कोरबाः एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान (Coal Mine) कोरबा के गेवरा में संचालित है. जिसे 49 से 70 एमटीपीए तक विस्तार करने के साथ ही प्रस्तावित विस्तार में 4184 से 4781 हेक्टेयर जमीन के विस्तार करने का प्रस्ताव कोयला मंत्रालय (Ministry Of Coal) को प्रस्तुत किया गया था. लेकिन इसके पहले पर्यावरण आकलन समिति (Environment assessment committe) ने फिलहाल विस्तार के पहले कई तरह की खामियों को गिनाते हुए नियमों को दुरुस्त करने की बात कही है. जिसके बाद फिलहाल इस विस्तार पर रोक लग गई है.
स्थानीय भू-विस्थापित और किसान नेताओं की मानें तो उनकी आपत्ति के बाद ही ईएसी (EAC) ने यह निर्णय लिया है. जबकि एसईसीएल प्रबंधन के विभागीय अधिकारी इसे एक रूटीन प्रक्रिया बताते हैं. जोकि किसी भी कोयला खदान के विस्तार के पहले पूर्ण करने का नियम है.
2009 से लेकर 2020 तक कई बार कई बार किया गया विस्तार
कोयला मंत्रालय को देश भर में कोयला उत्पादन की क्षमता को बढ़ाना है इसमें एसईसीएल (SECL) के अंतर्गत आने वाली खदानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए गेवरा का विस्तार किया जा रहा है. इसके पहले भी वर्ष 2009 से लेकर 2020 तक की अवधि में गेवरा खदान का 35 से लेकर 45 एमटीपीए तक की क्षमता के लिए विस्तार किया गया था, लेकिन यह भी बिना जन-सुनवाई के पूरा कर लिया गया था. हाल ही में विगत 3 महीने पहले 49 एमटीपीए के विस्तार की अनुमति भी दी गई थी. जिसका स्थानीय भू-विस्थापित संगठनों (Land Displaced Organization) ने जम कर विरोध किया था.
पर्यावरण असंतुलन के साथ ही कई तरह की शिकायतें
स्थानीय जनप्रतिनिधियों व संगठनों ने कई बिंदुओं पर इस विस्तार का विरोध किया था. कोयला खदान के विस्तार के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया जाता है. बड़े पैमाने पर पेड़ भी काटे जाते हैं. जिससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति पैदा होती है. खदान में कोयला उत्खनन के लिए ब्लास्टिंग से भी गांव वाले परेशान रहते हैं. घरों की दीवारें, छतें और बोरवेल तक क्षतिग्रस्त हुआ है. औद्योगिक उपक्रमों के अधीन आने वाले सड़कों का बुरा हाल है. लोग जर्जर सड़क के साथ बी कोल डस्ट (B Coal Dust) एवं दुर्घटनाओं से दो-चार होते रहते हैं. बढ़ते प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी हवाला दिया गया था. संगठनों ने जनसुनवाई का भी जिक्र किया था.
नियमों का लगातार किया जा रहा था उल्लंघन
इस संबंध में भू-विस्थापित संगठन के जिला अध्यक्ष सपूरण कुलदीप का कहना है कि ईएसी के निर्णय का हम स्वागत करते हैं. एसईसीएल द्वारा लगातार नियमों का उल्लंघन कर खदान का विस्तार किया जाता रहा है. अब 49 से सीधे 70 एमटीपीए के विस्तार की अनुमति मांगी गई थी.
एसईसीएल की ओर से कई तरह की रिपोर्ट को प्रस्तुति नहीं किया गया. स्थानीय लोग किस तरह का दुष्प्रभाव झेलते हैं, उनका जीवन कितनी कठिनाइयों से भरा हुआ है? इस संबंध में एसईसीएल की ओर से कोयला मंत्रालय को प्रस्तुत रिपोर्ट में कोई जिक्र ही नहीं किया गया है.
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मानदंडों पर खरा उतरने को लेकर किया जा रहा है काम
खदान विस्तार पर रोक के प्रश्न पर एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय के पीआरओ सनिष चंद्रा का कहना है कि इएसी की सुनवाई के दौरान जिन बातों का जिक्र किया गया है, उन सभी मापदंडों को निर्धारित समय में पूर्ण कर लिया जाएगा. जिन नियमों का जिक्र ईएसी ने किया है, वह एक रूटीन प्रक्रिया है. जब कभी किसी खदान का 5 एमटीपीए से अधिक का विस्तार किया जाता है तब विशेषज्ञ टीम आती है. निरीक्षण करती है. रिपोर्ट में प्रस्तुत किए गए प्रावधानों की जांच होती है.