कवर्धा : 25 जुलाई यानि आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर (bhoramdeo temple) में हर साल सावन (savan) में भक्तों का तांता लगा रहता था. कांवड़िये दूर-दूर से भगवान को जल अर्पित करने मंदिर पहुंचते थे. कोरोना काल ने पिछले साल की तरह इस साल भी कांवड़ यात्रा पर ग्रहण लगा दिया है. जिला प्रशासन ने भोरमदेव पदयात्रा कार्यक्रम का आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है.
छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार को जिला प्रशासन बुढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक 17 किलोमीटर की पदयात्रा का आयोजन किया जाता था. इस कार्यक्रम में प्रशासनिकअधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, नेता, स्कूली बच्चे और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते थे. बैंड-बाजे के साथ पदयात्रा निकाली जाती थी. भोरमदेव में भगवान का जलाभिषेक किया जाता था. इस साल कोरोना की वजह से पदयात्रा का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा. इसे लेकर श्रद्धालुओं में निराशा साफ देखी जा सकती है.
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सावन में खुला रहेगा भोरमदेव मंदिर
कवर्धा कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने सामूहिक रूप से कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं देने का फैसला लिया है. सावन में भक्तों के लिए भोरमदेव मंदिर खुला रहेगा. मंदिर में बाबा भोरमदेव के दर्शन के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा. जिला प्रशासन ने बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल की ड्यूटी लगाई है. भक्तों को मंदिर में दाखिल होने से पहले मास्क पहनना अनिवार्य होगा. मंदिर के गेट पर समिति के कर्मचारी लोगों को सैनिटाइज करेंगे. मंदिर आए लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा. सीसीटीवी कैमरे से अधिकारी लगातार नजर बनाए रहेंगे.
2008 से हो रहा पदयात्रा का आयोजन
भोरमदेव पदयात्रा कार्यक्रम की शुरुआत 2008 में कवर्धा जिले के तत्कालीन कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने की थी. इसके बाद से हर वर्ष जिला प्रशासन पदयात्रा का आयोजन कराते आ रहा है. कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से पदयात्रा बंद है.
मंदिर के पुजारी आशीष शास्त्री ने बताया कि भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर सके इसलिए मंदिर खुला रहेगा. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालु सिर्फ बेल पत्तियां ही अर्पित कर सकेंगे. नारियल और वस्तुओं को मंदिर के बाहर से ही चढ़ाना होगा.