कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में रामनवमी को लेकर खासी रौनक रही. इस दिन सर्वमंगला मंदिर में सौरा जनजाति के सपेरे मंदिर पहुंचने वाले लोगों को सांप दिखाकर अपनी आजीविका का प्रबंध कर रहे थे. लेकिन इन सपेरों को अब सख्त नियम के दायरे में बांध दिया गया है. वन विभाग ने मौके पर पहुंचकर सपेरों से सांप जब्त कर लिया और वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात भी कही. सपेरों को सांप दिखाने की कला विरासत में मिली है. लेकिन अब इस परंपरा के आड़े सख्त सरकारी नियम आ रहे हैं. जिससे सपेरों पर आजीविका का संकट मंडराने लगा है.
रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने दी विभाग को सूचना : स्नेक रेस्क्यू टीम के प्रभारी जितेंद्र सारथी को सर्वमंगला मंदिर में सपेरा द्वारा सांपों के प्रदर्शन किए जाने की सूचना मिली. रेस्क्यू टीम के कुछ और कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे और सपेरों को कार्रवाई का भय दिखाया. उनके सांपों को अपने पास रख लिया. इसके बाद अधिकारी को सूचना दी गई. वन विभाग के एसडीओ आशीष खेलवाडर मौके पर पहुंचे और सांपों को अपने साथ ले गए. सांपों के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात कही.
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खेलवार ने बताया कि 'सांपों को पालना और उनका प्रदर्शन करना अब अपराध की श्रेणी में आता है. वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं. जिन सांपों की सेहत अच्छी है. उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा. बाकी के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. सर्वमंगला मंदिर से सपेरों के पास से अजगर और धमना प्रजाति के सांपों को जब्त किया गया है.
कोरबा में सौरा जनजाति के 50 से अधिक परिवार: कोरबा जिले में करतला ब्लॉक के कुरुडीह, पाली ब्लॉक के हरदीबाजार, गांव नुनेरा और कोरकोमा में सौरा जनजाति के लगभग 50 से ज्यादा परिवार अलग-अलग जगहों पर रहते हैं. कुरुडीह के संतराम सौरा ने बताया कि सांप दिखाने से हमें जो पैसे लोग देते हैं, उससे ही हमारा गुजारा होता है. इसके अलावा हमारे पास आजीविका का और कोई भी साधन नहीं है. जमीन-जायदाद भी नहीं है. हमसे सांप जब्त करने के बाद हमारे पास आजीविका के लिए कुछ भी नहीं रहेगा'. (Saura tribe in Korba)