भिलाई: भिलाई इस्पात संयंत्र की विशेष प्लेटों से बना भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (ins vikrant ship) अब नौसेना के बेड़े में शामिल होने जा रहा (father of indian navy ) है. आईएनएस विक्रांत के कठिन ट्रायल के बाद देश की रक्षा के लिए तैनात किया जाएगा. आईएनएस विक्रांत के निर्माण में लगने वाली विशेष ग्रेड की प्लेटें तैयार करने में भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी और अधिकारी को मेहनत रही है.नौ सेना की शिपयार्ड में बनने वाले युध्द पोतों के लिए भिलाई स्टील प्लांट ने विशेष रूप से DMR- 249 ग्रेड के प्लेटों की सप्लाई की जाती है. इससे पहले इन प्लेटों की सप्लाई रूस में भी कर चुके है. लेकिन मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही का निर्माण संभव हो सका. बीएसपी के प्लेट मिल में इन प्लेटों का निर्माण बीएसपी कर्मचारियों द्वारा नौ सेना के क्वॉलिटी कन्ट्रोल डिपार्टमेंट के अधिकारियों की सतत निगरानी में तैयार किया जाता है.बीएसपी में तैयार होने वाला लोहा छत्तीसगढ़ के रावघाट और दल्लीजहरा माइंस से निकलता है.
पीएम मोदी ने आईएनएस विक्रांत देश को किया समर्पित : आईएनएस विक्रांत अब पूरे परीक्षण में सफल होने के बाद नौ सेना के बेड़े में शामिल होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) इसे देश समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए भारतीय नौसेना को समर्पित किया है. एक साल पहले 4 अगस्त को विक्रांत को समंदर में ट्रायल के लिए उतारा गया था. अब इस बात से भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी अधिकारी और भिलाई बिरादरी गौरवान्वित महसूस कर रहे है कि आखिरकार स्वदेशी इस्पात से बना पहला विमान वाहक युद्धपोत देश की रक्षा के लिए तैनात होने जा रहा है.
भारत में बना है आईएनएस विक्रांत युद्ध पोत : भारत में बना पहला स्वदेशी विमान वाहक युद्ध पोत कोचीन शिपयार्ड (cochin shipyard ) में तैयार किया गया है. जिसका आकार दो फुटबॉल ग्राउंड के समान है. विक्रांत का रनवे करीब 262 मीटर लम्बा है. विक्रांत की चौड़ाई लगभग 62 मीटर और ऊंचाई 50 मीटर है. इसमे 1800 क्रू मेंबर के लिए 2300 कपार्टमेंट हैं. वर्तमान में आईएनएस विक्रांत में 30 एयर क्राफ्ट को तैनात किया जाएगा.जिनमे 10 हेलीकॉप्टर और (20) MIG-29 फाइटर प्लेन रखे जाएंगे. INS विक्रांत समुद्र पर फ्लोटिंग एयर फील्ड के रूप में काम करेगा. इस पर तैनात हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान सैकड़ों किलोमीटर तक समंदर की निगरानी करेंगे. जिससे अन्य देशों के युध्दपोत या पनडुब्बी समंदर की सीमा पर अतिक्रमण को रोका जा सकता है.