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SPECIAL: स्लम एरिया के बच्चों को कबड्डी में 'काबिल' बना रहे भिलाई के दंपति

आधुनिक युग में हर शख्स भागदौड़ भरी जिंदगी से गुजर रहा है. वह सिर्फ अपने परिवार तक सीमित होकर रह गया है. इस माहौल में भी छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहने वाले एक दंपति ने अनोखी मिसाल कायम की है. इससे समाज में अच्छा संदेश जा रहा है. इनकी मेहनत की बदौलत झुग्गी बस्तियों के सैकड़ों बच्चे आज कबड्डी के स्टार भी बन गए हैं.

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भिलाई के दंपति दे रहे बच्चों को ट्रेनिंग
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Published : Feb 26, 2021, 5:03 PM IST

दुर्ग/भिलाई: ट्विनसिटी के कोच दंपति ए प्रकाश राव और छाया प्रकाश राव ने उन बच्चों को स्टार बनाने का बीड़ा उठाया है, जो झुग्गी बस्तियों में रहते हैं. ये बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करते हैं. लेकिन इस दंपति ने बच्चों को ट्रेनिंग देकर खेलो इंडिया तक पहुंचाया.

स्लम एरिया के बच्चों को कबड्डी में 'काबिल' बना रहे भिलाई के दंपति

17 साल से ट्रेनिंग, 300 से ज्यादा नेशनल प्लेयर

भिलाई के ये कोच दंपति स्लम एरिया के बच्चों को कबड्डी में काबिल बनाने के मकसद से पिछले 17 सालों से ट्रेनिंग दे रहे हैं. साल 2004 से 2009 तक भिलाई के सेक्टर-1 में ट्रेनिंग दी जाती थी. उसके बाद साल 2009 से 2019 तक खुर्सीपार जोन-2 स्कूल में ट्रेनिंग दी गई. साल 2019 से खुर्शीपार स्थित बाल मंदिर ग्राउंड में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराई जा रही है.

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भिलाई के दंपति दे रहे बच्चों को ट्रेनिंग
  • इनकी कोचिंग की बदौलत 300 से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल लेवल पर कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं.
  • साल 2018 में 6 खिलाड़ियों का खेलो इंडिया में सिलेक्शन हुआ.
  • साल 2019 में 8 खिलाड़ियों का चयन खेलो इंडिया के लिए हुआ.
  • 3 खिलाड़ी शहीद पंकज विक्रम अवार्ड से सम्मानित
  • 5 खिलाड़ी इंडिया कैंप जा चुके हैं
  • 25 खिलाड़ी वर्तमान में या तो पुलिस विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं या अन्य विभागों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

कोच दंपति की मानें तो सभी बच्चे गरीब फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन आज खेल की बदौलत सभी बच्चों ने अपनी अलग पहचान बनाई है.

कोच से मिली प्रेरणा

कबड्डी कोच छाया प्रकाश राव कहती हैं कि वे पहले बास्केटबॉल की प्लेयर थीं. मेरे कोच स्वर्गीय राजेश पटेल ने बहुत से खिलाड़ियों की जिंदगी बनाई. उनसे ही मुझे प्रेरणा मिली. उन्होंने ही मेरे पति को कहा कि मैं एक बेहतर कोच बन सकती हूं. उसके बाद से हमने गरीब तबके के बच्चों को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने की शुरुआत की. साल 2004 से सिलसिला शुरू हुआ और सफर जारी है.

आईटीबीपी के 'अर्जुन': नक्सलगढ़ के बच्चे गढ़ रहे तीरंदाजी में भविष्य

'ईश्वर ने जो दिया, उसे इन बच्चों को देने में क्या हर्ज'

कोच दंपति छाया कहती हैं कि अमीरों के बच्चे कहीं भी जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं. वे कहीं पर भी महंगे गेम खेल सकते हैं, जिसमें बहुत सारे इक्यूपमेंट लगते हैं. लेकिन ये बच्चे न तो बहुत ज्यादा फीस दे सकते हैं और न ही सुविधाओं के लिए इक्यूपमेंट खरीद सकते हैं. हमने सोचा की क्यों न ईश्वर ने हमको जो कुछ दिया है, उससे इन बच्चों के लिए कुछ किया जाए तो ये बच्चे भी आगे बढ़ सकते हैं. वैसे भी ये बच्चे मेहनती हैं. शायद यही वजह है कि आज कबड्डी में ये बच्चे अपना जलवा बिखेर रहे हैं.

कबड्डी के नेशनल प्लेयर रह चुके हैं प्रकाश राव

कोच ए प्रकाश राव कहते हैं कि हमारे यहां जितने भी बच्चे हैं, सभी गरीब तबके से हैं. इन बच्चों को पत्नी के साथ मिलकर ट्रेनिंग देते हैं. बच्चों के पास न तो ट्रैक शूट था और न ही जूता. शुरुआत में दिक्कतें भी आईं लेकिन जब यही बच्चे मेडल जीतने लगे तो सारी तकलीफें दूर हो गईं

राज्य स्तरीय खेल अकादमी के लिए बस्तर के खिलाड़ियों का हुआ चयन ट्रायल

कोच का मिला साथ तो 25 नेशनल खेल चुकी मजदूर की बेटी

नेशनल कबड्डी प्लेयर रिजवाना खातून कहती हैं कि कोच की मदद मिली तो अबतक 25 नेशनल खेल चुकी हैं. पिता मजदूरी का काम करते हैं, लेकिन आज मैं जो भी हूं, वह अपने कोच की बदौलत हूं. मुस्लिम फैमिली से होने की वजह से कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन सर और मैम का सपोर्ट मिला. घरवालों को समझाया. जब मैडल जीता तब घर वाले भी खुश हुए.

कुमारी संजना कहती हैं कि उनके पिता जी बैलून बेचने का काम करते हैं. शुरुआत में घर वाले मना कर रहे थे, लेकिन आज सभी गर्व महसूस कर रहे हैं. वह कहती हैं कि खेलो इंडिया से जब से आई हैं तब से हर महीने 10 हजार रुपये मिलते हैं.

2004 से दे रहे हैं निःशुल्क ट्रेनिंग

कोच दंपति साल 2004 से बच्चों को कबड्डी की ट्रेनिंग दे रहे हैं. साल 2004 से 2009 तक भिलाई के सेक्टर-1 में ट्रेनिंग दी जाती थी. उसके बाद साल 2009 से 2019 तक खुर्सीपार जोन-2 स्कूल में ट्रेनिंग दी गई. साल 2019 से खुर्शीपार स्थित बाल मंदिर ग्राउंड में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराई जा रही है.

शासन से सहयोग की उम्मीद

हर साल 15 से 20 नेशनल प्लेयर निकालने वाले कोच दंपति कहते हैं कि यदि शासन से कुछ सहयोग मिल जाए तो बड़ी तादाद में नेशनल के लिए खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं. यह खिलाड़ी राज्य के साथ-साथ हमारे देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. वे कहते हैं कि यदि शासन मैदान की व्यवस्था कर दे तो और भी बच्चे यहां आकर ट्रेनिंग ले सकते हैं.

दुर्ग/भिलाई: ट्विनसिटी के कोच दंपति ए प्रकाश राव और छाया प्रकाश राव ने उन बच्चों को स्टार बनाने का बीड़ा उठाया है, जो झुग्गी बस्तियों में रहते हैं. ये बच्चे दो वक्त की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करते हैं. लेकिन इस दंपति ने बच्चों को ट्रेनिंग देकर खेलो इंडिया तक पहुंचाया.

स्लम एरिया के बच्चों को कबड्डी में 'काबिल' बना रहे भिलाई के दंपति

17 साल से ट्रेनिंग, 300 से ज्यादा नेशनल प्लेयर

भिलाई के ये कोच दंपति स्लम एरिया के बच्चों को कबड्डी में काबिल बनाने के मकसद से पिछले 17 सालों से ट्रेनिंग दे रहे हैं. साल 2004 से 2009 तक भिलाई के सेक्टर-1 में ट्रेनिंग दी जाती थी. उसके बाद साल 2009 से 2019 तक खुर्सीपार जोन-2 स्कूल में ट्रेनिंग दी गई. साल 2019 से खुर्शीपार स्थित बाल मंदिर ग्राउंड में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराई जा रही है.

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भिलाई के दंपति दे रहे बच्चों को ट्रेनिंग
  • इनकी कोचिंग की बदौलत 300 से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल लेवल पर कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं.
  • साल 2018 में 6 खिलाड़ियों का खेलो इंडिया में सिलेक्शन हुआ.
  • साल 2019 में 8 खिलाड़ियों का चयन खेलो इंडिया के लिए हुआ.
  • 3 खिलाड़ी शहीद पंकज विक्रम अवार्ड से सम्मानित
  • 5 खिलाड़ी इंडिया कैंप जा चुके हैं
  • 25 खिलाड़ी वर्तमान में या तो पुलिस विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं या अन्य विभागों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

कोच दंपति की मानें तो सभी बच्चे गरीब फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन आज खेल की बदौलत सभी बच्चों ने अपनी अलग पहचान बनाई है.

कोच से मिली प्रेरणा

कबड्डी कोच छाया प्रकाश राव कहती हैं कि वे पहले बास्केटबॉल की प्लेयर थीं. मेरे कोच स्वर्गीय राजेश पटेल ने बहुत से खिलाड़ियों की जिंदगी बनाई. उनसे ही मुझे प्रेरणा मिली. उन्होंने ही मेरे पति को कहा कि मैं एक बेहतर कोच बन सकती हूं. उसके बाद से हमने गरीब तबके के बच्चों को नि:शुल्क ट्रेनिंग देने की शुरुआत की. साल 2004 से सिलसिला शुरू हुआ और सफर जारी है.

आईटीबीपी के 'अर्जुन': नक्सलगढ़ के बच्चे गढ़ रहे तीरंदाजी में भविष्य

'ईश्वर ने जो दिया, उसे इन बच्चों को देने में क्या हर्ज'

कोच दंपति छाया कहती हैं कि अमीरों के बच्चे कहीं भी जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं. वे कहीं पर भी महंगे गेम खेल सकते हैं, जिसमें बहुत सारे इक्यूपमेंट लगते हैं. लेकिन ये बच्चे न तो बहुत ज्यादा फीस दे सकते हैं और न ही सुविधाओं के लिए इक्यूपमेंट खरीद सकते हैं. हमने सोचा की क्यों न ईश्वर ने हमको जो कुछ दिया है, उससे इन बच्चों के लिए कुछ किया जाए तो ये बच्चे भी आगे बढ़ सकते हैं. वैसे भी ये बच्चे मेहनती हैं. शायद यही वजह है कि आज कबड्डी में ये बच्चे अपना जलवा बिखेर रहे हैं.

कबड्डी के नेशनल प्लेयर रह चुके हैं प्रकाश राव

कोच ए प्रकाश राव कहते हैं कि हमारे यहां जितने भी बच्चे हैं, सभी गरीब तबके से हैं. इन बच्चों को पत्नी के साथ मिलकर ट्रेनिंग देते हैं. बच्चों के पास न तो ट्रैक शूट था और न ही जूता. शुरुआत में दिक्कतें भी आईं लेकिन जब यही बच्चे मेडल जीतने लगे तो सारी तकलीफें दूर हो गईं

राज्य स्तरीय खेल अकादमी के लिए बस्तर के खिलाड़ियों का हुआ चयन ट्रायल

कोच का मिला साथ तो 25 नेशनल खेल चुकी मजदूर की बेटी

नेशनल कबड्डी प्लेयर रिजवाना खातून कहती हैं कि कोच की मदद मिली तो अबतक 25 नेशनल खेल चुकी हैं. पिता मजदूरी का काम करते हैं, लेकिन आज मैं जो भी हूं, वह अपने कोच की बदौलत हूं. मुस्लिम फैमिली से होने की वजह से कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन सर और मैम का सपोर्ट मिला. घरवालों को समझाया. जब मैडल जीता तब घर वाले भी खुश हुए.

कुमारी संजना कहती हैं कि उनके पिता जी बैलून बेचने का काम करते हैं. शुरुआत में घर वाले मना कर रहे थे, लेकिन आज सभी गर्व महसूस कर रहे हैं. वह कहती हैं कि खेलो इंडिया से जब से आई हैं तब से हर महीने 10 हजार रुपये मिलते हैं.

2004 से दे रहे हैं निःशुल्क ट्रेनिंग

कोच दंपति साल 2004 से बच्चों को कबड्डी की ट्रेनिंग दे रहे हैं. साल 2004 से 2009 तक भिलाई के सेक्टर-1 में ट्रेनिंग दी जाती थी. उसके बाद साल 2009 से 2019 तक खुर्सीपार जोन-2 स्कूल में ट्रेनिंग दी गई. साल 2019 से खुर्शीपार स्थित बाल मंदिर ग्राउंड में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस कराई जा रही है.

शासन से सहयोग की उम्मीद

हर साल 15 से 20 नेशनल प्लेयर निकालने वाले कोच दंपति कहते हैं कि यदि शासन से कुछ सहयोग मिल जाए तो बड़ी तादाद में नेशनल के लिए खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं. यह खिलाड़ी राज्य के साथ-साथ हमारे देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. वे कहते हैं कि यदि शासन मैदान की व्यवस्था कर दे तो और भी बच्चे यहां आकर ट्रेनिंग ले सकते हैं.

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