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बस्तर दशहरा में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाला विशालकाय रथ ले रहा अंतिम रूप - आराध्य देवी दंतेश्वरी

विजयदशमी के दिन पूरे भारत देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है. लेकिन बस्तर में इस विशालकाय रथ के ऊपर बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में परिक्रमा करवाया जाता है. इस विशालकाय रथ की परिक्रमा को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं.

Giant chariot taking final shape in Bastar
बस्तर दशहरा का विशालकाय रथ ले रहा अंतिम रूप
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Published : Oct 4, 2022, 10:13 PM IST

बस्तर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ को स्थानीय ग्रामीण कारीगर अंतिम रूप (Giant chariot taking final shape in Bastar) दे रहे हैं. इस विशालकाय रथ को विजयदशमी के दिन बस्तर में चलाया जाएगा. Giant chariot taking final shape in Bastar

बस्तर दशहरा का विशालकाय रथ ले रहा अंतिम रूप

रथ देखने विदेशों से पर्यटक पहुंचते हैं बस्तर: विजयदशमी के दिन पूरे भारत देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है. लेकिन बस्तर में इस विशालकाय रथ के ऊपर बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में परिक्रमा करवाया जाता है. यही कारण है कि 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ की परिक्रमा को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं.

यह भी पढ़ें: बस्तर दशहरा पर्व: पीसीसी प्रमुख मोहन मरकाम ने देव विग्रहों को जगदलपुर किया रवाना

इस तरह होता है बस्तर दशहरे के रथ का निर्माण: इस रथ को बनाने के लिए बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण पहले जंगल जाते हैं. रथ बनाने के लिए लकड़ी लेकर जगदलपुर शहर के सिरहासार चौक में पहुंचते हैं. जिसके बाद झाड़उमर गांव और बेड़ा उमरगांव के सैकड़ों ग्रामीण कारीगर जगदलपुर पहुंचते हैं. वह अपने पारंपरिक औजारों से इस रथ का निर्माण करते हैं. ग्रामीण कारीगरों ने बताया कि "इस रथ को बनाने में 20 दिन का समय लगता है. 20 दिन के बाद यह रथ पूरी तरह बनकर तैयार हो जाती है. जिसके बाद इस रथ को पूरी तरह सजा कर शहर में भ्रमण करवाया जाएगा. दशहरे में रथ परिक्रमा मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है.

बस्तर: विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ को स्थानीय ग्रामीण कारीगर अंतिम रूप (Giant chariot taking final shape in Bastar) दे रहे हैं. इस विशालकाय रथ को विजयदशमी के दिन बस्तर में चलाया जाएगा. Giant chariot taking final shape in Bastar

बस्तर दशहरा का विशालकाय रथ ले रहा अंतिम रूप

रथ देखने विदेशों से पर्यटक पहुंचते हैं बस्तर: विजयदशमी के दिन पूरे भारत देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है. लेकिन बस्तर में इस विशालकाय रथ के ऊपर बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार करके शहर में परिक्रमा करवाया जाता है. यही कारण है कि 75 दिनों तक चलने वाले इस दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले विशालकाय रथ की परिक्रमा को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं.

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इस तरह होता है बस्तर दशहरे के रथ का निर्माण: इस रथ को बनाने के लिए बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण पहले जंगल जाते हैं. रथ बनाने के लिए लकड़ी लेकर जगदलपुर शहर के सिरहासार चौक में पहुंचते हैं. जिसके बाद झाड़उमर गांव और बेड़ा उमरगांव के सैकड़ों ग्रामीण कारीगर जगदलपुर पहुंचते हैं. वह अपने पारंपरिक औजारों से इस रथ का निर्माण करते हैं. ग्रामीण कारीगरों ने बताया कि "इस रथ को बनाने में 20 दिन का समय लगता है. 20 दिन के बाद यह रथ पूरी तरह बनकर तैयार हो जाती है. जिसके बाद इस रथ को पूरी तरह सजा कर शहर में भ्रमण करवाया जाएगा. दशहरे में रथ परिक्रमा मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है.

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