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क्या बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद? - Congress manifesto

बस्तर में नक्सलवाद (Naxalism In Bastar) के साथ-साथ बेरोजगारी (Unemployment) भी एक सबसे बड़ी समस्या है. लगातार बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है. जानकारों का कहना है कि पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार (Employment To Youth) नहीं मिलने की वजह से ही वह गलत रास्ते पर जाने को विवश हो रहे हैं.

Naxalism is increasing in Bastar due to unemployment
बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद
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Published : Oct 2, 2021, 8:28 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 4:35 PM IST

जगदलपुरः बस्तर में नक्सलवाद (Naxalism In Bastar) के साथ-साथ बेरोजगारी (Unemployment) भी एक सबसे बड़ी समस्या है. लगातार बेरोजगारों की संख्या (Number Of Unemployed) बढ़ती जा रही है. कोरोना काल की वजह से पहले ही कई लोगों की रोजगार छिन जाने के बाद कनिष्ठ चयन बोर्ड (Junior Selection Board) के माध्यम से रोजगार मिलने की टक टकी लगाए बैठे युवा बेरोजगारों को पिछले 3 सालों से निराशा ही हाथ लग रही है.

बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद

आलम यह है कि रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वाले बेरोजगारों की संख्या तो बढ़ती जा रही है, लेकिन विभिन्न शासकीय विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए कोई प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की जा रही. जिसके चलते बेरोजगार युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सरकार की वादाखिलाफी (Breach Of Promise) से भी युवा काफी नाराज हैं. हालांकि हाल ही में बस्तर कमिश्नर (Bastar Commissioner) की अध्यक्षता में हुई बैठक में जल्द ही बस्तर संभाग के शासकीय विभागों (Government Department) में रिक्त पड़े तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों (Class III and IV Posts) पर भर्ती प्रक्रिया शुरू किए जाने की बात कही गई है. लेकिन अब तक इसके लिए कोई प्रारूप तैयार नहीं हो पाया है.


ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी ले रही भयावह रूप
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में युवा बेरोजगारों की संख्या (number of unemployed) लगातार बढ़ती ही जा रही है. खास कर ग्रामीण अंचलों के युवाओं को नौकरी नहीं मिलने के चलते वह गलत दिशा में जाने को मजबूर हो रहे हैं. बस्तर के नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचलों (Naxal Affected Rural Area) में अधिकतर छात्र आठवीं और दसवीं की पढ़ाई के बाद स्कूल छोड़ जाते हैं और उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगती है. हालांकि पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो बस्तर में शिक्षा के स्तर में सुधार तो आई है लेकिन उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी कई आदिवासी बेरोजगार (Tribal Unemployed) युवा नौकरी (Youth Job) पाने के लिए भटक रहे हैं. हर साल रोजगार पंजीयन कार्यालय (Registration Office) में नौकरी पाने की उम्मीद लेकर युवा बेरोजगार द्वारा अपना पंजीयन तो कराया जाता है.

लेकिन प्लेसमेंट (Placement) जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित नहीं हो किये जाने की वजह से और शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों (Vacant Posts In Government Departments) पर भर्ती नहीं निकाले जाने की वजह से युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) की पढ़ाई पूरी कर चुके मयंक, अतुल और आशुतोष बेरोजगार युवाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र (Congress Manifesto) में कहा था कि युवा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए सरकार कटिबद्ध है.

वादाखिलाफी कर रही सरकार

इसके लिए शासकीय विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती किए जाने के साथ रोजगार के विभिन्न स्रोत स्थापित किए जाएंगे. लेकिन सरकार बने 3 साल बीत चुके हैं. ना ही शासकीय विभागों में भर्ती (Recruitment In Government Departments) प्रक्रिया शुरू हुई है और ना ही सरकार किसी अन्य माध्यम से शिक्षित युवा बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करा सकी है. जिसके चलते सभी शिक्षित युवाओं में काफी निराशा है. युवाओं का कहना है कि नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट (NMDC Steel Plant) से भी यहां के स्थानीय युवा बेरोजगारों में काफी उम्मीद थी. स्थानीय लोगों को इस प्लांट में नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन नौकरी तो दूर, सरकार ने भी यहां स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.

बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद

यही नहीं, सरकार बनने के बाद कनिष्ठ चयन बोर्ड का भी गठन बस्तर में किए जाने की बात कही गई थी और खुद मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी. लेकिन सरकार बने 3 साल बीत चुके हैं और कनिष्ठ चयन बोर्ड (Junior Selection Board) का गठन नहीं हो सका है. इधर पूरे प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल (Political Party) भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. समय-समय पर राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा बेरोजगारी की समस्या (Unemployment Problem) को लेकर प्रदर्शन किया जाता रहा है. वहीं, बस्तर में भी सरकार की वादाखिलाफी (Breach Of Promise) को लेकर युवा बेरोजगारों के साथ साथ भाजयुमो (BJYM) में भी काफी आक्रोश है.

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भाजयुमो नेता ने सरकार को घेरा

भाजयुमो के नगर अध्यक्ष शिरीष मिश्रा (City President Shirish Mishra) का कहना है कि सरकार इन 3 सालों में ना ही शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सकी है और ना ही रोजगार के कोई नए साधन उपलब्ध करा सकती है. कांग्रेस ने चुनाव से पहले लोक लुभावने वायदे तो किए और जनता को भरोसे में लेकर सत्ता हासिल किया, लेकिन उसके बाद वे बेरोजगारी जैसी मुख्य समस्या को पूरी तरह से भूल गए हैं.

रोजगार उपलब्ध कराने के होंगे प्रयास

बस्तर विधायक (Bastar MLA) व प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने कहा कि कोरोना काल की वजह से कनिष्ठ चयन बोर्ड के गठन में काफी समय लग गया और उसकी प्रारूप अभी तैयार नहीं की जा सकी है. लेकिन जल्द ही कनिष्ठ चयन बोर्ड में व्यापम के माध्यम से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी. साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले 2 महीने में बस्तर संभाग में सभी शासकीय विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

जगदलपुरः बस्तर में नक्सलवाद (Naxalism In Bastar) के साथ-साथ बेरोजगारी (Unemployment) भी एक सबसे बड़ी समस्या है. लगातार बेरोजगारों की संख्या (Number Of Unemployed) बढ़ती जा रही है. कोरोना काल की वजह से पहले ही कई लोगों की रोजगार छिन जाने के बाद कनिष्ठ चयन बोर्ड (Junior Selection Board) के माध्यम से रोजगार मिलने की टक टकी लगाए बैठे युवा बेरोजगारों को पिछले 3 सालों से निराशा ही हाथ लग रही है.

बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद

आलम यह है कि रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वाले बेरोजगारों की संख्या तो बढ़ती जा रही है, लेकिन विभिन्न शासकीय विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती के लिए कोई प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की जा रही. जिसके चलते बेरोजगार युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सरकार की वादाखिलाफी (Breach Of Promise) से भी युवा काफी नाराज हैं. हालांकि हाल ही में बस्तर कमिश्नर (Bastar Commissioner) की अध्यक्षता में हुई बैठक में जल्द ही बस्तर संभाग के शासकीय विभागों (Government Department) में रिक्त पड़े तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों (Class III and IV Posts) पर भर्ती प्रक्रिया शुरू किए जाने की बात कही गई है. लेकिन अब तक इसके लिए कोई प्रारूप तैयार नहीं हो पाया है.


ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी ले रही भयावह रूप
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर में युवा बेरोजगारों की संख्या (number of unemployed) लगातार बढ़ती ही जा रही है. खास कर ग्रामीण अंचलों के युवाओं को नौकरी नहीं मिलने के चलते वह गलत दिशा में जाने को मजबूर हो रहे हैं. बस्तर के नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचलों (Naxal Affected Rural Area) में अधिकतर छात्र आठवीं और दसवीं की पढ़ाई के बाद स्कूल छोड़ जाते हैं और उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगती है. हालांकि पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो बस्तर में शिक्षा के स्तर में सुधार तो आई है लेकिन उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी कई आदिवासी बेरोजगार (Tribal Unemployed) युवा नौकरी (Youth Job) पाने के लिए भटक रहे हैं. हर साल रोजगार पंजीयन कार्यालय (Registration Office) में नौकरी पाने की उम्मीद लेकर युवा बेरोजगार द्वारा अपना पंजीयन तो कराया जाता है.

लेकिन प्लेसमेंट (Placement) जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित नहीं हो किये जाने की वजह से और शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों (Vacant Posts In Government Departments) पर भर्ती नहीं निकाले जाने की वजह से युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन (Post Graduation) की पढ़ाई पूरी कर चुके मयंक, अतुल और आशुतोष बेरोजगार युवाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र (Congress Manifesto) में कहा था कि युवा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए सरकार कटिबद्ध है.

वादाखिलाफी कर रही सरकार

इसके लिए शासकीय विभागों में खाली पड़े पदों पर भर्ती किए जाने के साथ रोजगार के विभिन्न स्रोत स्थापित किए जाएंगे. लेकिन सरकार बने 3 साल बीत चुके हैं. ना ही शासकीय विभागों में भर्ती (Recruitment In Government Departments) प्रक्रिया शुरू हुई है और ना ही सरकार किसी अन्य माध्यम से शिक्षित युवा बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करा सकी है. जिसके चलते सभी शिक्षित युवाओं में काफी निराशा है. युवाओं का कहना है कि नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट (NMDC Steel Plant) से भी यहां के स्थानीय युवा बेरोजगारों में काफी उम्मीद थी. स्थानीय लोगों को इस प्लांट में नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन नौकरी तो दूर, सरकार ने भी यहां स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.

बेरोजगारी से बस्तर में बढ़ रहा है नक्सलवाद

यही नहीं, सरकार बनने के बाद कनिष्ठ चयन बोर्ड का भी गठन बस्तर में किए जाने की बात कही गई थी और खुद मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी. लेकिन सरकार बने 3 साल बीत चुके हैं और कनिष्ठ चयन बोर्ड (Junior Selection Board) का गठन नहीं हो सका है. इधर पूरे प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल (Political Party) भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. समय-समय पर राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा बेरोजगारी की समस्या (Unemployment Problem) को लेकर प्रदर्शन किया जाता रहा है. वहीं, बस्तर में भी सरकार की वादाखिलाफी (Breach Of Promise) को लेकर युवा बेरोजगारों के साथ साथ भाजयुमो (BJYM) में भी काफी आक्रोश है.

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भाजयुमो नेता ने सरकार को घेरा

भाजयुमो के नगर अध्यक्ष शिरीष मिश्रा (City President Shirish Mishra) का कहना है कि सरकार इन 3 सालों में ना ही शासकीय विभागों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सकी है और ना ही रोजगार के कोई नए साधन उपलब्ध करा सकती है. कांग्रेस ने चुनाव से पहले लोक लुभावने वायदे तो किए और जनता को भरोसे में लेकर सत्ता हासिल किया, लेकिन उसके बाद वे बेरोजगारी जैसी मुख्य समस्या को पूरी तरह से भूल गए हैं.

रोजगार उपलब्ध कराने के होंगे प्रयास

बस्तर विधायक (Bastar MLA) व प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने कहा कि कोरोना काल की वजह से कनिष्ठ चयन बोर्ड के गठन में काफी समय लग गया और उसकी प्रारूप अभी तैयार नहीं की जा सकी है. लेकिन जल्द ही कनिष्ठ चयन बोर्ड में व्यापम के माध्यम से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी. साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले 2 महीने में बस्तर संभाग में सभी शासकीय विभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

Last Updated : Oct 4, 2021, 4:35 PM IST
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