कोरबाः लंबे समय से शिक्षा विभाग में अटैचमेंट (attachment in education department) का खेल चल रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के दुर्गम इलाकों के स्कूलों में शिक्षक अपनी सेवाएं नहीं देना चाहते. वह किसी तरह अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सांठगांठ करके अपनी पदस्थापना शहर के स्कूलों में करवा लेते हैं. पिछले कई सालों से लगभग 350 शिक्षक गांव से आकर शहर में जमे हुए थे.
जिले के नव-पदस्थ डीईओ जीपी भारद्वाज (Newly appointed DEO GP Bhardwaj) ने दावा किया है कि अब एजुकेशन डिपार्टमेंट (education department) में सभी शिक्षकों का अटैचमेंट (attachment) खत्म कर दिया गया है. उनकी तैनाती अब केवल एकल शिक्षकीय स्कूलों में है.देखा जाय तो शिक्षकों का अटैचमेंट (Teacher attachment) स्थाई ट्रांसफर नहीं होता. अटैचमेंट का अर्थ है कि जिस स्कूल में शिक्षक की मूल-पदस्थापना है. उनका वेतन उसी संस्था से बनेगा लेकिन उन्हें स्थाई तौर पर काम करने के लिए मनपसंद स्थान पर पदस्थापित कर दिया जाता है.अटैचमेंट की मलाई काटने वाली शिक्षक सेवाएं अपने मनपसंद स्कूल में देते हैं. लेकिन सैलरी (salary) उसी स्कूल से लेते हैं जहां उनकी मूल पदस्थापना है.
जनप्रतिनिधियों से संपर्क का उठाते हैं फायदा
ऐसे में जिस स्कूल में उनकी मूल पदस्थापना है, वहां शिक्षकों का पद रिकॉर्ड (teacher post record) में भरा हुआ ही रहता है. पद रिक्त नहीं होने के कारण मूल पदस्थापना वाले स्कूल में शिक्षकों की कमी हो जाती है. जबकि मनपसंद स्थान पर जरूरत से अधिक शिक्षक तैनात कर दिए जाते हैं. पहली तरह के अटैचमेंट में शिक्षक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से रसूख के बल पर अपने आपको अपनी मनपसंद स्थान पर वह सेवा अटैच करवा लेते हैं. इस तरह के आदेश ना सिर्फ एजुकेशन डिपार्टमेंट (education department) बल्कि एसडीएम (SDM ), (DM) और जिला पंचायत से भी जारी किए जाते हैं.
दूसरी तरह के अटैचमेंट के अंतर्गत एकल शिक्षकीय स्कूल, जो स्कूल शिक्षक विहीन है, वहां किसी न किसी शिक्षक को अटैच किया जाता है ताकि वहां बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो. तीसरी तरह के अटैचमेंट में कुछ शिक्षकों से गैर-शिक्षा के कार्य लेने के लिए अधिकारियों ने अपनी सुविधा अनुसार शिक्षकों को अपने अधीन अटैच कर रखा है. ऐसे कई शिक्षक जिले में मिल जाएंगे जो कि एडमिनिस्ट्रेशन के विभिन्न कार्यालयों में बाबू-गिरी कर रहे हैं.
पोड़ी उपरोड़ा और करतला सर्वाधिक प्रभावित
जिले के पोड़ी उपरोड़ा और करतला ब्लॉक सबसे ज्यादा शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. यहां के दुर्गम इलाकों में शिक्षक पढ़ाना नहीं चाहते. वह ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से खुद को शहरों में अटैच (attached) कर लेते हैं. यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर काफी नीचे है.
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कलेक्टर की फटकार के बाद पूर्व डीईओ ने जारी किया था आदेश
जिले के पूर्व डीईओ सतीश पांडेय ने अटैच शिक्षकों की सूची बनवाई थी. अटैचमेंट (attachment) समाप्त करने का खूब शोर मचाया लेकिन इसे समाप्त नहीं किया.
अटैचमेंट का खेल सतीश पांडेय के कार्यकाल में जोरों पर था. अपने ट्रांसफर (transfer) के ठीक पहले जिले की नव-पदस्थ कलेक्टर रानू साहू की फटकार के बाद सतीश पांडेय ने अटैचमेंट (attachment) समाप्त करने संबंधी एक विवादित आदेश जारी किया है. शिकायत होने पर दोबारा आदेश जारी कर सभी तरह के अटैचमेंट समाप्त करने संबंधी आदेश जारी किया. बावजूद, इनके अटैचमेंट (attachment) पूरी तरह से समाप्त नहीं हो सका था. शिक्षक अपने मनपसंद स्कूल में जमे हुए थे. लेकिन अब वर्तमान डीईओ (DEO) ने दावा किया है कि विभाग में अटैचमेंट का खेल पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है..
डीईओ जीपी भारद्वाज (DEO GP Bhardwaj) ने बताया कि एकल शिक्षकीय स्कूलों को छोड़कर, अब कोई शिक्षक अटैच नहीं है. अटैचमेंट (attachment) पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है. यदि कहीं किसी शिक्षक को कार्य मुक्त नहीं किया गया है तो इसे दिखवा लेंगे.