दुर्ग: सेक्टर-9 अस्पताल प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यूनियन नेता वेणुगोपाल की मौत के बाद शव को मर्च्यूरी में बंद फ्रीजर में डाल दिया. इससे बॉडी दो दिनों में डिकंपोज हो गई. शव को जब लेने के लिए परिजन सेक्टर-9 के मर्च्यूरी पहुंचे तो उनके होश उड़ गए. क्योंकि जिस फ्रीजर में शव को रखा गया. वो फ्रीजर बंद था. इससे बॉडी डिकंपोज हो गई थी. चेहरे के साथ-साथ शरीर का अन्य हिस्सा सूज गया था. यह देख उनके परिजन व साथी भड़क उठे.
यूनियन नेताओं का हंगामा, ED ने दिए जांच के आदेश
यूनियन नेता वेणुगोपाल की बॉडी डिकंपोज होने की सूचना फैलते ही बड़ी संख्या में सीटू के यूनियन नेता सेक्टर 9 अस्पताल पहुंच गए. जहां सुबह से लेकर दोपहर 1 बजे तक जमकर हंगामा होता रहा. मामले को तूल पकड़ता देख मौके पर BSP के ED एसके दुबे पहुंचे. उन्होंने तमाम लोगों की बात सुनी. इस दौरान यूनियन नेता योगेश सोनी ने बताया कि ED ने आश्वस्त किया है कि मामले की जांच होगी. आखिर कैसे फ्रीजर बंद था? इसकी जानकारी पहले क्यों नहीं थी? शव को बंद फ्रीजर में क्यों रखा गया? इन सभी बिंदुओं पर जांच का आश्वासन दिया है.
फ्रीजर के दरवाजे का था लॉकखराब
कोरोना महामारी के दौरान BSP के मर्च्यूरी में मौजूद 16 फ्रीजर में से एक का लॉक खराब हो गया था. जिसकी वजह से उस फ्रीजर को बंद करने के लिए लोहे की सीढ़ी को उससे लगाकर रख दिया था. इस फ्रीजर में ही वेणू के शव को रखा गया था. आशंका जताया जा रहा है कि उसकी वजह से भी यह शव डीकंपोज हो गया हो, इसकी जांच अब कमेटी कर रही है.
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उच्च प्रबंधन से चर्चा के बाद लिया शव
भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मी वेणु गोपाल की तबीयत 23 और 24 की दरमियानी रात अचानक खराब हो गई. उनका भाई मुरली अपने साथ उन्हें सेक्टर-9 अस्पताल लेकर पहुंचा. वेणुगोपाल भाई के सहारे भीतर तक गए. ECG कराने के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया. इसके बाद शव को सेक्टर-9 अस्पताल के मर्च्यूरी में रख दिया. बहन केरल से पहुंची, तब बुधवार को अंतिम संस्कार करने शव लेने पहुंचे. शव की ये दुर्गति देखकर परिजन भड़क गए. परिवार और यूनियन के नेताओं BSP के अधिकारियों से चर्चा के बाद शव लेने पर अड़े रहे.
सबके मददगार रहे वेणुगोपाल
BSP अधिकारियों की दखल अंदाजी के बाद मामला शांत हुआ. उसके बाद शव को पहले दुर्ग पोस्टमार्टम करने लेकर गए. इसके बाद उनके घर सूर्या अपार्टमेंट पहुंचे. वहां से रामनगर मुक्तिधाम लेकर आए. जहां नम आंखों से तमाम यूनियन के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने अंतिम विदाई दी. वेणु ने जुलाई 2013 में सीटू ज्वाइन किया था. इसके बाद वे दो बार उपाध्यक्ष बने. वर्तमान में भी उपाध्यक्ष ही थे. कर्मियों के बीच उनकी पकड़ बेहतर थी. वे मिलनसार थे और लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे.