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छत्तीसगढ़ के कई जिलों में चलन से बाहर हुए 10 रुपए के सिक्के, बस्तर में 'मन्नत' मांग रहे लोग

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में 10 रुपये के सिक्के नहीं चल रहे हैं. कई लोगों के पास 10 रुपये के हजारों रुपये के सिक्के जमा हुए पड़े हैं. जिन्हें बैंक भी लेने में आना-कानी करता है. कुछ लोग अब इन सिक्कों को मंदिर में दान-पेटी में डालने लगे हैं. मंदिर के पुजारी भी कह रहे हैं कि जो सिक्के बाहर नहीं चल रहे, उन्हें दान करने का फायदा नहीं. जानकारों कहते हैं कि प्रशासन को 10 रुपये के सिक्कों को प्रचलन में लाने के लिए लोगों को जागरूक करना पड़ेगा.

10 rupee coins
10 रुपये के सिक्के
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Published : Jul 24, 2021, 11:58 AM IST

Updated : Jul 24, 2021, 2:54 PM IST

जगदलपुर: पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है जब राष्ट्रीय मुद्रा के चलन में रहते हुए ही इसका उपयोग बंद हो गया है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में 10 रुपये के सिक्के (10 rupees coin) का चलन बंद हो गया है. इनमें राजधानी के साथ ही बस्तर संभाग के जिले भी शामिल हैं. जबकि हैरानी वाली बात है कि रायपुर से लगे दुर्ग जिले में 10 रुपये के सिक्के प्रचलन में हैं. 10 के सिक्के दुकानदारों और सार्वजनिक परिवहन से जुड़े लोगों ने भी लेना बंद कर दिया है. भिक्षा मांगने वाले लोग भी अब 10 का सिक्का लेने से मना कर देते हैं. इधर बस्तर संभाग के ग्रामीण अंचलों में लोग अपने घर की चौखट या देव स्तंभों में 10 के सिक्के कील से ठोककर मन्नतें मांग रहे हैं. हैरानी की बात है कि राष्ट्रीय मुद्रा के इस हाल के बाद भी शासन-प्रशासन इसे फिर से प्रचलन में लाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है.

अफवाहों का शिकार हुआ 10 का सिक्का

2 साल पहले 10 के सिक्के मार्केट में नजर भी आते थे. लेकिन धीरे-धीरे वे अब पूरी तरह से गायब हो गए हैं. अब मार्केट में सिर्फ 1, 2 या 5 रुपये के सिक्के ही देखने को मिलते हैं. शुरुआत में लोगों ने मार्केट में 10 के सिक्के काफी चलाए. इसी बीच यह अफवाह फैलने लगी कि 10 रुपये का नकली सिक्का चलन में है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बयान जारी कर बताया था कि विभिन्न अवसरों पर विशेष सिक्के जारी किए गए हैं. इसलिए इनके ऊपर तस्वीर या प्रतीक चिन्ह अलग-अलग है. लेकिन सभी सिक्के वैध हैं. सरकार की इस सफाई का असर भी लोगों और व्यापारियों पर नहीं पड़ा और अब हाल ये है कि बाजार में 10 का सिक्का विरले ही देखने को मिल रहा है. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि लोगों के पास 10 के सिक्के नहीं है. ETV भारत की टीम ने लोगों से बात कि तो कई लोगों ने बताया कि उनके पास 3 हजार रुपये तक के 10 के सिक्के हैं. लेकिन चलन नहीं होने के कारण वे उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.

कहीं नहीं चल रहे 10 रुपये के सिक्के

बाजारों, गुमटियों, पेट्रोल पंप, ठेलों में भी 10 रुपये के सिक्के ये कहकर लेने से मना कर रहे हैं कि ' 10 का सिक्का नहीं चल रहा है' लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार बैंकों में भी 10 रुपये के सिक्के वापस देने की कोशिश की. लेकिन बैंक प्रबंधन भी अब इन सिक्कों को लेने के लिए आना-कानी कर रहा है. जिससे लोग मंदिरों में 10 रुपये के सिक्के दान कर रहे हैं. मंदिरों में इन सिक्कों को दान करने को लेकर रायपुर के शीतला मंदिर के पंडित नीरज सैनी ने बताया कि अप्रचलित चीजों का दान करने से पुण्य की भी प्राप्ति नहीं होती है.

रायपुर रेलवे स्टेशन में जल्द खुलेगा 'बोगी रेस्टोरेंट', कुली और TT का ड्रेस पहनकर वेटर और मैनेजर करेंगे स्वागत

चलन में नहीं होने के बाद भी कुछ दुकानदार ले रहे 10 का सिक्का

10 रुपये के सिक्कों को लेकर ETV भारत ने कुछ दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि 10 के सिक्के देने पर कोई भी ग्राहक नहीं ले रहा है. जिससे अब व्यापारियों ने भी ग्राहकों से सिक्के लेना बंद कर दिया है. हालांकि रायपुर के चंगोराभाठा के एक किराना व्यापारी पुरुषोत्तम चंद्राकर का कहना है कि ' ये सरकार की तरफ से जारी की गई मुद्रा है. जब तक सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं आता तब तक वे कैसे इसका चलन बंद कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे हर ग्राहकों से 10 का सिक्का लेकर उन्हें सामान भी दे रहे हैं.

बीते कुछ सालों से बस्तर में भी 10 के सिक्के चलन से दूर हो चुके हैं. अब आलम ये है कि ग्रामीण अंचलों में स्थानीय ग्रामीण अपने घर के चौखट पर और गांव के देव गुड़ियों में देवी स्तंभों को इन 10 के सिक्कों से सजा रहे हैं. साथ ही पेड़ों में भी इस 10 के सिक्के को कील से ठोककर मन्नतें मांग रहे हैं.

10 रुपये का सिक्का नहीं लेने पर थाने में दर्ज करा सकते हैं रिपोर्ट

इधर जानकारों और स्थानीय लोगों का कहना है कि वैधानिक रूप से मान्य 10 रुपये के सिक्के को वापस प्रचलन में लाने का प्रयास प्रशासन को करना चाहिए. बैंक वालों का कहना है कि जो व्यापारी यह सिक्का नहीं ले रहा है उनके खिलाफ थाने में रिपोर्ट की जा सकती है. लेकिन कोई व्यक्ति जब इन सिक्कों को जमा करवाते बैंक जाता है तो बैंककर्मी गिनने का समय नहीं है कहकर ग्राहकों को लौटा देते हैं.

व्यापारिक संगठनों के सामने सुझाव रखा गया था कि 10 रुपये के सिक्के की वैधता और इसके लेनदेन के मामले में बोर्ड लगाएं पर किसी भी व्यापारिक संगठन ने जनहित में यह काम नहीं किया. उनका कहना है कि यह काम भारतीय रिजर्व बैंक का है. व्यापारियों का इससे कोई लेना-देना नहीं है. जानकारों का कहना है कि बस्तर जिले और पूरे संभाग में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास बड़ी मात्रा में 10 के सिक्के जमा पूंजी के तौर पर रखे हुए हैं, लेकिन बाजार में चलन बंद हो जाने की वजह से वे इन सिक्कों को या तो दूसरे राज्य में पढ़ रहे अपने बच्चों को दे रहे हैं या फिर मंदिरों में दक्षिणा डाल रहे हैं.

'लोगों को जागरूक कर की जाएगी कड़ी कार्रवाई'

इधर बस्तर कलेक्टर का कहना है कि पहले इस मामले में शिकायत मिलने पर कुछ जगहों पर समझाइश भी दी गई थी. बावजूद इसके फिर देखने में आ रहा है कि कई व्यापारी 10 के सिक्के नहीं ले रहे हैं. इसके लिए प्रशासन की तरफ से लोगों को जागरूक किया जाएगा और शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. खासकर व्यापारियों को भी 10 के सिक्के चलन में लाने के लिए कहा जाएगा.

जगदलपुर: पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है जब राष्ट्रीय मुद्रा के चलन में रहते हुए ही इसका उपयोग बंद हो गया है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में 10 रुपये के सिक्के (10 rupees coin) का चलन बंद हो गया है. इनमें राजधानी के साथ ही बस्तर संभाग के जिले भी शामिल हैं. जबकि हैरानी वाली बात है कि रायपुर से लगे दुर्ग जिले में 10 रुपये के सिक्के प्रचलन में हैं. 10 के सिक्के दुकानदारों और सार्वजनिक परिवहन से जुड़े लोगों ने भी लेना बंद कर दिया है. भिक्षा मांगने वाले लोग भी अब 10 का सिक्का लेने से मना कर देते हैं. इधर बस्तर संभाग के ग्रामीण अंचलों में लोग अपने घर की चौखट या देव स्तंभों में 10 के सिक्के कील से ठोककर मन्नतें मांग रहे हैं. हैरानी की बात है कि राष्ट्रीय मुद्रा के इस हाल के बाद भी शासन-प्रशासन इसे फिर से प्रचलन में लाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है.

अफवाहों का शिकार हुआ 10 का सिक्का

2 साल पहले 10 के सिक्के मार्केट में नजर भी आते थे. लेकिन धीरे-धीरे वे अब पूरी तरह से गायब हो गए हैं. अब मार्केट में सिर्फ 1, 2 या 5 रुपये के सिक्के ही देखने को मिलते हैं. शुरुआत में लोगों ने मार्केट में 10 के सिक्के काफी चलाए. इसी बीच यह अफवाह फैलने लगी कि 10 रुपये का नकली सिक्का चलन में है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बयान जारी कर बताया था कि विभिन्न अवसरों पर विशेष सिक्के जारी किए गए हैं. इसलिए इनके ऊपर तस्वीर या प्रतीक चिन्ह अलग-अलग है. लेकिन सभी सिक्के वैध हैं. सरकार की इस सफाई का असर भी लोगों और व्यापारियों पर नहीं पड़ा और अब हाल ये है कि बाजार में 10 का सिक्का विरले ही देखने को मिल रहा है. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि लोगों के पास 10 के सिक्के नहीं है. ETV भारत की टीम ने लोगों से बात कि तो कई लोगों ने बताया कि उनके पास 3 हजार रुपये तक के 10 के सिक्के हैं. लेकिन चलन नहीं होने के कारण वे उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.

कहीं नहीं चल रहे 10 रुपये के सिक्के

बाजारों, गुमटियों, पेट्रोल पंप, ठेलों में भी 10 रुपये के सिक्के ये कहकर लेने से मना कर रहे हैं कि ' 10 का सिक्का नहीं चल रहा है' लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार बैंकों में भी 10 रुपये के सिक्के वापस देने की कोशिश की. लेकिन बैंक प्रबंधन भी अब इन सिक्कों को लेने के लिए आना-कानी कर रहा है. जिससे लोग मंदिरों में 10 रुपये के सिक्के दान कर रहे हैं. मंदिरों में इन सिक्कों को दान करने को लेकर रायपुर के शीतला मंदिर के पंडित नीरज सैनी ने बताया कि अप्रचलित चीजों का दान करने से पुण्य की भी प्राप्ति नहीं होती है.

रायपुर रेलवे स्टेशन में जल्द खुलेगा 'बोगी रेस्टोरेंट', कुली और TT का ड्रेस पहनकर वेटर और मैनेजर करेंगे स्वागत

चलन में नहीं होने के बाद भी कुछ दुकानदार ले रहे 10 का सिक्का

10 रुपये के सिक्कों को लेकर ETV भारत ने कुछ दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि 10 के सिक्के देने पर कोई भी ग्राहक नहीं ले रहा है. जिससे अब व्यापारियों ने भी ग्राहकों से सिक्के लेना बंद कर दिया है. हालांकि रायपुर के चंगोराभाठा के एक किराना व्यापारी पुरुषोत्तम चंद्राकर का कहना है कि ' ये सरकार की तरफ से जारी की गई मुद्रा है. जब तक सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं आता तब तक वे कैसे इसका चलन बंद कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे हर ग्राहकों से 10 का सिक्का लेकर उन्हें सामान भी दे रहे हैं.

बीते कुछ सालों से बस्तर में भी 10 के सिक्के चलन से दूर हो चुके हैं. अब आलम ये है कि ग्रामीण अंचलों में स्थानीय ग्रामीण अपने घर के चौखट पर और गांव के देव गुड़ियों में देवी स्तंभों को इन 10 के सिक्कों से सजा रहे हैं. साथ ही पेड़ों में भी इस 10 के सिक्के को कील से ठोककर मन्नतें मांग रहे हैं.

10 रुपये का सिक्का नहीं लेने पर थाने में दर्ज करा सकते हैं रिपोर्ट

इधर जानकारों और स्थानीय लोगों का कहना है कि वैधानिक रूप से मान्य 10 रुपये के सिक्के को वापस प्रचलन में लाने का प्रयास प्रशासन को करना चाहिए. बैंक वालों का कहना है कि जो व्यापारी यह सिक्का नहीं ले रहा है उनके खिलाफ थाने में रिपोर्ट की जा सकती है. लेकिन कोई व्यक्ति जब इन सिक्कों को जमा करवाते बैंक जाता है तो बैंककर्मी गिनने का समय नहीं है कहकर ग्राहकों को लौटा देते हैं.

व्यापारिक संगठनों के सामने सुझाव रखा गया था कि 10 रुपये के सिक्के की वैधता और इसके लेनदेन के मामले में बोर्ड लगाएं पर किसी भी व्यापारिक संगठन ने जनहित में यह काम नहीं किया. उनका कहना है कि यह काम भारतीय रिजर्व बैंक का है. व्यापारियों का इससे कोई लेना-देना नहीं है. जानकारों का कहना है कि बस्तर जिले और पूरे संभाग में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास बड़ी मात्रा में 10 के सिक्के जमा पूंजी के तौर पर रखे हुए हैं, लेकिन बाजार में चलन बंद हो जाने की वजह से वे इन सिक्कों को या तो दूसरे राज्य में पढ़ रहे अपने बच्चों को दे रहे हैं या फिर मंदिरों में दक्षिणा डाल रहे हैं.

'लोगों को जागरूक कर की जाएगी कड़ी कार्रवाई'

इधर बस्तर कलेक्टर का कहना है कि पहले इस मामले में शिकायत मिलने पर कुछ जगहों पर समझाइश भी दी गई थी. बावजूद इसके फिर देखने में आ रहा है कि कई व्यापारी 10 के सिक्के नहीं ले रहे हैं. इसके लिए प्रशासन की तरफ से लोगों को जागरूक किया जाएगा और शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. खासकर व्यापारियों को भी 10 के सिक्के चलन में लाने के लिए कहा जाएगा.

Last Updated : Jul 24, 2021, 2:54 PM IST
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