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दुर्ग में बेटे की खातिर पिता बना भिखारी, जानिए क्यों

दुर्ग में कुपोषित बच्चे को लेकर एक पिता दर-दर की ठोकर खा रहा है. 11 साल का बच्चा कुपोषित है. मां भी जन्म देते ही चल बसी. बच्चे का ख्याल रखने वाला कोई नहीं होने के कारण पिता ने रिक्शा चलाना छोड़ दिया लेकिन अपना और बच्चे का पेट भरने के लिए पिता ने भीख मांगनी शुरू कर दी. पिता का कहना है कि लोगों के सामने हाथ फैलाने से पहले उसने सरकार के सामने हाथ फैलाया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. (durg Father begging for disabled child)

durg Father begging for disabled child
दुर्ग में बच्चे के लिए पिता बना भिखारी
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Published : May 20, 2022, 11:08 AM IST

Updated : May 20, 2022, 3:55 PM IST

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार कुपोषित बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रही है. लेकिन शायद इन योजनाओं का फायदा आखिरी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसी वजह से दुर्ग में एक पिता अपने 11 साल के बच्चे को गोद में लेकर भटक रहा है. गर्मी हो या बरसात ये बेबस पिता अपने बेटे को गोद में उठाकर जगह-जगह मदद की गुहार लगा चुका हैं. लेकिन कहीं भी मदद नहीं मिली. अब ये पिता अपना और बच्चे का पेट पालने के लिए बीख मांग रहा है. (durg Father begging for disabled child )

दुर्ग में बच्चे के लिए पिता बना भिखारी

कुपोषित बच्चे के लिए भिखारी बना पिता: धमधा ब्लाक क्षेत्र के ननकट्टी का रहने वाला चंद्र कुमार देशलहरे पिछले 11 सालों से अपने कुपोषित बच्चे को गोद में लेकर भटक रहा है. चंद्र कुमार के 11 साल के बच्चे का नाम राज है. राज बचपन से ही कुपोषित है.चंद्र कुमार ने बताया कि "11 साल पहले रिक्शा चलाता था. परिवार में पत्नी थी. बेटे राज के जन्म के समय ही पत्नी की डिलीवरी में मौत हो गई. तब से रिक्शा चलाना भी छूट गया. बेटा बचपन से ही कुपोषणा का शिकार हो गया. बच्चे की देखरेख करने के लिए कोई नहीं होने के कारण रिक्शा चलाना छोड़ना पड़ा. तब से बच्चे को गोद में लेकर मदद की आस में नेता और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा हूं लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही हैं".

बीजापुर में भूपेश बघेल को देखते ही क्यों किसान की आंखों में आ गए आंसू

नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ: चंद्र कुमार बताते है कि " सरकार से मदद नहीं मिलने के कारण पेट भरने के लिए लोगों से भीख मांगनी पड़ रही है. कुछ लोग मदद करते हैं कुछ लोग ताना मारते हैं लेकिन एक पिता होने के कारण बच्चे को अकेले इस हालत में छोड़ नहीं सकता. इसलिए उसे गोद में लेकर घूमता रहता हूं. प्रशासन और सरकार से लगातार मदद की मांग कर रहा हूं लेकिन अब तक किसी तरह की मदद नहीं मिली. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से दुर्ग में एक कार्यक्रम के दौरान मिलने की कोशिश भी की. लेकिन सीएम के सुरक्षाकर्मियों ने मिलने नहीं दिया. इससे हताश होकर वहां से चला गया. दुर्ग कलेक्टर से भी मदद के लिए कई बार आवेदन दे चुका हूं. सरकार से यहीं मांग है कि बच्चे की देखभाल की व्यवस्था हो जाएं और कोई रिक्शा दिलवा दें तो मेहनत करके अपना जीवन यापन कर लूंगा". (Schemes for children with disabilities in Durg)

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार कुपोषित बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रही है. लेकिन शायद इन योजनाओं का फायदा आखिरी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इसी वजह से दुर्ग में एक पिता अपने 11 साल के बच्चे को गोद में लेकर भटक रहा है. गर्मी हो या बरसात ये बेबस पिता अपने बेटे को गोद में उठाकर जगह-जगह मदद की गुहार लगा चुका हैं. लेकिन कहीं भी मदद नहीं मिली. अब ये पिता अपना और बच्चे का पेट पालने के लिए बीख मांग रहा है. (durg Father begging for disabled child )

दुर्ग में बच्चे के लिए पिता बना भिखारी

कुपोषित बच्चे के लिए भिखारी बना पिता: धमधा ब्लाक क्षेत्र के ननकट्टी का रहने वाला चंद्र कुमार देशलहरे पिछले 11 सालों से अपने कुपोषित बच्चे को गोद में लेकर भटक रहा है. चंद्र कुमार के 11 साल के बच्चे का नाम राज है. राज बचपन से ही कुपोषित है.चंद्र कुमार ने बताया कि "11 साल पहले रिक्शा चलाता था. परिवार में पत्नी थी. बेटे राज के जन्म के समय ही पत्नी की डिलीवरी में मौत हो गई. तब से रिक्शा चलाना भी छूट गया. बेटा बचपन से ही कुपोषणा का शिकार हो गया. बच्चे की देखरेख करने के लिए कोई नहीं होने के कारण रिक्शा चलाना छोड़ना पड़ा. तब से बच्चे को गोद में लेकर मदद की आस में नेता और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा हूं लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही हैं".

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नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ: चंद्र कुमार बताते है कि " सरकार से मदद नहीं मिलने के कारण पेट भरने के लिए लोगों से भीख मांगनी पड़ रही है. कुछ लोग मदद करते हैं कुछ लोग ताना मारते हैं लेकिन एक पिता होने के कारण बच्चे को अकेले इस हालत में छोड़ नहीं सकता. इसलिए उसे गोद में लेकर घूमता रहता हूं. प्रशासन और सरकार से लगातार मदद की मांग कर रहा हूं लेकिन अब तक किसी तरह की मदद नहीं मिली. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से दुर्ग में एक कार्यक्रम के दौरान मिलने की कोशिश भी की. लेकिन सीएम के सुरक्षाकर्मियों ने मिलने नहीं दिया. इससे हताश होकर वहां से चला गया. दुर्ग कलेक्टर से भी मदद के लिए कई बार आवेदन दे चुका हूं. सरकार से यहीं मांग है कि बच्चे की देखभाल की व्यवस्था हो जाएं और कोई रिक्शा दिलवा दें तो मेहनत करके अपना जीवन यापन कर लूंगा". (Schemes for children with disabilities in Durg)

Last Updated : May 20, 2022, 3:55 PM IST

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