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बस्तर सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में उठाया नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का मुद्दा

बस्तर सांसद दीपक बैज ने शुक्रवार को लोकसभा में नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का मुद्दा उठाया है. साथ ही केंद्र सरकार पर कई आरोप भी लगाए हैं. सांसद ने केंद्र सरकार पर नियमों की अनदेखी करते हुए नगरनार प्लांट का निजीकरण करने का आरोप लगाया है.

Bastar MP Deepak Badge questioned  issue of privatization of Nagarnar Steel Plant in Lok Sabha
दीपक बैज ने लोकसभा में उठाया नगरनार स्टील प्लांट का मुद्दा
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Published : Sep 18, 2020, 8:36 PM IST

बस्तर : जगदलपुर से लगे नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण का मुद्दा शुक्रवार को लोकसभा में छाया रहा. दरअसल बस्तर के सांसद दीपक बैज ने स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में संसद में अपनी बात रखी. दीपक बैज ने कहा कि बस्तर के खनिज संपदा का दोहन कई सालों से चला आ रहा है और अब नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट को केंद्र सरकार निजीकरण कर रही है. इस मामले को लेकर बस्तर सांसद दीपक बैज ने 377 अधिनियम के तहत इसे मुद्दे को सदन में सरकार के समक्ष संसद पटल पर लिखित में रखा. जिसका जवाब सदन की ओर से बस्तरवासियों को लिखित में दी जाएगी.

Bastar MP Deepak Badge questioned  issue of privatization of Nagarnar Steel Plant in Lok Sabha
दीपक बैज ने लोकसभा में उठाया नगरनार स्टील प्लांट का मुद्दा

सांसद ने संसद में कहा कि NMDC स्टील प्लांट के लिए 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है और 211 हेक्टेयर जमीन छत्तीसगढ़ की प्लांट के इस्तेमाल के लिए रखी गई है. उन्होंने आगे कहा कि आदिवासियों के हित की रक्षा के लिए बस्तर क्षेत्र में पेसा कानून 1996 लागू है, लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए नगरनार प्लांट का निजीकरण किया जा रहा है. जो कि अव्यवहारिक है.

सांसद ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप

सांसद ने कहा कि लगभग 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से तकरीबन 15 सालों से बन रहे स्टील प्लांट से धुआं निकलने वाला ही था कि सरकार इसे निजी हाथों में बेचने के लिए तुली हुई है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से बस्तर की जनता आंदोलित है और प्लांट में नौकरी का सपना टूटते देख स्थानीय नौजवान आक्रोशित हैं. केंद्र सरकार जनता की भावनाओं के खिलाफ राष्ट्र की संपदा को निजी हाथों में बेच रही है, जो कि सरासर गलत है.

राज्यसभा सांसद ने भी जताई थी आपत्ति

बता दें कि 16 सितंबर को ही छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखाकर नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण पर आपत्ति जताई थी. साथ ही सांसद ने केंद्र सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.

सांसद फूलोदेवी ने केंद्र सरकार से की थी ये मांग

फूलोदेवी ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जा रहा है. इससे लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचा है, जिसके कारण आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे हैं. वहीं सांसद ने आग्रह किया था कि केंद्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करें और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में ही रखा जाए.

मुख्यमंत्री बघेल ने 27 अगस्त को पीएम मोदी को लिखा था पत्र

27 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था.

बस्तर : जगदलपुर से लगे नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट के निजीकरण का मुद्दा शुक्रवार को लोकसभा में छाया रहा. दरअसल बस्तर के सांसद दीपक बैज ने स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में संसद में अपनी बात रखी. दीपक बैज ने कहा कि बस्तर के खनिज संपदा का दोहन कई सालों से चला आ रहा है और अब नगरनार में निर्माणाधीन NMDC स्टील प्लांट को केंद्र सरकार निजीकरण कर रही है. इस मामले को लेकर बस्तर सांसद दीपक बैज ने 377 अधिनियम के तहत इसे मुद्दे को सदन में सरकार के समक्ष संसद पटल पर लिखित में रखा. जिसका जवाब सदन की ओर से बस्तरवासियों को लिखित में दी जाएगी.

Bastar MP Deepak Badge questioned  issue of privatization of Nagarnar Steel Plant in Lok Sabha
दीपक बैज ने लोकसभा में उठाया नगरनार स्टील प्लांट का मुद्दा

सांसद ने संसद में कहा कि NMDC स्टील प्लांट के लिए 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है और 211 हेक्टेयर जमीन छत्तीसगढ़ की प्लांट के इस्तेमाल के लिए रखी गई है. उन्होंने आगे कहा कि आदिवासियों के हित की रक्षा के लिए बस्तर क्षेत्र में पेसा कानून 1996 लागू है, लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए नगरनार प्लांट का निजीकरण किया जा रहा है. जो कि अव्यवहारिक है.

सांसद ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप

सांसद ने कहा कि लगभग 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से तकरीबन 15 सालों से बन रहे स्टील प्लांट से धुआं निकलने वाला ही था कि सरकार इसे निजी हाथों में बेचने के लिए तुली हुई है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से बस्तर की जनता आंदोलित है और प्लांट में नौकरी का सपना टूटते देख स्थानीय नौजवान आक्रोशित हैं. केंद्र सरकार जनता की भावनाओं के खिलाफ राष्ट्र की संपदा को निजी हाथों में बेच रही है, जो कि सरासर गलत है.

राज्यसभा सांसद ने भी जताई थी आपत्ति

बता दें कि 16 सितंबर को ही छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखाकर नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण पर आपत्ति जताई थी. साथ ही सांसद ने केंद्र सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.

सांसद फूलोदेवी ने केंद्र सरकार से की थी ये मांग

फूलोदेवी ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जा रहा है. इससे लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचा है, जिसके कारण आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहे हैं. वहीं सांसद ने आग्रह किया था कि केंद्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करें और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में ही रखा जाए.

मुख्यमंत्री बघेल ने 27 अगस्त को पीएम मोदी को लिखा था पत्र

27 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था.

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