कोरबा: 2 साल के दौरान कोरोना वायरस के कारण के कारण पूरी दुनिया ने नुकसान झेला. खासतौर पर खेलकूद और छात्र जीवन से जुड़ी कई गतिविधियों पर ग्रहण लग गया. कोरबा जिले में एनसीसी कैडेट्स को तैयार करने के लिए 3500 कैडेट क्षमता वाले 1 सीजी बटालियन की स्थापना 2020 में की गई थी. लेकिन कोरोना वायरस के कारण 2 साल पूरी तरह से बर्बाद हो गये. एनसीसी की गतिविधियां लगभग शून्य रहीं. अब एक बार फिर से इन गतिविधियों को शुरू कर दिया गया है. जिले के पीजी कॉलेज के पास 1 सीसी बटालियन में कर्नल, लेफ्टिनेंट कर्नल और सूबेदार रैंक के आर्मी अधिकारियों द्वारा एनसीसी केडेट्स को ट्रेनिंग दी जा रही है. कर्नल के पास 42 स्कूल और कॉलेज ने एनसीसी गतिविधियों को अपनी संस्था में शुरू करने के लिए आवेदन किया है. 2 साल बाद ही सही अब कोरबा जिले में सेकंड लाइन ऑफ आर्मी की तैयारी शुरू हो चुकी है. Korba News
फिलहाल 600 कैडेट्स ले रहे प्रशिक्षण : कोरबा में स्थापित बटालियन की कुल क्षमता 3500 है. यह कोरबा, जांजगीर चांपा, बलौदाबाजार और सूरजपुर में एनसीसी गतिविधियों का मुख्यालय है. 2 साल बाद शुरू होने के कारण यहां कई संसाधन उपलब्ध नहीं है. फिलहाल यहां सिर्फ कोरबा जिले के 9 अलग अलग संस्थाओं के 600 कैडेट्स प्रशिक्षण ले रहे हैं. इन्हें आर्मी के जवानों द्वारा एनसीसी से जुड़ी सभी तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है. परेड के साथ ही हथियारों का प्रशिक्षण भी कैडेट्स को दिया जा रहा है. एनसीसी कैडेट ही स्वतंत्रता, गणतंत्र और कई तरह के परेड में हिस्सा लेते हैं. जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिलता है.
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सी सर्टिफिकेट मिला, तो परीक्षा में बोनस अंक और लिखित परीक्षा माफ: फिलहाल 1 सीजी बटालियन कोरबा की कमान कर्नल रितोब्रोतो सेनगुप्ता के हाथ में है. वह यहां के कमांडिंग ऑफिसर हैं. कर्नल ने बताया कि "एनसीसी का छात्र जीवन में खासा महत्व होता है. हम बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनाते हैं, जो अनुशासन में रहकर जीवन जियें और अपने कर्तव्यों को पूरा करें. कॉलेज में पहुंचकर यदि किसी कैडेट ने सी सर्टिफिकेट हासिल कर लिया है तो उसे कई प्रतियोगी परीक्षाओं में 5 नंबर का बोनस अंक मिलता है. इसके साथ ही आर्मी या किसी भी तरह के डिफेंस की परीक्षा में उन्हें लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती है. वह सीधे इंटरव्यू में एक विशेष कोटा के तहत शामिल होते हैं.
42 संस्थाओं ने किया है आवेदन: एनसीसी के मापदंडों के अनुसार प्रत्येक 5 छात्रों में से 1 छात्र का ही चयन एनसीसी के लिए किया जाता है. जो संस्था अपने स्कूल या कॉलेज में इनकी गतिविधियां शुरू करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर के सामने एक आवेदन पेश करना होता है. जिसके बाद ऑफिसर अपनी टीम को लेकर संबंधित संस्था का ऑडिट करते हैं. यह देखते हैं कि वहां एनसीसी की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं या नहीं. यदि ऑडिट में संसाधन ठीक ठाक पाते हैं तो संबंधित संस्था को एक निर्धारित मापदंडों के अनुसार वैकेंसी प्रदान करते हैं. वैकेंसी के अनुसार उतनी ही संख्या में छात्रों को एनसीसी में दाखिला दिया जाता है, जिसका स्कूल में 6 में से 1 पीरियड होता है. इसके साथ ही लिखित परीक्षा भी देनी होती है. वर्तमान में कर्नल के पास 4 जिलों के 42 आवेदन पेंडिंग हैं. जिन पर एक एक कर कार्रवाई की जा रही है.
कर्नल सहित केंद्र में 6 सूबेदार और 16 हवलदार की पदस्थापना: कोरबा जिले में स्थापित 1 सीजी बटालियन छत्तीसगढ़ के 4 जिलों का मुख्यालय है. यहीं से 4 जिलों में एनसीसी की गतिविधियां संचालित होंगी. यहां कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर एक कर्नल को केंद्र सरकार ने पदस्थापना दी है. इनके अलावा एक लेफ्टिनेंट कर्नल और 6 सूबेदार सहित 16 हवलदारों को केंद्र ने यहां पदस्थापित कर दिया है. बटालियन में प्रशिक्षण देने के साथ ही, जिन संस्थाओं ने अपना पंजीयन कराया है, वहां जाकर भी कैडेट्स को प्रशिक्षण देने का काम करते हैं.