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देश को 16 फीसदी कोयला देने के बाद भी कोरबा में खत्म नहीं हो रही समस्याएं: ज्योत्सना महंत

भारत सरकार (Indian government) के कोयला एवं खान मंत्रालय (Ministry of Coal and Mines) परामर्शदात्री समिति की बैठक 27 अक्टूबर को संसद भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद एवं परामर्शदात्री समिति की सदस्य ज्योत्सना महंत भी शामिल हुईं.

कोरबा में खत्म नहीं हो रही समस्याएं
कोरबा में खत्म नहीं हो रही समस्याएं
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Published : Oct 27, 2021, 10:05 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 11:03 PM IST

कोरबाः भारत सरकार के कोयला एवं खान मंत्रालय परामर्शदात्री समिति की बैठक 27 अक्टूबर को संसद भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद एवं परामर्शदात्री समिति की सदस्य ज्योत्सना महंत भी शामिल हुईं.
सांसद ने संसदीय क्षेत्र के कोरबा व कोरिया जिले में संचालित लगभग 2 दर्जन कोयला खदानों (coal mines) का जिक्र करते हुए कहा कि देश में कोयला का कुल उत्पादन 720 मिलियन टन लक्ष्य के विरूद्ध अकेले कोरबा जिले की खदान से ही 120 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है. इसके बाद भी सुविधाओं के नाम पर कोल इंडिया व एसईसीएल (Coal India and SECL) का रवैय्या भू-विस्थापितों एवं क्षेत्रवासियों के प्रति कुछ अच्छा नहीं है.

सांसद ने बैठक में क्षेत्र की अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि एसईसीएल के अधिकारी जनप्रतिनिधियों से कोई तालमेल बनाकर काम नहीं करते. उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि कोयला मंत्री उनके संसदीय क्षेत्र कोरबा आए लेकिन इसकी कोई सूचना मुझे नहीं दी गई अन्यथा मुलाकात कर समस्याओं से जरूरत अवगत करातीं.

सांसद ने दोहराया कि खदानों के अनेक भू-विस्थापितों को नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास का पिछले 20 सालों से निराकरण लंबित है. खदान क्षेत्र और आसपास के सड़कों की हालत काफी दयनीय है. खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. बांकीमोंगरा में बड़ा अस्पताल होने के बावजूद डॉक्टर, नर्स का नहीं होना, सिटी स्कैन मशीन नहीं होना चिंता का विषय है.

कोयले की कमी और बेरोगारी को लेकर SECL मुख्यालय का लोरमी विधायक ने किया घेराव

सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के लिए नहीं कोई पहल
यह अस्पताल राज्य सरकार को देने का सुझाव रखा. सांसद ने कहा कि उन्होंने कई बार सुपरस्पेशिलिटी हास्पिटल कोरबा व कोरिया के लिए मांगा किंतु कोई कदम नहीं उठाया गया. लगभग 10 हजार खदान कर्मियों के लिए व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है. सामुदायिक विकास के तहत होने वाले पानी, साफ-सफाई जैसे मूलभूत कार्यों में भी घोर लापरवाही एसईसीएल के अधिकारी बरत रहे हैं. कोरबा व कोरिया में माइनिंग कॉलेज की नितांत आवश्यकता है. इसके लिए झगरहा के कॉलेज में माइनिंग ब्रांच खोली जा सकती है. इसी तरह कोरबा व कोरिया जिले में स्कील्ड कॉलेज भी प्रारंभ करने की आवश्यकता है.

भू-विस्थापितों का भी हुआ जिक्र

बैठक में सांसद ज्योत्सना महंत के द्वारा भू-विस्थापितों की लंबित समस्याओं और मांगों का प्राथमिकता से निराकरण करने पर जोर दिया गया तो वहीं केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने राज्य सरकार के ऊपर सारी बात डाल दी. सांसद ने उन्हें स्पष्ट किया कि 15 साल तक तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की ही सरकार थी. 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार को अभी ढाई साल ही बीते हैं.
जिसका आधे से ज्यादा समय कोरोना काल में बीत गया. बाकी बचे समय में प्रभावित भू-विस्थापितों के विकास के लिए राजनीति से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ सरकार ने काम किया है.

कोरबाः भारत सरकार के कोयला एवं खान मंत्रालय परामर्शदात्री समिति की बैठक 27 अक्टूबर को संसद भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद एवं परामर्शदात्री समिति की सदस्य ज्योत्सना महंत भी शामिल हुईं.
सांसद ने संसदीय क्षेत्र के कोरबा व कोरिया जिले में संचालित लगभग 2 दर्जन कोयला खदानों (coal mines) का जिक्र करते हुए कहा कि देश में कोयला का कुल उत्पादन 720 मिलियन टन लक्ष्य के विरूद्ध अकेले कोरबा जिले की खदान से ही 120 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है. इसके बाद भी सुविधाओं के नाम पर कोल इंडिया व एसईसीएल (Coal India and SECL) का रवैय्या भू-विस्थापितों एवं क्षेत्रवासियों के प्रति कुछ अच्छा नहीं है.

सांसद ने बैठक में क्षेत्र की अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि एसईसीएल के अधिकारी जनप्रतिनिधियों से कोई तालमेल बनाकर काम नहीं करते. उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि कोयला मंत्री उनके संसदीय क्षेत्र कोरबा आए लेकिन इसकी कोई सूचना मुझे नहीं दी गई अन्यथा मुलाकात कर समस्याओं से जरूरत अवगत करातीं.

सांसद ने दोहराया कि खदानों के अनेक भू-विस्थापितों को नौकरी, मुआवजा, पुनर्वास का पिछले 20 सालों से निराकरण लंबित है. खदान क्षेत्र और आसपास के सड़कों की हालत काफी दयनीय है. खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. बांकीमोंगरा में बड़ा अस्पताल होने के बावजूद डॉक्टर, नर्स का नहीं होना, सिटी स्कैन मशीन नहीं होना चिंता का विषय है.

कोयले की कमी और बेरोगारी को लेकर SECL मुख्यालय का लोरमी विधायक ने किया घेराव

सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के लिए नहीं कोई पहल
यह अस्पताल राज्य सरकार को देने का सुझाव रखा. सांसद ने कहा कि उन्होंने कई बार सुपरस्पेशिलिटी हास्पिटल कोरबा व कोरिया के लिए मांगा किंतु कोई कदम नहीं उठाया गया. लगभग 10 हजार खदान कर्मियों के लिए व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है. सामुदायिक विकास के तहत होने वाले पानी, साफ-सफाई जैसे मूलभूत कार्यों में भी घोर लापरवाही एसईसीएल के अधिकारी बरत रहे हैं. कोरबा व कोरिया में माइनिंग कॉलेज की नितांत आवश्यकता है. इसके लिए झगरहा के कॉलेज में माइनिंग ब्रांच खोली जा सकती है. इसी तरह कोरबा व कोरिया जिले में स्कील्ड कॉलेज भी प्रारंभ करने की आवश्यकता है.

भू-विस्थापितों का भी हुआ जिक्र

बैठक में सांसद ज्योत्सना महंत के द्वारा भू-विस्थापितों की लंबित समस्याओं और मांगों का प्राथमिकता से निराकरण करने पर जोर दिया गया तो वहीं केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने राज्य सरकार के ऊपर सारी बात डाल दी. सांसद ने उन्हें स्पष्ट किया कि 15 साल तक तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की ही सरकार थी. 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार को अभी ढाई साल ही बीते हैं.
जिसका आधे से ज्यादा समय कोरोना काल में बीत गया. बाकी बचे समय में प्रभावित भू-विस्थापितों के विकास के लिए राजनीति से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ सरकार ने काम किया है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 11:03 PM IST
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