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बस्तर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अधिकारी कर्मचारी, सरकारी दफ्तरों में कामकाज प्रभावित - बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार

अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के हड़ताल के दूसरे दिन बस्तर संभाग के सभी सरकारी दफ्तरों में कामकाज प्रभावित है. कामों को लेकर बड़ी संख्या में लोग शासकीय कार्यालय पहुंच रहे हैं. लेकिन उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ रहा है.

Officer employees on indefinite strike in baster
बस्तर में अनिश्चितकालीन हड़ताल
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Published : Aug 23, 2022, 8:27 PM IST

बस्तर: अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन (Officer Employees Federation) 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के दूसरे दिन फेडरेशन ने शहर के मुख्य मार्गो से रैली निकालकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. फेडरेशन के आह्वान पर सभी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ न्यायिक कर्मचारी भी अपनी महंगाई भत्ता और एचआरए को लेकर आंदोलन पर उतर गए हैं. जिनके हड़ताल पर चले जाने से न्यायालय में कोई भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही हैं. वहीं सरकारी दफ्तरों की भी कुर्सियां खाली हैं.

दफ्तरों से खाली हाथ लौट रहे लोग: अपने कामों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग न्यायालय व शासकीय कार्यालय पहुंच रहे हैं. जहां दफ्तर में अधिकारियों के नहीं होने का चलते उन्हें निराश होकर खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ रहा है. बस्तर संभाग में अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के लगभग 95 हजार कर्मचारी हैं, जो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि "जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक वह अपनी हड़ताल जारी रखेंगे.

बस्तर में हड़ताल
प्रदर्शनकारियों से नाराज दिखे लोग: अपनी विभिन्न कामों को लेकर जिला कार्यालय पहुंचे लोगों में कर्मचारियों के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिली है. समर सिंह चौहान ने बताया कि "उन्होंने कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक आवेदन लगाया था. इस आवेदन का निराकरण आज किया जाना था. लेकिन जिला कार्यालय में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं रहने की वजह से उनका काम अटका हुआ है." वे बेहद ही नाखुश होकर कर्मचारियों के ऊपर अपनी नाराजगी जताते नजर आए.


यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ अधिकारियों कर्मचारियों की हड़ताल में शामिल लिपिक संघ में फूट


बस्तर कलेक्टर ने क्या कहा: मामले पर बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि "राज्य शासन के निर्देशानुसार बस्तर जिले में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. सभी कार्यालयों में संविदा के कर्मचारियों को तैनात किया गया है, ताकि आम नागरिकों की समस्या दूर हो सके. वहीं अपने काम से कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे लोगों ने कलेक्टर से व्यक्तिगत शिकायत भी की है. जिनकी शिकायत पर कलेक्टर ने कार्रवाई करने की बात कही है. इसके अलावा बस्तर जिले में शुरू किए गए ग्राम सचिवालय भी कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से प्रभावित हो रही है. ग्राम पंचायतों में लगने वाले ग्राम सचिवालय में नोडल अधिकारी अनुपस्थित हैं.

सभी शासकीय कार्यालय हैं बंद: जून महीने में अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने 5 दिन का हड़ताल का आवाहन किया था, लेकिन उनकी मांगे सरकार नहीं सुनी. जिस वजह से आज से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. फेडरेशन के प्रांत अध्यक्ष राजन गुप्ता ने कहा कि "प्रदेश में 5 लाख से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं. यह वही कर्मचारी हैं, जो राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था, न्यायालीन व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था, स्कूल व्यवस्था व सभी शासकीय कार्यालय बंद हैं."

कर्मचारियों को निराश करके कांग्रेस दोबारा सत्ता में नहीं आयेगी: साथ ही उन्होंने कहा कि "प्रदेश के 5 लाख कर्मचारी 3 सालों तक कोरोनाकाल मे बिना अवकाश के काम किये. सरकार ने रविवार के दिन भी काम करने को कहा, तो उन्होंने रविवार के दिन भी काम किया. उनकी वेतन कटौती भी हुई, फिर भी वह सरकार के लिए काम करते रहे. इसके बावजूद भी सरकार इनकी मांग पूरी नहीं कर रही है." उन्होंने कहा कि "5 लाख कर्मचारियों को निराश करके वे प्रदेश में दुबारा कांग्रेस की सरकार नहीं बना पाएंगे. क्योंकि शासकीय कर्मचारियों के पास वोट मांगने भी तो कैसे जाएंगे. इसके बावजूद भी उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो आने वाले दिनों में वे भूख हड़ताल करेंगे, जल समाधि लेंगे और हाथ में गंगा लेकर कांग्रेस को वोट नहीं देने का कार्यक्रम भी अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन करेगा."

बस्तर: अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन (Officer Employees Federation) 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के दूसरे दिन फेडरेशन ने शहर के मुख्य मार्गो से रैली निकालकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. फेडरेशन के आह्वान पर सभी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ न्यायिक कर्मचारी भी अपनी महंगाई भत्ता और एचआरए को लेकर आंदोलन पर उतर गए हैं. जिनके हड़ताल पर चले जाने से न्यायालय में कोई भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही हैं. वहीं सरकारी दफ्तरों की भी कुर्सियां खाली हैं.

दफ्तरों से खाली हाथ लौट रहे लोग: अपने कामों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग न्यायालय व शासकीय कार्यालय पहुंच रहे हैं. जहां दफ्तर में अधिकारियों के नहीं होने का चलते उन्हें निराश होकर खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ रहा है. बस्तर संभाग में अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के लगभग 95 हजार कर्मचारी हैं, जो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि "जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक वह अपनी हड़ताल जारी रखेंगे.

बस्तर में हड़ताल
प्रदर्शनकारियों से नाराज दिखे लोग: अपनी विभिन्न कामों को लेकर जिला कार्यालय पहुंचे लोगों में कर्मचारियों के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिली है. समर सिंह चौहान ने बताया कि "उन्होंने कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक आवेदन लगाया था. इस आवेदन का निराकरण आज किया जाना था. लेकिन जिला कार्यालय में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं रहने की वजह से उनका काम अटका हुआ है." वे बेहद ही नाखुश होकर कर्मचारियों के ऊपर अपनी नाराजगी जताते नजर आए.


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बस्तर कलेक्टर ने क्या कहा: मामले पर बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि "राज्य शासन के निर्देशानुसार बस्तर जिले में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. सभी कार्यालयों में संविदा के कर्मचारियों को तैनात किया गया है, ताकि आम नागरिकों की समस्या दूर हो सके. वहीं अपने काम से कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे लोगों ने कलेक्टर से व्यक्तिगत शिकायत भी की है. जिनकी शिकायत पर कलेक्टर ने कार्रवाई करने की बात कही है. इसके अलावा बस्तर जिले में शुरू किए गए ग्राम सचिवालय भी कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से प्रभावित हो रही है. ग्राम पंचायतों में लगने वाले ग्राम सचिवालय में नोडल अधिकारी अनुपस्थित हैं.

सभी शासकीय कार्यालय हैं बंद: जून महीने में अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने 5 दिन का हड़ताल का आवाहन किया था, लेकिन उनकी मांगे सरकार नहीं सुनी. जिस वजह से आज से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. फेडरेशन के प्रांत अध्यक्ष राजन गुप्ता ने कहा कि "प्रदेश में 5 लाख से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं. यह वही कर्मचारी हैं, जो राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था, न्यायालीन व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था, स्कूल व्यवस्था व सभी शासकीय कार्यालय बंद हैं."

कर्मचारियों को निराश करके कांग्रेस दोबारा सत्ता में नहीं आयेगी: साथ ही उन्होंने कहा कि "प्रदेश के 5 लाख कर्मचारी 3 सालों तक कोरोनाकाल मे बिना अवकाश के काम किये. सरकार ने रविवार के दिन भी काम करने को कहा, तो उन्होंने रविवार के दिन भी काम किया. उनकी वेतन कटौती भी हुई, फिर भी वह सरकार के लिए काम करते रहे. इसके बावजूद भी सरकार इनकी मांग पूरी नहीं कर रही है." उन्होंने कहा कि "5 लाख कर्मचारियों को निराश करके वे प्रदेश में दुबारा कांग्रेस की सरकार नहीं बना पाएंगे. क्योंकि शासकीय कर्मचारियों के पास वोट मांगने भी तो कैसे जाएंगे. इसके बावजूद भी उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो आने वाले दिनों में वे भूख हड़ताल करेंगे, जल समाधि लेंगे और हाथ में गंगा लेकर कांग्रेस को वोट नहीं देने का कार्यक्रम भी अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन करेगा."

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