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बिजली कर्मचारियों ने इलेक्ट्रिसिटी बिल का काली पट्टी बांधकर किया विरोध-प्रदर्शन - Employees Union Korba

कोरबा में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन किया.

workers protest against the electricity bill in korba
बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
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Published : Aug 18, 2020, 2:35 PM IST

कोरबा: इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में बिजली के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को कोरबा में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने विरोध-प्रदर्शन किया. बिल के विरोध में बिजली कर्मचारी लामबंद हो गए हैं. कर्मचारी काली पट्टी लगाकर इस बिल का विरोध कर रहे हैं. कर्मचारियों के यूनियन का आरोप है कि सरकार कोरोना महामारी के बहाने बिल को पास कराना चाहती है, जो कि किसी भी स्तर पर उचित नहीं है.

बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

पढ़ें- छत्तीसगढ़ के बिजली घर देशभर में अव्वल, 33 स्टेट पॉवर सेक्टर में छत्तीसगढ़ का डंका

मंगलवार को कर्मचारी और इंजीनियर देशभर में विरोध प्रदर्शन और सभाएं कर रहे हैं. ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉइज एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओ) के आह्वान पर पर देश भर में पॉवर सेक्टर में काम करने वाले तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित हुए हैं. उन्होंने बताया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री के 3 जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में 11 प्रांतों और 2 केंद्र शासित प्रांतो ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के निजीकरण के मसौदे का जमकर विरोध किया था. परिणाम स्वरूप 3 जुलाई की मीटिंग में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने यह घोषणा की कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे में संशोधन किया जाएगा. लेकिन, राज्य के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के डेढ़ माह बाद भी इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 के संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है. केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है.

निजीकरण से नाराज बिजली कर्मचारी

शैलेंद्र दुबे ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेशों विशेष तौर पर चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में निजीकरण की प्रक्रिया तेजी से चलाई जा रही है. साथ ही उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण के प्रस्ताव पर कार्य प्रारंभ हो गया है. दूसरी ओर ओडिशा में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई अंडरटेकिंग को टाटा पावर को हैंडओवर कर दिया गया है और तीन अन्य विद्युत वितरण कंपनियों नेस्को, वेस्को और साउथको के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. केंद्र सरकार के दबाव में चल रहे निजीकरण के क्रियाकलापों से बिजलीकर्मियों और अभियंताओं में भारी गुस्सा व्याप्त है.

निजीकरण का प्रयोग विफल

निजीकरण का यह प्रयोग ओडिशा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए है. इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में थोप रही है. जो एक प्रकार से ब्लैकमेल है.

निजीकरण के मसौदे को नहीं किया जाएगा स्वीकार

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने यह निर्णय लिया है कि निजीकरण के इस मसौदे को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा. विरोध प्रदर्शन के बाद भी यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजीकरण के प्रस्ताव की कार्रवाई को निरस्त नहीं की तो 15 लाख बिजलीकर्मी राष्ट्रव्यापी आंदोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे.

कोरबा: इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में बिजली के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को कोरबा में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने विरोध-प्रदर्शन किया. बिल के विरोध में बिजली कर्मचारी लामबंद हो गए हैं. कर्मचारी काली पट्टी लगाकर इस बिल का विरोध कर रहे हैं. कर्मचारियों के यूनियन का आरोप है कि सरकार कोरोना महामारी के बहाने बिल को पास कराना चाहती है, जो कि किसी भी स्तर पर उचित नहीं है.

बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

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मंगलवार को कर्मचारी और इंजीनियर देशभर में विरोध प्रदर्शन और सभाएं कर रहे हैं. ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉइज एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओ) के आह्वान पर पर देश भर में पॉवर सेक्टर में काम करने वाले तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित हुए हैं. उन्होंने बताया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री के 3 जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में 11 प्रांतों और 2 केंद्र शासित प्रांतो ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के निजीकरण के मसौदे का जमकर विरोध किया था. परिणाम स्वरूप 3 जुलाई की मीटिंग में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने यह घोषणा की कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे में संशोधन किया जाएगा. लेकिन, राज्य के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के डेढ़ माह बाद भी इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 के संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है. केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है.

निजीकरण से नाराज बिजली कर्मचारी

शैलेंद्र दुबे ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेशों विशेष तौर पर चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में निजीकरण की प्रक्रिया तेजी से चलाई जा रही है. साथ ही उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण के प्रस्ताव पर कार्य प्रारंभ हो गया है. दूसरी ओर ओडिशा में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई अंडरटेकिंग को टाटा पावर को हैंडओवर कर दिया गया है और तीन अन्य विद्युत वितरण कंपनियों नेस्को, वेस्को और साउथको के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. केंद्र सरकार के दबाव में चल रहे निजीकरण के क्रियाकलापों से बिजलीकर्मियों और अभियंताओं में भारी गुस्सा व्याप्त है.

निजीकरण का प्रयोग विफल

निजीकरण का यह प्रयोग ओडिशा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए है. इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में थोप रही है. जो एक प्रकार से ब्लैकमेल है.

निजीकरण के मसौदे को नहीं किया जाएगा स्वीकार

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने यह निर्णय लिया है कि निजीकरण के इस मसौदे को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा. विरोध प्रदर्शन के बाद भी यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजीकरण के प्रस्ताव की कार्रवाई को निरस्त नहीं की तो 15 लाख बिजलीकर्मी राष्ट्रव्यापी आंदोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे.

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