कोरबाः साल का अंत करीब है और इसके 2 महीने बाद वित्तीय वर्ष में समाप्त हो जाएगा. ऐसे में एसईसीएल आपने कोयला उत्पादन के सालाना लक्ष्य (annual target of coal production) को प्राप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है.
देश की दूसरी सबसे खुली कोयला खदान और एसईसीएल के मेगा परियोजना में शामिल कुसमुंडा के निराशाजनक प्रदर्शन, एसईसीएल के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. कुसमुंडा का सालाना कोयला उत्पादन (Kusmunda's annual coal production) का लक्ष्य 45 मिलियन टन है. इसके मुकाबले अब तक 16 मिलियन टन उत्पादन ही किया जा सका है. प्रतिदिन 1 लाख टन कोयले के उत्पादन के लक्ष्य को भी कुसमुंडा प्राप्त नहीं कर पा रहा है.
महीने भर से आंदोलन, अफसर भी बदले
कुसमुंडा एरिया में लगातार भू विस्थापितों का आंदोलन (land displaced movement) चल रहा है. कई शिकायतें भी हुई थी, हाल ही में कुसमुंडा एरिया के सीजीएम को बदल दिया गया था. पुराने के स्थान पर नए सीजीएम यहां काम कर रहे हैं. जिनसे एसईसीएल को काफी उम्मीदें भी हैं. दूसरी तरफ कुसमुंडा खदान में ही भू-विस्थापित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अफसरों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ आंदोलन तो ऐसे हैं, जो महीने भर से लगातार चल रहे हैं. मांगों पर सहमति नहीं बन रही है.
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एसईसीएल का टारगेट है 172 मिलियन टन
वर्तमान वित्तीय वर्ष में एसईसीएल ने 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट रखा है. अब इस टारगेट को पूरा करने में एसईसीएल के तीन मेगा परियोजना है गेवरा, दीपका व कुसमुंडा के सबसे अहम योगदान है. इसके अलावा कोरबा एरिया, बैकुंठपुर, भटगांव, विश्रामपुर चिरमिरी, हसदेव, जमुना कोतमा, जोहिला, रायगढ़ व सुहागपुर एरिया के बूते एसईसीएल को निर्धारित कोयला उत्पादन का टारगेट पूरा करना है.
2 दिन पहले तक की स्थिति में एसईसीएल ने 80 मिलियन टन कोयले का उत्पादन पूरा कर लिया है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिये अब शेष बचे 4 महीने से भी कम समय में 92 मिलियन का कोयला उत्पादन करना होगा. जो की बड़ी चुनौती है, इसे प्राप्त कर पाना संभव नहीं लग रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण कुसमुंडा खदान का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है.
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कुसमुंडा में अब तक सिर्फ 15.75 मिलियन टन उत्पादन
कुसमुंडा कोयला खदान, एसईसीएल के मेगा परियोजना में शामिल है. जिसका सालाना कोयला उत्पादन का टारगेट 45 मिलियन टन है. निर्धारित टारगेट के अनुसार अब तक कुसमुंडा एरिया को लगभग 27 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लेना चाहिए था. लेकिन यह फिलहाल 15.75 मिलियन टन पर जाकर अटका हुआ है. अब कुसमुंडा एरिया को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले 29 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करना होगा. जो कि किसी भी सूरत में संभव नहीं लग रहा है, यह स्थिति ना सिर्फ कुसमुंडा कोयला खदान प्रबंधन बल्कि पूरे एसईसीएल सहित कोल इंडिया लिमिटेड के लिए भी बड़े चिंता का कारण है.
करेंगे हर संभव प्रयास
टारगेट से पिछड़ने और कुसमुंडा खदान के निराशाजनक प्रदर्शन के सवाल पर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्र ने बताया कि साल के अंत में हम पूरी तीव्रता से काम करेंगे. प्रयास यही है कि टारगेट को पूरा कर लिया जाए। पूरा प्रयास रहेगा कि हर हाल में साल का अंत होते-होते टारगेट प्राप्त किया जाए.