जगदलपुर: कुत्तों को इंसान का सबसे वफादार साथी कहा जाता है, लेकिन जब ये वफादार साथी आक्रामक हो जाए, तो किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. पिछले कई दिनों से प्रदेश में डॉग बाइटिंग की खबरें सामने आ रही हैं. बरसात के मौसम में आवारा कुत्ते खतरनाक हो जाते हैं. बात करें अगर जगदलपुर शहर की, तो यहां लोग इन आवारा कुत्तों के झुंड से परेशान हैं, जो हर आते-जाते लोगों पर हमला कर रहे हैं. इन आवारा कुत्तों के आतंक की वजह से जिले के सरकारी अस्पतालों में काफी संख्या में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. हर दिन अस्पताल में 20 से 30 मरीज कुत्तों के हमले से घायल होकर यहां पहुंचते हैं.
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जगदलपुर में आए दिन शहर की गलियों और सड़कों पर बेखौफ आवारा कुत्तों का समूह राहगीरों और स्थानीय लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर रहा है. इसके बावजूद इनकी संख्या पर नियंत्रण लगाने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. जिले में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर हावी है कि इसकी गवाही सरकारी अस्पताल में पहुंच रहे लोगों और बच्चों की संख्या देती है. कुछ महीने पहले ही जिले के बकावंड ब्लॉक में एक आवारा कुत्ते ने 22 लोगों को अपना शिकार बनाया था और सभी को लहूलुहान कर छोड़ा था. इस घटना के बाद बकावंड ब्लॉक के ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद भी कुत्तों की धरपकड़ के लिए प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
शहर के बाजारों में बढ़ा कुत्तों का आतंक
शहर के मुख्य बाजार संजय मार्केट में कुत्तों का आतंक काफी बढ़ गया है. सुबह से लेकर रात तक बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों की दहशत से लोग बाजार में आने से डरते हैं. यही नहीं कई बार तो बच्चों से लेकर महिलाओं को भी कुत्तों ने अपना शिकार बनाया है. बाजार में अपनी दुकानें लगाने वाले लोग भी इन आवारा कुत्तों के शिकार हो चुके हैं. मार्केट के व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष शरीफ कुरैशी ने बताया कि उन्होंने इससे पहले भी इन आवारा कुत्तों की धरपकड़ और इनसे निजात दिलाने के लिए निगम में शिकायत की है, बावजूद इसके अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. लिहाजा कुत्तों की दहशत से कई बार लोगों का घरों से निकलना मुश्किल होता जा रहा है. मुख्य बाजार में अपनी दुकानें लगाने वाले व्यापारियों ने भी बताया कि आलम यह है कि सुबह जब वे अपने दुकानें खोलने आते हैं, तो बाजार की हर गली में बड़ी संख्या में कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है. कई बार लोगों को दौड़ाकर ये कुत्ते काट चुके हैं.
निगम के पास संसाधन की कमी
नगर निगम के आयुक्त का कहना है कि उन्हें भी कुत्तों के काटने की कई बार शिकायतें मिल चुकी हैं. जुलाई में इन कुत्तों की नसबंदी के लिए टेंडर भी निकाला गया,लेकिन इसमें किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई. आयुक्त ने बताया कि फिलहाल जहां उन्हें कुत्तों के आतंक की सूचना मिलती है, तो वे नगर निगम के कर्मचारियों को उन्हें पकड़ने भेजते हैं. फिलहाल इनकी धरपकड़ के लिए निगम के पास कोई वाहन उपलब्ध नहीं है. लिहाजा इन्हें पकड़कर काऊ कैचर गाड़ी में जंगल में छोड़ा जाता है. उन्होंने बताया कि अब तक इनके आतंक को रोक पाने के लिए निगम के पास कोई कारगर उपाय नहीं है, लेकिन जैसे ही आने वाले महीनों में टेंडर की प्रक्रिया पूरी होती है, तो टीम के साथ इन आवारा कुत्तों की धरपकड़ करने के साथ ही इनकी नसबंदी कराई जाएगी. आयुक्त ने माना कि फिलहाल निगम प्रशासन के पास इन आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए न तो पर्याप्त संसाधन है और ना ही मैन पॉवर.
कुत्तों के काटने पर क्या करें
अगर आपको या आपके आसपास किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले, तो आपको निम्न तरीके से घाव का प्राथमिक उपचार करना चाहिए.
- ब्लीडिंग रोकने के लिए घाव या चोट के आसपास साफ तौलिया लगाएं.
- क्षतिग्रस्त हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाकर रखने की कोशिश करें.
- साबुन और पानी से ध्यानपूर्वक चोट वाले हिस्से को साफ करें.
- अगर आपके पास एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे चोट पर लगाएं
- घाव पर साफ बैंडेज लगाएं.
- बैंडेज को लगा रहने दें और पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाएं.
- दिन में कई बार बैंडेज बदलें.
- संक्रमण के संकेत जैसे कि लालिमा, सूजन, दर्द और बुखार आदि को नजरअंदाज न करें.