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दुर्ग के छातागढ़ मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर में है खजाना, इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं रक्षा !

hanuman temple of chhatagarh durg: दुर्ग का छातागढ़ मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर लगभग ढाई हजार साल पुराना है. मान्यता है कि इस मंदिर के नीचे खजाना है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं.

chhatagarh manokamna siddhpeeth in durg
दुर्ग का छातागढ़ मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर
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Published : Feb 7, 2022, 2:26 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 2:33 PM IST

दुर्ग: 36 गढ़ों के नाम पर प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. इस 36 गढ़ में से एक गढ़ है छातागढ़. जो दुर्ग जिले में स्थित है. इस छातागढ़ में मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर (hanuman temple of chhatagarh durg) है. जहां लगभग ढाई हजार साल पुरानी बजरंगबली की मूर्ति हैं. जहां हर मनोकामना पूरी होती है. दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं. इस छातागढ़ की खास बात ये भी है कि बजरंगबली की मूर्ति के नीचे खजाना दबा हुआ है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं.

दुर्ग का छातागढ़ मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर

राजा जगतपाल गुफा के जरिए आते थे मंदिर

दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर दुर्ग की जीवनदायिनी शिवनाथ नदी के किनारे छातागढ़ स्थित है . यहां छोटे से पहाड़ियों के टीले पर ढाई हजार साल से भगवान बजरंगबली की पत्थर की प्रतिमा है. बताया जाता है कि दुर्ग के राजा जगतपाल अपने किले से गुफा के द्वारा इस मंदिर में बजरंगबली जी की पूजा करने आते थे. यह भी बताया गया है कि बजरंगबली के मंदिर के नीचे सोने का खजाना दफन है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग - नागिन का जोड़ा करते हैं. इसलिए इस मंदिर के प्रांगण में सभी जगह नाग नागिन के होने का बोर्ड लगा हुआ है. सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक जाना पड़ता है.

जानिए आज सोने चांदी के दाम

सपने में दिखा था इच्छाधारी नाग नागिन का जोड़ा

मंदिर के पुजारी सोन सिंह राजपूत बताते हैं कि यहां पर अमरकंटक से बाबा कानू चरण आए थे. जिनके चरणों के निशान नुमा मंदिर भी बनाया गया है. बाबा को इस जगह पर खजाना दफन होने का सपना आया था. बाबा के सपने में इस खजाने की रक्षा करते हुए इच्छाधारी नाग नागिन का जोड़ा भी दिखाई दिया था. मंदिर के तल के नीचे मां दुर्गा की सोने की मूर्ति है. दुर्ग के राजा जगतपाल अपने किले से सुरंग के जरिए इस मंदिर में आते थे और अपने गुरु से मिलकर वापस चले जाते थे.

पुजारी बताते हैं कि मंदिर में मौजूद इच्छाधारी नाग नागिन के जोड़े को 2018 में राजस्थान से आए एक बाबा ने भी देखा था. इससे यह सिद्ध होता है कि यहां पर नाग - नागिन का जोड़ा मौजूद है. बाबा का दावा है कि नाग-नागिन जहां रहते हैं वहां खजाना जरूर होता है. हालांकि अब तक इस जगह पर पुरातत्व विभाग नहीं पहुंचा है.


दूर-दूर से मन्नत पूरी करने पहुंचते हैं श्रद्धालु

पुजारी सोन सिंह राजपूत ने बताया कि 'यह मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों से भी भक्त आते है. जो अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते है और भगवान बजरंगबली उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

दुर्ग: 36 गढ़ों के नाम पर प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. इस 36 गढ़ में से एक गढ़ है छातागढ़. जो दुर्ग जिले में स्थित है. इस छातागढ़ में मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर (hanuman temple of chhatagarh durg) है. जहां लगभग ढाई हजार साल पुरानी बजरंगबली की मूर्ति हैं. जहां हर मनोकामना पूरी होती है. दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं. इस छातागढ़ की खास बात ये भी है कि बजरंगबली की मूर्ति के नीचे खजाना दबा हुआ है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं.

दुर्ग का छातागढ़ मनोकामना सिद्धपीठ हनुमान मंदिर

राजा जगतपाल गुफा के जरिए आते थे मंदिर

दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर दुर्ग की जीवनदायिनी शिवनाथ नदी के किनारे छातागढ़ स्थित है . यहां छोटे से पहाड़ियों के टीले पर ढाई हजार साल से भगवान बजरंगबली की पत्थर की प्रतिमा है. बताया जाता है कि दुर्ग के राजा जगतपाल अपने किले से गुफा के द्वारा इस मंदिर में बजरंगबली जी की पूजा करने आते थे. यह भी बताया गया है कि बजरंगबली के मंदिर के नीचे सोने का खजाना दफन है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग - नागिन का जोड़ा करते हैं. इसलिए इस मंदिर के प्रांगण में सभी जगह नाग नागिन के होने का बोर्ड लगा हुआ है. सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक जाना पड़ता है.

जानिए आज सोने चांदी के दाम

सपने में दिखा था इच्छाधारी नाग नागिन का जोड़ा

मंदिर के पुजारी सोन सिंह राजपूत बताते हैं कि यहां पर अमरकंटक से बाबा कानू चरण आए थे. जिनके चरणों के निशान नुमा मंदिर भी बनाया गया है. बाबा को इस जगह पर खजाना दफन होने का सपना आया था. बाबा के सपने में इस खजाने की रक्षा करते हुए इच्छाधारी नाग नागिन का जोड़ा भी दिखाई दिया था. मंदिर के तल के नीचे मां दुर्गा की सोने की मूर्ति है. दुर्ग के राजा जगतपाल अपने किले से सुरंग के जरिए इस मंदिर में आते थे और अपने गुरु से मिलकर वापस चले जाते थे.

पुजारी बताते हैं कि मंदिर में मौजूद इच्छाधारी नाग नागिन के जोड़े को 2018 में राजस्थान से आए एक बाबा ने भी देखा था. इससे यह सिद्ध होता है कि यहां पर नाग - नागिन का जोड़ा मौजूद है. बाबा का दावा है कि नाग-नागिन जहां रहते हैं वहां खजाना जरूर होता है. हालांकि अब तक इस जगह पर पुरातत्व विभाग नहीं पहुंचा है.


दूर-दूर से मन्नत पूरी करने पहुंचते हैं श्रद्धालु

पुजारी सोन सिंह राजपूत ने बताया कि 'यह मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों से भी भक्त आते है. जो अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते है और भगवान बजरंगबली उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

Last Updated : Feb 7, 2022, 2:33 PM IST

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