बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर समेत मद्देड,भोपालपटनम,आवापल्ली में मारवाड़ी समाज ने गणगौर तीज (Women performed Gangaur Puja in Bijapur) मनाया. इस दिन शादीशुदा सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं. गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता (Gangaur Teej is also known as Saubhagya Tritiya) है . गणगौर तीज के एक दिन पहले कुंवारी और नवविवाहित महिलाएं पूजी हुई गणगौर को नदी, तालाब या सरोवर में पानी पिलाती हैं. इसके बाद दूसरे दिन शाम के समय गणगौर का विसर्जन किया जाता है. बताया जा रहा है कि ये पर्व मुख्य रूप से राजस्थान में मनाया जाता है.
कब होती है गणगौर पूजा : गणगौर की शुरुआत होली के दूसरे दिन होती है . यह अगले सोलह दिनों तक मनाया जाता है. वहीं गणगौर चैत्र शुक्ल की तृतीया को संपूर्ण होता है. इस दिन शादीशुदा सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं. गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. शादीशुदा सुहागिन महिलाएं इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं.
आखिरी दिन होता है विसर्जन : गणगौर तीज के दिन ईष्ट देव यानी भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है. गणगौर के व्रत के दिन शुद्ध, साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता गौरी की आकृतियां बनाई जाती हैं. इसके बाद इन्हें अच्छे से सजाया जाता है. इनकी विधि विधान से पूजा की जाती है. गणगौर के आखिरी दिन इनका विसर्जन कर दिया जाता है.