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NTPC की राखड़ के कारण कहीं कई जिंदगियां ना हो जाए राख !

कोरबा एनटीपीसी का राख धनरास और आसपास के करीब 15 गांवों के लिए मुसीबत बन बैठा है. आलम ये है कि प्रदूषण के साथ अब ग्रामीण बीमारियों के शिकार हो रहे (ashes of NTPC of Korba became deadly ) हैं.

ashes of NTPC of Korba became deadly
राखड़ के कारण कहीं कई जिंदगियां ना हो जाए राख
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Published : Jun 2, 2022, 2:12 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 10:15 PM IST

कोरबा : एनटीपीसी के राखड़ डैम ने ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर रखा है. नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कंपनी धनरास गांव के राखड़ डैम में राख डंप कर रही है. व्यापक इंतजाम तो दूर राख में पानी का छिड़काव तक नहीं हो रहा है. जिससे जहरीला राख उड़कर आसमान में बादल का रूप ले रहे हैं. भीषण गर्मी में हल्की हवा चलते ही आस पास के दर्जन भर गांव में राख की आंधी चल रही है. जिससे ग्रामीण बेहद परेशान हैं, हालात यह हैं कि ग्रामीण गर्मी के मौसम में आंगन में खाना नहीं बना पाते. उनकी त्वचा में खुजली का प्रकोप है जिससे ग्रामीण नाराज (ashes of NTPC of Korba became deadly ) हैं.


कितने गांव हैं राखड़ से प्रभावित : धनरास एनटीपीसी पावर प्लांट के राख डैम की ग्राउंड (Ash Dam of Dhanras NTPC Power Plant) रिपोर्ट करने ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची थी. इस दौरान हवा चलने पर आसमान में राख का गुबार दिखाई दिया. पानी का छिड़काव नहीं होने से राख उड़कर आसमान में बादल का आकार ले रहे हैं. जिससे आसपास के लगभग दर्जनभर गांव प्रभावित हैं. सभी स्थानों पर जहरीले राख की बारिश हो रही है. गांव धनरास के साथ ही साथ जाटांगपुर, छूरीखुर्द, गंगपुर, झोरा, सलोरा, बिशनपुर, बरेड़ीमुड़ा, चोरभट्टी और नवागांव कला जैसे गांव रखाड़ डैम से उड़ने वाली राख से परेशान हैं.

राख से कोरबा हो रहा तबाह !
राखड़ से पनप रहा रोग : गांव धनरास के स्थानीय निवासी चमरा दास नहर से नहाकर घर वापस लौट रहे थे. चमरा दास ने कहा कि "मैं अभी सलिहाभाठा के नहर से नहा कर निकला ही था, कि राख की वर्षा होने लगी. राख ने पूरे गांव का जीना दुश्वार कर रखा (ash borne disease) है. पूरे गांव में राख का भीषण प्रकोप है. एनटीपीसी की राख से जीवन प्रभावित हो रहा है.जब हम समीप के अस्पताल इलाज कराने जाते हैं और बताते हैं कि हम गांव धनरास से हैं. तो पहले ही कह दिया जाता है तुम बीमार हो, एनटीपीसी ने वादा किया था कि नि:शुल्क इलाज करेंगे. लेकिन आज 20 साल हो गए यह वादा पूरा नहीं हुआ है.''महिलाएं भी हैं परेशान : गांव धनरास के ही रवि कुमार कंवर घर पर मौजूद थे. जिन्होंने बताया कि "राख से अब महिलाओं का आंगन में खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है. गर्मी के मौसम में गांव की महिलाएं आंगन में खाना पकाती हैं. लेकिन अब यह भी संभव नहीं है. हल्की सी भी हवा चलने पर गांव में राख की वर्षा होने लगती है.''

क्यों बनीं राख की समस्या : भारत सरकार के फ्लाई एश पोर्टल (Fly Ash Portal of Government of India) में एनटीपीसी के कोरबा और सीपत सहित सभी संयंत्रों को मिलाकर 9428 MW की विद्युत उत्पादन संयंत्र को दर्शाया गया है. जहां से 151 मीट्रिक टन राख का उत्सर्जन और 77 मीट्रिक टन के यूटिलाइजेशन होने की जानकारी है. जो की कुल राख यूटिलाइजेशन का 50 फीसदी हिस्सा भी नहीं है. 50 फीसदी राख पावर प्लांट के लिए सिरदर्द है.

राख डंप का विकल्प क्या : एनटीपीसी पावर प्लांट से उत्सर्जित राख को फिलहाल पाइपलाइन के जरिए धनरास राख डैम में ही डंप किया जाता है. पावर प्लांट का लगातार संचालन हो रहा है. कंपनी ने अतिरिक्त राख डैम बनाने के लिए छूरी और धनरास के निकट 1024 एकड़ भूमि का चिन्हांकन किया था. लेकिन यहां कुछ क्षेत्र में लेमरू एलिफेंट रिजर्व के आ जाने से सरकार से एनटीपीसी को इस प्रोजेक्ट की अनुमति नहीं मिली. इस बात की जानकारी एनटीपीसी के तत्कालीन ईडी बिस्वरूप बसु ने दी थी. यह भी कहा था कि 'अब हमारी मजबूरी है कि जो राख डैम हमारे पास उपलब्ध है, उसी के बचे हुए इलाके में राख डालना होगा''

ये भी पढ़ें- धुआं-धुआं है छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी, लॉकडाउन के बाद भी साफ नहीं दिखता आसमान


नहीं मिल सकी कोई ठोस जानकारी : एनटीपीसी पावर प्लांट के धनरास राखड़ डैम से ग्रामीणों को हो रही परेशानी और राख उड़ने के संबंध में एनटीपीसी की जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा ने तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही. हिमानी ने कहा कि इस विषय में उच्चाधिकारियों से तकनीकी जानकारी लेने के उपरांत ही कुछ बता पाएंगी. लेकिन समस्या पर कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई.

कोरबा : एनटीपीसी के राखड़ डैम ने ग्रामीणों का जीना दुश्वार कर रखा है. नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कंपनी धनरास गांव के राखड़ डैम में राख डंप कर रही है. व्यापक इंतजाम तो दूर राख में पानी का छिड़काव तक नहीं हो रहा है. जिससे जहरीला राख उड़कर आसमान में बादल का रूप ले रहे हैं. भीषण गर्मी में हल्की हवा चलते ही आस पास के दर्जन भर गांव में राख की आंधी चल रही है. जिससे ग्रामीण बेहद परेशान हैं, हालात यह हैं कि ग्रामीण गर्मी के मौसम में आंगन में खाना नहीं बना पाते. उनकी त्वचा में खुजली का प्रकोप है जिससे ग्रामीण नाराज (ashes of NTPC of Korba became deadly ) हैं.


कितने गांव हैं राखड़ से प्रभावित : धनरास एनटीपीसी पावर प्लांट के राख डैम की ग्राउंड (Ash Dam of Dhanras NTPC Power Plant) रिपोर्ट करने ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची थी. इस दौरान हवा चलने पर आसमान में राख का गुबार दिखाई दिया. पानी का छिड़काव नहीं होने से राख उड़कर आसमान में बादल का आकार ले रहे हैं. जिससे आसपास के लगभग दर्जनभर गांव प्रभावित हैं. सभी स्थानों पर जहरीले राख की बारिश हो रही है. गांव धनरास के साथ ही साथ जाटांगपुर, छूरीखुर्द, गंगपुर, झोरा, सलोरा, बिशनपुर, बरेड़ीमुड़ा, चोरभट्टी और नवागांव कला जैसे गांव रखाड़ डैम से उड़ने वाली राख से परेशान हैं.

राख से कोरबा हो रहा तबाह !
राखड़ से पनप रहा रोग : गांव धनरास के स्थानीय निवासी चमरा दास नहर से नहाकर घर वापस लौट रहे थे. चमरा दास ने कहा कि "मैं अभी सलिहाभाठा के नहर से नहा कर निकला ही था, कि राख की वर्षा होने लगी. राख ने पूरे गांव का जीना दुश्वार कर रखा (ash borne disease) है. पूरे गांव में राख का भीषण प्रकोप है. एनटीपीसी की राख से जीवन प्रभावित हो रहा है.जब हम समीप के अस्पताल इलाज कराने जाते हैं और बताते हैं कि हम गांव धनरास से हैं. तो पहले ही कह दिया जाता है तुम बीमार हो, एनटीपीसी ने वादा किया था कि नि:शुल्क इलाज करेंगे. लेकिन आज 20 साल हो गए यह वादा पूरा नहीं हुआ है.''महिलाएं भी हैं परेशान : गांव धनरास के ही रवि कुमार कंवर घर पर मौजूद थे. जिन्होंने बताया कि "राख से अब महिलाओं का आंगन में खाना बनाना भी मुश्किल हो गया है. गर्मी के मौसम में गांव की महिलाएं आंगन में खाना पकाती हैं. लेकिन अब यह भी संभव नहीं है. हल्की सी भी हवा चलने पर गांव में राख की वर्षा होने लगती है.''

क्यों बनीं राख की समस्या : भारत सरकार के फ्लाई एश पोर्टल (Fly Ash Portal of Government of India) में एनटीपीसी के कोरबा और सीपत सहित सभी संयंत्रों को मिलाकर 9428 MW की विद्युत उत्पादन संयंत्र को दर्शाया गया है. जहां से 151 मीट्रिक टन राख का उत्सर्जन और 77 मीट्रिक टन के यूटिलाइजेशन होने की जानकारी है. जो की कुल राख यूटिलाइजेशन का 50 फीसदी हिस्सा भी नहीं है. 50 फीसदी राख पावर प्लांट के लिए सिरदर्द है.

राख डंप का विकल्प क्या : एनटीपीसी पावर प्लांट से उत्सर्जित राख को फिलहाल पाइपलाइन के जरिए धनरास राख डैम में ही डंप किया जाता है. पावर प्लांट का लगातार संचालन हो रहा है. कंपनी ने अतिरिक्त राख डैम बनाने के लिए छूरी और धनरास के निकट 1024 एकड़ भूमि का चिन्हांकन किया था. लेकिन यहां कुछ क्षेत्र में लेमरू एलिफेंट रिजर्व के आ जाने से सरकार से एनटीपीसी को इस प्रोजेक्ट की अनुमति नहीं मिली. इस बात की जानकारी एनटीपीसी के तत्कालीन ईडी बिस्वरूप बसु ने दी थी. यह भी कहा था कि 'अब हमारी मजबूरी है कि जो राख डैम हमारे पास उपलब्ध है, उसी के बचे हुए इलाके में राख डालना होगा''

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नहीं मिल सकी कोई ठोस जानकारी : एनटीपीसी पावर प्लांट के धनरास राखड़ डैम से ग्रामीणों को हो रही परेशानी और राख उड़ने के संबंध में एनटीपीसी की जनसंपर्क अधिकारी हिमानी शर्मा ने तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही. हिमानी ने कहा कि इस विषय में उच्चाधिकारियों से तकनीकी जानकारी लेने के उपरांत ही कुछ बता पाएंगी. लेकिन समस्या पर कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई.

Last Updated : Jun 2, 2022, 10:15 PM IST

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