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अमीर किसानों ने लिया PDS योजना का लाभ, होगी राशनकार्डों की जांच

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Published : Sep 19, 2020, 12:14 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 2:25 PM IST

दुर्ग में जो राशन गरीब लोगों को वितरित किया जाना है उस PDS के चावल का लाभ अमीर किसान ले रहे हैं. फर्जी दस्तावेज बनाकर कई किसान राशन ले रहे हैं. विभाग अब दस्तावेजों की जांच में जुट गया है.

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राशनकार्डो की जांच

दुर्ग: गांव गरीब किसानों की सरकार कहलाने वाली छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार इसी नारे के साथ आगे बढ़ रही है. सरकार का स्लोगन गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के तहत कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए ऐसी व्यवस्था की गई. हर व्यक्ति को महज एक रुपये किलो में चावल देने की योजना लागू कर देश मे छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य बन गया जो हर व्यक्ति को चावल देता है, लेकिन इस योजना को पलीता भी सीएम के गृह जिले दुर्ग में खूब लगाया जा रहा है. जिले में अमीर किसानों ने सरकार को खूब चूना लगाया है.

राशनकार्डो की होगी जांच

पढ़ें-जगदलपुर: शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेकर खुशहाल हो रहे किसान

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन तब क्या हो जब राज्य के किसान ही सरकार को बेवकूफ बनाने में लग जाए. सीएम के गृह जिले दुर्ग में अन्नदाताओं ने सरकार को ही चूना लगा दिया. छत्तीसगढ़ की सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबों को महज एक रुपये किलो में चावल उपलब्ध कराती हैं, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ जिले के लगभग 16 हजार अमीर किसान गरीब बनकर ले रहे हैं.

गरीब बताकर ले रहे PDS का राशन

धान बिक्री के आंकड़ों से ही इसका खुलासा हुआ है. समर्थन मूल्य पर तय मात्रा से ज्यादा धान बेचने और खुद को गरीब बताकर सरकारी दुकानों से सस्ता राशन लेने वाले ये किसान अब पीडीएस के दायरे से बाहर हो जाएंगे. बता दें कि इसके लिए इन किसानों की पात्रता का सत्यापन किया जाएगा और राशन कार्ड रद्द किए जाएंगे. आर्थिक स्थिति और कृषि जोत को आधार बनाकर हितग्राहियों को अलग-अलग श्रेणी के राशन कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं.इस तरह समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए भी जमीन के जोत के आधार पर पैमाना तय किया गया है. राशन कार्ड की पात्रता के लिए दी गई जानकारी और समर्थन पर धान बिक्री के आंकड़ों के मिलान में अंतर की स्थिति सामने आई है.

  • जिले में 10,840 लोगों ने खुद को भूमिहीन कृषि मजदूर बताकर प्राथमिकता श्रेणी का राशन कार्ड बनवा रखा है. पिछले खरीफ सीजन में इनके आधार नंबर से भी धान बेचा गया है.
  • 5,112 किसानों ने खुद को सीमांत यानि ढाई एकड़ से कम जमीन का मालिक बताकर प्राथमिकता कार्ड बनवाया है, जिन्होंने प्रति एकड़ 15 क्विंटल यानि 40 क्विंटल से अधिक धान विक्रय किया है.
  • 20 किसानों ने 75 क्विंटल से अधिक धान पिछले खरीफ सीजन में बेचा है, लेकिन खुद को लघु कृषक यानि 5 एकड़ से जमीन का मालिक बताकर प्राथमिकता वाला कार्ड प्राप्त किया है.

राज्य शासन ने भूमिहीन, कृषि मजदूर, सीमांत और लघु किसानों को अंत्योदय और प्राथमिकता श्रेणी के राशन कार्ड दिए गए हैं. इस श्रेणी के हितग्राहियों को हर माह एक रुपए की दर से 35 किलो तक चावल दिया जाता है. इसके अलावा नमक, चना का लाभ भी मिलता है.

APL श्रेणी के हितग्राहियों को प्रति किलो 10 रुपए किलो की दर से भुगतान करना पड़ता है. राशन कार्ड बनवाने के दौरान हितग्राहियों के साथ पात्रता को लेकर घोषणा पत्र और आधार नंबर लिया गया है. इसी के आधार पर अलग-अलग श्रेणी का राशन कार्ड बनाया गया है.

जमा किए गए दस्तावेजों में अंतर

धान खरीदी के भुगतान के लिए भी आधार लिंक कराया गया है. दोनों के लिए जमा कराए गए आधार के मिलान में पात्रता के दावा और धान की बिक्री में अंतर पाया गया है. खाद्य विभाग के राशन कार्ड और धान बिक्री के पंजीयन के आधार पर किसान चिन्हित किए गए हैं. जिला प्रशासन की टीम ने पंचायतों में जाकर इन हितग्राहियों के जमीन के दस्तावेज मंगाकर जांच करेगी. जांच में राशन कार्ड के लिए दी गई जानकारी और धान बिक्री के आंकड़ों को सामने रखकर पात्रता का सत्यापन किया जाएगा.

सत्यापन में जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन पाई जाएगी उन्हें प्राथमिकता श्रेणी और इससे अधिक पर एपीएल श्रेणी का कार्ड बनाने की पात्रता रहेगी.

  • जिले में कुल 4 लाख 25 हजार 158 राशन कार्ड धारी है
  • अंत्योदय के 69 हजार 822
  • निराश्रित के 2099
  • अन्नपूर्णा के 248
  • निःशक्तजनों के 2,349
  • बीपीएल 2 लाख 22 हजार
  • एपीएल 1 लाख 28 हजार 94 कार्ड बनाये गए है इस पूरे मामले पर छानबीन कमेंटी में कृषि विस्तार अधिकारी, रोजगार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कोटवार,इस मामले की छानबीन कर रिपोर्ट सौपेंगे जो राज्य सरकार को भेजी जाएगी.

दुर्ग: गांव गरीब किसानों की सरकार कहलाने वाली छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार इसी नारे के साथ आगे बढ़ रही है. सरकार का स्लोगन गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के तहत कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए ऐसी व्यवस्था की गई. हर व्यक्ति को महज एक रुपये किलो में चावल देने की योजना लागू कर देश मे छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य बन गया जो हर व्यक्ति को चावल देता है, लेकिन इस योजना को पलीता भी सीएम के गृह जिले दुर्ग में खूब लगाया जा रहा है. जिले में अमीर किसानों ने सरकार को खूब चूना लगाया है.

राशनकार्डो की होगी जांच

पढ़ें-जगदलपुर: शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेकर खुशहाल हो रहे किसान

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन तब क्या हो जब राज्य के किसान ही सरकार को बेवकूफ बनाने में लग जाए. सीएम के गृह जिले दुर्ग में अन्नदाताओं ने सरकार को ही चूना लगा दिया. छत्तीसगढ़ की सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबों को महज एक रुपये किलो में चावल उपलब्ध कराती हैं, लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ जिले के लगभग 16 हजार अमीर किसान गरीब बनकर ले रहे हैं.

गरीब बताकर ले रहे PDS का राशन

धान बिक्री के आंकड़ों से ही इसका खुलासा हुआ है. समर्थन मूल्य पर तय मात्रा से ज्यादा धान बेचने और खुद को गरीब बताकर सरकारी दुकानों से सस्ता राशन लेने वाले ये किसान अब पीडीएस के दायरे से बाहर हो जाएंगे. बता दें कि इसके लिए इन किसानों की पात्रता का सत्यापन किया जाएगा और राशन कार्ड रद्द किए जाएंगे. आर्थिक स्थिति और कृषि जोत को आधार बनाकर हितग्राहियों को अलग-अलग श्रेणी के राशन कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं.इस तरह समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए भी जमीन के जोत के आधार पर पैमाना तय किया गया है. राशन कार्ड की पात्रता के लिए दी गई जानकारी और समर्थन पर धान बिक्री के आंकड़ों के मिलान में अंतर की स्थिति सामने आई है.

  • जिले में 10,840 लोगों ने खुद को भूमिहीन कृषि मजदूर बताकर प्राथमिकता श्रेणी का राशन कार्ड बनवा रखा है. पिछले खरीफ सीजन में इनके आधार नंबर से भी धान बेचा गया है.
  • 5,112 किसानों ने खुद को सीमांत यानि ढाई एकड़ से कम जमीन का मालिक बताकर प्राथमिकता कार्ड बनवाया है, जिन्होंने प्रति एकड़ 15 क्विंटल यानि 40 क्विंटल से अधिक धान विक्रय किया है.
  • 20 किसानों ने 75 क्विंटल से अधिक धान पिछले खरीफ सीजन में बेचा है, लेकिन खुद को लघु कृषक यानि 5 एकड़ से जमीन का मालिक बताकर प्राथमिकता वाला कार्ड प्राप्त किया है.

राज्य शासन ने भूमिहीन, कृषि मजदूर, सीमांत और लघु किसानों को अंत्योदय और प्राथमिकता श्रेणी के राशन कार्ड दिए गए हैं. इस श्रेणी के हितग्राहियों को हर माह एक रुपए की दर से 35 किलो तक चावल दिया जाता है. इसके अलावा नमक, चना का लाभ भी मिलता है.

APL श्रेणी के हितग्राहियों को प्रति किलो 10 रुपए किलो की दर से भुगतान करना पड़ता है. राशन कार्ड बनवाने के दौरान हितग्राहियों के साथ पात्रता को लेकर घोषणा पत्र और आधार नंबर लिया गया है. इसी के आधार पर अलग-अलग श्रेणी का राशन कार्ड बनाया गया है.

जमा किए गए दस्तावेजों में अंतर

धान खरीदी के भुगतान के लिए भी आधार लिंक कराया गया है. दोनों के लिए जमा कराए गए आधार के मिलान में पात्रता के दावा और धान की बिक्री में अंतर पाया गया है. खाद्य विभाग के राशन कार्ड और धान बिक्री के पंजीयन के आधार पर किसान चिन्हित किए गए हैं. जिला प्रशासन की टीम ने पंचायतों में जाकर इन हितग्राहियों के जमीन के दस्तावेज मंगाकर जांच करेगी. जांच में राशन कार्ड के लिए दी गई जानकारी और धान बिक्री के आंकड़ों को सामने रखकर पात्रता का सत्यापन किया जाएगा.

सत्यापन में जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन पाई जाएगी उन्हें प्राथमिकता श्रेणी और इससे अधिक पर एपीएल श्रेणी का कार्ड बनाने की पात्रता रहेगी.

  • जिले में कुल 4 लाख 25 हजार 158 राशन कार्ड धारी है
  • अंत्योदय के 69 हजार 822
  • निराश्रित के 2099
  • अन्नपूर्णा के 248
  • निःशक्तजनों के 2,349
  • बीपीएल 2 लाख 22 हजार
  • एपीएल 1 लाख 28 हजार 94 कार्ड बनाये गए है इस पूरे मामले पर छानबीन कमेंटी में कृषि विस्तार अधिकारी, रोजगार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कोटवार,इस मामले की छानबीन कर रिपोर्ट सौपेंगे जो राज्य सरकार को भेजी जाएगी.

Last Updated : Sep 19, 2020, 2:25 PM IST
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