कांकेर : जिले में आदिवासियों का चैतरई पर्व के दिन कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मंडावी का विरोध (Indecency case with Mohan Mandavi in Kanker) अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है. विरोध के बाद अब बीजेपी सांसद मोहन मंडावी और पूर्व सांसद और आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई आमने- सामने हो गए हैं. सोहन पोटाई ने सांसद के पत्र व्यवहार में आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि कोया भूमकाल क्रांति सेना आदिवासी समाज हित में काम कर रही है. जो सांसद को रास नही आ रहा .वहीं सांसद ने कहा है कि मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार की जांच होनी चाहिए. इन बयानों के बीच सवाल उठ रहे है कि क्या आदिवासी समाज के युवाओं के बीच सांसद ने अभी तक अपनी जगह नही बना पाई है.
दुर्व्यवहार से आहत हैं सांसद : बता दें कि 11 अप्रैल को जिले में आदिवासी समाज ने भव्य चैतरई पर्व मनाया . जिसमे कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी (
Kanker BJP MP Mohan Mandavi) ने भी शिरकत की. लेकिन मंच में जब वो संबोधन कर रहे थे तो उनका विरोध होने लगा. इस घटना से आहत होकर सांसद ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए केंद्रीय गृहमंत्री और बस्तर आईजी को पत्र लिखा कि दुर्व्यवहार का जांच किया जाए. वहीं सांसद द्वारा दिए गए बयान और पत्र लिखने को लेकर सर्व आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई ने कहा कि सांसद मोहन मंडावी के इस बयान से उसे ही नही बल्कि बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सर्व आदिवासी समाज से भिड़ना मतलब 2018 में जो नौबत आई थी उससे भी बदतर स्थिति होगी.
सांसद के पत्र में क्या : 11 अप्रैल को कांकेर में आयोजित क्षेत्रीय पर्व के कार्यक्रम में मोहन मंडावी ने रामचरितमानस को केंद्र में रखकर कहा था कि हम सब हिंदू धर्म के हैं. राम, कृष्ण, शंकर हमारे आराध्य हैं. जिसकी जैसी आस्था होती है. वह उसको उसी स्वरूप को मानता है. इसको लेकर किसी की बाध्यता नहीं होनी चाहिए. आयोजन में एक संगठन कोया भूमकाल क्रांति सेना के कतिपय लोगों ने इस वाक्य को लेकर मेरे साथ अभद्रता करते हुए नारेबाजी की. उन्होंने पूर्व सांसद और आदिवासी नेता सोहन पोटाई पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोहन पोटाई चार बार भाजपा सांसद और आरएसएस के प्रशिक्षित कार्यकर्ता रहे. उनके नेतृत्व में कांवर यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन होते रहे हैं. उनके कथित समर्थकों ने स्वार्थवश हिंदुओं की आस्था का विरोध किया जो कि निंदनीय है. सांसद ने कुछ NGO संचालन पर भी जांच की बात कही है.
आदिवासी समाज पर उंगली उठाना गलत : सोहन पोटाई (Sarva Adivasi Samaj Sohan Potai) ने कहा कि सांसद ने जिस कोया भूमकाल क्रांति सेना का जिक्र किया है ये 10 साल पहले से वे आरोप लगा रहे हैं. उनका आरोप मनगढ़ंत है. कोया भूमकाल क्रांति सेना बखूबी समाज के रचनात्मक कार्य, संस्कृति संवर्द्धन को लेकर लगातार काम कर रही है. हमारे समाज के ही शिक्षित युवा वर्ग गांवों में संवैधानिक जागरूकता फैला रहे हैं. सरकार के द्वारा जगह-जगह रामायण प्रतियोगिता का भी समाज ने विरोध जताया था. हमारी संस्कृति सभ्यता को छोड़ हमारे ऊपर थोपा जाएगा तो विरोध होगा ही.