पंजीयन कर दिया गया है तो धान की खरीदी सुनिश्चित की जाए.लेकिन इस बार तहसीलदार ने याचिकाकर्ता की दूसरी जमीन पर धान खरीदी को स्थगित कर दिया.इस बार भी धान खरीदी के पंजीयन में दो किसानों का नाम पहले की ही तरह छोड़ दिया गया. एक बार फिर से गलती दोहराए जाने पर किसान ने जांजगीर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे(Janjgir Collector Jitendra Shukla and Tehsildar Babulal Kurre) को पक्षकार बनाया और अवमानना याचिका पेश की.जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था.