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गजराज के आतंक से बचाने में मदद कर रही हुल्लड़ पार्टी की टीम, ग्रामीणों से बाहर न सोने की अपील

कोरबा में हाथियों से बचने के लिए वन विभाग ने नया रास्ता निकालते हुए पश्चिम बंगाल की हुल्लड़ पार्टी टीम की मदद ली है. हुल्लड़ पार्टी टीम का काम आवाज के जरिए हाथियों की दिशा बदलने का होता है.

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हुल्लड़ पार्टी की टीम
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Published : Dec 18, 2020, 3:18 PM IST

कोरबा: जिले में हाथियों ने आतंक मचा रखा है. एक से 10 दिसंबर के बीच ही कोरबा में गजराज ने तीन लोगों की जान ले ली है. जंगली हाथियों ने पिछले 15 दिनों में कटघोरा वन परिक्षेत्र में जमकर तांडव मचाया है. हाथियों के दल ने बड़े पैमाने पर निजी संपत्ति और फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है. जिसके बाद वन विभाग ने नया रास्ता निकालते हुए पश्चिम बंगाल की हुल्लड़ पार्टी की मदद ली है.

हुल्लड़ पार्टी की टीम

क्या है हुल्लड़ पार्टी टीम ?

हुल्लड़ पार्टी टीम का काम आवाज के जरिए हाथियों की दिशा बदलने का होता है. डीएफओ शमा फारूकी ने बताया कि शासन की तरफ से लोगों को सुरक्षा निर्देश जारी किए गए हैं. इन्हीं निर्देशों के मुताबिक हाथियों को रहवासी इलाकों से खदेड़ने के लिए पश्चिम बंगाल से हुल्लड़ पार्टी को बुलाया गया है. ट्रेंड हुल्लड़ पार्टी हाथी प्रभावित गांवों में मौजूद है. ये हाथियों की दिशा बदलने के लिए काम कर रही है. अधिकारी ने बताया कि टीम का काम अच्छा है.

पढ़ें- SPECIAL: नहीं थम रहा हाथियों और मानव के बीच का द्वंद, वन विभाग के पास नहीं है कोई उपाय

दो हिस्सों में बंट गया हाथियों का दल

डीएफओ ने बताया कि फिलहाल हाथियों का दल दो हिस्सों में बंट चुका है. करीब 43 हाथियों का एक झुंड पड़ोस के जटगा रेंज में डेरा जमाए हुए है. तो वहीं दूसरा दल पसान-केंदई परिक्षेत्र में घूम रहा है. इस रेंज के गांवों में मुनादी कराई जा रही है. सुरक्षा उपकरण भी बांटे गए हैं. वन विभाग की टीम हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रही है.

हाथियों के डर से दुबके लोग

गुरुवार को भी परला क्षेत्र के आसपास आधे दर्जन मकानों को हाथियों ने जमींदोज़ कर दिया. हाथियों के इस खूनी उत्पात से डिवीजन के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है. खेती-किसानी के इस दौर में भी लोग अपने घरों में दुबकने पर मजबूर हैं. अधिकारियों ने लोगों से खेतों में न सोने की अपील की है. कच्चा मकान छोड़कर पक्के मकान में रहने की अपील की है.

डीएफओ ने कहा कि ग्रामीणों में सजगता और जागरूकता की कमी की वजह से यह मानव-हाथी द्वंद सामने आ रहा है. लगातार समझाइस के बाद भी कुछ ग्रामीण अंधेरे में जंगलों की तरफ जा रहें हैं. खलिहानों में नहीं सोने की हिदायत पर भी कुछ ग्रामीण अमल नहीं कर रहें हैं.

कोरबा: जिले में हाथियों ने आतंक मचा रखा है. एक से 10 दिसंबर के बीच ही कोरबा में गजराज ने तीन लोगों की जान ले ली है. जंगली हाथियों ने पिछले 15 दिनों में कटघोरा वन परिक्षेत्र में जमकर तांडव मचाया है. हाथियों के दल ने बड़े पैमाने पर निजी संपत्ति और फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है. जिसके बाद वन विभाग ने नया रास्ता निकालते हुए पश्चिम बंगाल की हुल्लड़ पार्टी की मदद ली है.

हुल्लड़ पार्टी की टीम

क्या है हुल्लड़ पार्टी टीम ?

हुल्लड़ पार्टी टीम का काम आवाज के जरिए हाथियों की दिशा बदलने का होता है. डीएफओ शमा फारूकी ने बताया कि शासन की तरफ से लोगों को सुरक्षा निर्देश जारी किए गए हैं. इन्हीं निर्देशों के मुताबिक हाथियों को रहवासी इलाकों से खदेड़ने के लिए पश्चिम बंगाल से हुल्लड़ पार्टी को बुलाया गया है. ट्रेंड हुल्लड़ पार्टी हाथी प्रभावित गांवों में मौजूद है. ये हाथियों की दिशा बदलने के लिए काम कर रही है. अधिकारी ने बताया कि टीम का काम अच्छा है.

पढ़ें- SPECIAL: नहीं थम रहा हाथियों और मानव के बीच का द्वंद, वन विभाग के पास नहीं है कोई उपाय

दो हिस्सों में बंट गया हाथियों का दल

डीएफओ ने बताया कि फिलहाल हाथियों का दल दो हिस्सों में बंट चुका है. करीब 43 हाथियों का एक झुंड पड़ोस के जटगा रेंज में डेरा जमाए हुए है. तो वहीं दूसरा दल पसान-केंदई परिक्षेत्र में घूम रहा है. इस रेंज के गांवों में मुनादी कराई जा रही है. सुरक्षा उपकरण भी बांटे गए हैं. वन विभाग की टीम हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रही है.

हाथियों के डर से दुबके लोग

गुरुवार को भी परला क्षेत्र के आसपास आधे दर्जन मकानों को हाथियों ने जमींदोज़ कर दिया. हाथियों के इस खूनी उत्पात से डिवीजन के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है. खेती-किसानी के इस दौर में भी लोग अपने घरों में दुबकने पर मजबूर हैं. अधिकारियों ने लोगों से खेतों में न सोने की अपील की है. कच्चा मकान छोड़कर पक्के मकान में रहने की अपील की है.

डीएफओ ने कहा कि ग्रामीणों में सजगता और जागरूकता की कमी की वजह से यह मानव-हाथी द्वंद सामने आ रहा है. लगातार समझाइस के बाद भी कुछ ग्रामीण अंधेरे में जंगलों की तरफ जा रहें हैं. खलिहानों में नहीं सोने की हिदायत पर भी कुछ ग्रामीण अमल नहीं कर रहें हैं.

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