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कोयला ही नहीं जनाब डीजल पर भी है माफिया की नजर रोजाना लाखों का खेल - कोरबा की बड़ी खदानों में डीजल की चोरी

कोरबा की खदानों से काला हीरा ही नहीं इराक के पानी की भी चोरी जोरों पर हैं. एक दिन में इससे एसईसीएल को लाखों रुपए का चूना लग रहा( Not only coal but also the eyes of mafia on diesel) है.

Not only coal but also the eyes of mafia on diesel
कोरबा की बड़ी खदानों में डीजल की चोरी
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Published : May 20, 2022, 5:30 PM IST

Updated : May 20, 2022, 6:51 PM IST

कोरबा : कोयला चोरी के वायरल वीडियो का असर राज्य से लेकर राजधानी तक हुआ है. कोयला चोरी के मंजर को वायरल वीडियो ने बयान कर दिया है. गहमागहमी के बीच ईटीवी भारत को डीजल चोरी का भी एक वीडियो मिला है. जिसमें गेवरा खदान में उत्खनन के लिए काम में लिए जाने वाले डंपर से कैंपर वाहन के माध्यम से कुछ युवक डीजल निकालते हुए दिख रहे हैं. कोयला चोरी पर लगाम कसने आईजी ने जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सूत्रों के अनुसार सिर्फ कोयला चोरी ही नहीं, कोरबा की कोयला खदाने डीजल चोरी के लिए भी प्रदेश में एक बड़ा हब (Korba a big hub of diesel theft) हैं. प्रतिदिन यहां से हजारों लीटर डीजल की चोरी भी हो रही है. जिसका टर्नओवर करोड़ों में है. पुलिस ने 1 दिन पहले ही यहां से 700 लीटर डीजल जब्त भी किया है. इस तरह की छिटपुट कार्रवाई जारी रहती है.

कोयला ही नहीं जनाब डीजल पर भी है माफिया की नजर
कितने डीजल की चोरी प्रतिदिन : जिस सूत्र से खदान के भीतर से डीजल चोरी का वीडियो उपलब्ध कराया है. उसी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर डीजल चोरी की पूरी कहानी से पर्दा उठाया. सूत्र के अनुसार दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खदान डीजल चोरी के कारोबार का केंद्र है. कुसमुंडा खदान से 10 हजार, तो दीपका और गेवरा को मिलाकर प्रतिदिन लगभग 20 हजार लीटर डीजल की चोरी हो रही ((Diesel theft in Korbas big mines)) है. तीनों खदानों से प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर डीजल की चोरी होती है. जिसकी कीमत खुले बाजार में 30 लाख रुपए है.

कहां खपता है चोरी का डीजल : चोरी के इस डीजल को खपाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टर यहां तक के पेट्रोल टंकियों को भी यह डीजल बेचा जाता . डीजल चोर माफिया इससे 80 से 90 रुपये प्रति लीटर तक की कीमत पर, बाजार भाव से 10 से 20 रुपये कम दाम में उपलब्ध कराते हैं. संगठित तौर पर एक माफिया राज चल रहा है. जिसमें सफेदपोश लोग भी शामिल हैं, क्योंकि बिना संरक्षण इस तरह का अपराध संभव ही नहीं है.

सुरक्षाकर्मी भी चोरी रोकने में फेल : इस मामले में एटक के राष्ट्रीय सचिव और ट्रेड यूनियन नेता दीपेश मिश्रा का कहना है ''त्रिपुरा राइफल किसी काम की नहीं हैं. कहने को तो खदानों की सुरक्षा के लिए बड़ा ढोल पीटकर इनकी तैनाती की (Security agencies fail to stop theft in Korba) गई. लेकिन हम देख रहे हैं कि इसके बाद भी इनके नाक के नीचे कोयला, डीजल और लोहे की चोरी हो रही है. कोरबा जिले की कोयला खदानों में चोरी की घटना आम बात हो गई है. सुरक्षा एजेंसी सुरक्षा ही नहीं दे पा रही है, तो फिर किस काम की रह गई है? एसईसीएल इनके वेतन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. बावजूद इसके धड़ल्ले से चोरी जारी है. इसलिए हम त्रिपुरा राइफल की टीम को को हटाने की मांग कर रहे हैं.''

डंडा की जोर पर सुरक्षा : खदानों के भीतर अब संघर्ष वाली स्थिति बन गई है. जिसका प्रमाण है कि कोयला उत्खनन में लगे कर्मचारी डंडा अब लेकर ड्यूटी कर रहे हैं. कर्मचारियों ने खदान के भीतर हाथ में डंडा पकड़े हुए फोटो भी जारी किया है. जिनका कहना है कि डीजल चोर लाठी डंडा और हथियार लेकर खदान में प्रवेश करते हैं. उत्खनन में लगे भारी वाहनों को रोककर जबरदस्ती डीजल निकाल लेते हैं. इससे निपटने के लिए अधिकारी कर्मचारियों ने खुद ही मोर्चा संभाला है. अपनी सुरक्षा के लिए डंडा लेकर खदानों में ड्यूटी दे रहे हैं.

पुलिस की कार्रवाई का भी असर नहीं : खदान के भीतर डंडा लेकर ड्यूटी देने के फोटो जारी होने के बाद गुरुवार को ही दीपका पुलिस ने 700 लीटर डीजल जब्त किया. 35 लीटर क्षमता वाले 20 जरीकेन जब्त किए गए हैं. पुलिस ने दावा किया है कि घेराबंदी करके चोरी का डीजल पकड़ा गया है. लेकिन डीजल चोरी करने वाले चोर भाग निकले. सिर्फ डीजल ही हाथ लगा जिसकी कीमत 3 लाख 70 हजार रुपए है.

मिलीभगत का है खेल : खदान के भीतर डीजल चोर और कर्मचारियों के बीच संघर्ष होता रहता है. कई बार गोली चलने तक की घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में एसईसीएल के दीपका खदान में 2 कर्मचारियों पर चोरों ने हमला कर दिया था. दीपक खदान में तैनात माइनिंग स्टाफ ओमप्रकाश और डंपर ऑपरेटर फैयाज अंसारी रोज की तरह अपने काम में लगे हुए थे. तभी डीजल चोर आए और डीजल चोरी करने लगे. कर्मचारियों ने मना किया तो उनके साथ मारपीट की. कर्मचारियों ने इसकी शिकायत थाने में भी की थी.

चोरी के वीडियो से उड़े होश: कोयला चोरी के वायरल वीडियो के बाद बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने जांच के आदेश दिए हैं. कोरबा, रायगढ़ एसपी को भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश हैं. जांच के एक बिंदु में यह भी उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस में कैसा तालमेल है? यह बात सदैव चर्चा में रहती है। केंद्रीय सुरक्षा बल सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स को खदान के भीतर सुरक्षा देनी है. जबकि स्थानीय पुलिस का काम कानून व्यवस्था को संभालने का होता है. अक्सर दोनों के मध्य टकराव जैसी परिस्थितियां निर्मित होती है. कहां की सुरक्षा कौन करेगा? इसे लेकर हमेशा परिस्थितियां अस्पष्ट रहती हैं. पुलिस कहती है कि खदान के भीतर की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की है. जबकि केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान कहते हैं कि पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया. आईजी ने जब यह जांच का बिंदु अपने जांच आदेश में शामिल किया.

एसईसीएल प्रबंधन का अपना रुख : खदानों की सुरक्षा पर सवालिया निशान, वायरल वीडियो, कोयला और डीजल चोरी के प्रश्न पर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सनीश चंद्र ने प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि ''खदानों के सुरक्षा के लिए सीआईएसफ जैसे पेशेवर सुरक्षा बल तैनात हैं. जो औद्योगिक इकाइयों के सुरक्षा में अत्यंत अनुभवी कार्य बल हैं. कबाड़, डीजल और किसी भी प्रकार के अन्य गैरकानूनी गतिविधियों की रिपोर्ट तत्काल पुलिस को दे दी जाती है. एक व्यवस्था है जो राज्य शासन के साथ समन्वय में काम करती है. हालांकि वायरल वीडियो की जांच पुलिस की टीम कर रही है.''

कोरबा : कोयला चोरी के वायरल वीडियो का असर राज्य से लेकर राजधानी तक हुआ है. कोयला चोरी के मंजर को वायरल वीडियो ने बयान कर दिया है. गहमागहमी के बीच ईटीवी भारत को डीजल चोरी का भी एक वीडियो मिला है. जिसमें गेवरा खदान में उत्खनन के लिए काम में लिए जाने वाले डंपर से कैंपर वाहन के माध्यम से कुछ युवक डीजल निकालते हुए दिख रहे हैं. कोयला चोरी पर लगाम कसने आईजी ने जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सूत्रों के अनुसार सिर्फ कोयला चोरी ही नहीं, कोरबा की कोयला खदाने डीजल चोरी के लिए भी प्रदेश में एक बड़ा हब (Korba a big hub of diesel theft) हैं. प्रतिदिन यहां से हजारों लीटर डीजल की चोरी भी हो रही है. जिसका टर्नओवर करोड़ों में है. पुलिस ने 1 दिन पहले ही यहां से 700 लीटर डीजल जब्त भी किया है. इस तरह की छिटपुट कार्रवाई जारी रहती है.

कोयला ही नहीं जनाब डीजल पर भी है माफिया की नजर
कितने डीजल की चोरी प्रतिदिन : जिस सूत्र से खदान के भीतर से डीजल चोरी का वीडियो उपलब्ध कराया है. उसी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर डीजल चोरी की पूरी कहानी से पर्दा उठाया. सूत्र के अनुसार दीपका, गेवरा और कुसमुंडा खदान डीजल चोरी के कारोबार का केंद्र है. कुसमुंडा खदान से 10 हजार, तो दीपका और गेवरा को मिलाकर प्रतिदिन लगभग 20 हजार लीटर डीजल की चोरी हो रही ((Diesel theft in Korbas big mines)) है. तीनों खदानों से प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर डीजल की चोरी होती है. जिसकी कीमत खुले बाजार में 30 लाख रुपए है.

कहां खपता है चोरी का डीजल : चोरी के इस डीजल को खपाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टर यहां तक के पेट्रोल टंकियों को भी यह डीजल बेचा जाता . डीजल चोर माफिया इससे 80 से 90 रुपये प्रति लीटर तक की कीमत पर, बाजार भाव से 10 से 20 रुपये कम दाम में उपलब्ध कराते हैं. संगठित तौर पर एक माफिया राज चल रहा है. जिसमें सफेदपोश लोग भी शामिल हैं, क्योंकि बिना संरक्षण इस तरह का अपराध संभव ही नहीं है.

सुरक्षाकर्मी भी चोरी रोकने में फेल : इस मामले में एटक के राष्ट्रीय सचिव और ट्रेड यूनियन नेता दीपेश मिश्रा का कहना है ''त्रिपुरा राइफल किसी काम की नहीं हैं. कहने को तो खदानों की सुरक्षा के लिए बड़ा ढोल पीटकर इनकी तैनाती की (Security agencies fail to stop theft in Korba) गई. लेकिन हम देख रहे हैं कि इसके बाद भी इनके नाक के नीचे कोयला, डीजल और लोहे की चोरी हो रही है. कोरबा जिले की कोयला खदानों में चोरी की घटना आम बात हो गई है. सुरक्षा एजेंसी सुरक्षा ही नहीं दे पा रही है, तो फिर किस काम की रह गई है? एसईसीएल इनके वेतन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. बावजूद इसके धड़ल्ले से चोरी जारी है. इसलिए हम त्रिपुरा राइफल की टीम को को हटाने की मांग कर रहे हैं.''

डंडा की जोर पर सुरक्षा : खदानों के भीतर अब संघर्ष वाली स्थिति बन गई है. जिसका प्रमाण है कि कोयला उत्खनन में लगे कर्मचारी डंडा अब लेकर ड्यूटी कर रहे हैं. कर्मचारियों ने खदान के भीतर हाथ में डंडा पकड़े हुए फोटो भी जारी किया है. जिनका कहना है कि डीजल चोर लाठी डंडा और हथियार लेकर खदान में प्रवेश करते हैं. उत्खनन में लगे भारी वाहनों को रोककर जबरदस्ती डीजल निकाल लेते हैं. इससे निपटने के लिए अधिकारी कर्मचारियों ने खुद ही मोर्चा संभाला है. अपनी सुरक्षा के लिए डंडा लेकर खदानों में ड्यूटी दे रहे हैं.

पुलिस की कार्रवाई का भी असर नहीं : खदान के भीतर डंडा लेकर ड्यूटी देने के फोटो जारी होने के बाद गुरुवार को ही दीपका पुलिस ने 700 लीटर डीजल जब्त किया. 35 लीटर क्षमता वाले 20 जरीकेन जब्त किए गए हैं. पुलिस ने दावा किया है कि घेराबंदी करके चोरी का डीजल पकड़ा गया है. लेकिन डीजल चोरी करने वाले चोर भाग निकले. सिर्फ डीजल ही हाथ लगा जिसकी कीमत 3 लाख 70 हजार रुपए है.

मिलीभगत का है खेल : खदान के भीतर डीजल चोर और कर्मचारियों के बीच संघर्ष होता रहता है. कई बार गोली चलने तक की घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में एसईसीएल के दीपका खदान में 2 कर्मचारियों पर चोरों ने हमला कर दिया था. दीपक खदान में तैनात माइनिंग स्टाफ ओमप्रकाश और डंपर ऑपरेटर फैयाज अंसारी रोज की तरह अपने काम में लगे हुए थे. तभी डीजल चोर आए और डीजल चोरी करने लगे. कर्मचारियों ने मना किया तो उनके साथ मारपीट की. कर्मचारियों ने इसकी शिकायत थाने में भी की थी.

चोरी के वीडियो से उड़े होश: कोयला चोरी के वायरल वीडियो के बाद बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी ने जांच के आदेश दिए हैं. कोरबा, रायगढ़ एसपी को भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश हैं. जांच के एक बिंदु में यह भी उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस में कैसा तालमेल है? यह बात सदैव चर्चा में रहती है। केंद्रीय सुरक्षा बल सीआईएसएफ और त्रिपुरा राइफल्स को खदान के भीतर सुरक्षा देनी है. जबकि स्थानीय पुलिस का काम कानून व्यवस्था को संभालने का होता है. अक्सर दोनों के मध्य टकराव जैसी परिस्थितियां निर्मित होती है. कहां की सुरक्षा कौन करेगा? इसे लेकर हमेशा परिस्थितियां अस्पष्ट रहती हैं. पुलिस कहती है कि खदान के भीतर की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की है. जबकि केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान कहते हैं कि पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया. आईजी ने जब यह जांच का बिंदु अपने जांच आदेश में शामिल किया.

एसईसीएल प्रबंधन का अपना रुख : खदानों की सुरक्षा पर सवालिया निशान, वायरल वीडियो, कोयला और डीजल चोरी के प्रश्न पर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डॉ सनीश चंद्र ने प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि ''खदानों के सुरक्षा के लिए सीआईएसफ जैसे पेशेवर सुरक्षा बल तैनात हैं. जो औद्योगिक इकाइयों के सुरक्षा में अत्यंत अनुभवी कार्य बल हैं. कबाड़, डीजल और किसी भी प्रकार के अन्य गैरकानूनी गतिविधियों की रिपोर्ट तत्काल पुलिस को दे दी जाती है. एक व्यवस्था है जो राज्य शासन के साथ समन्वय में काम करती है. हालांकि वायरल वीडियो की जांच पुलिस की टीम कर रही है.''

Last Updated : May 20, 2022, 6:51 PM IST

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