बिलासपुर : नियमित कर्मचारियों के बाद संविदा कर्मचारी भी शुक्रवार को एक दिवसीय हड़ताल पर (strike of employees officers in Chhattisgarh) रहे. संविदा कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से थोड़े बहुत सरकारी कार्यालयों हो रहे कामकाज भी पूरी तरह हो बंद हो गए. दफ्तरों में ताला लटका रहा, वहीं संविदा कर्मचारी नियमितिकरण और वेतन विसंगति को दूर करने की मांग करने कलेक्ट्रेट पहुंच गए. संविदा कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से शुक्रवार को सरकारी कार्यालयों में कोई भी कर्मचारी नहीं पहुंचे.
सरकारी के साथ अब संविदा भी नाराज : प्रदेश में इस समय हड़ताली सीजन चल रहा है. सभी शासकीय दफ्तरों के कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं. सभी की अपनी-अपनी अलग मांग है. इस हड़ताली सीजन में अपनी मांग पूरी करने संविदा कर्मचारी भी उतर आए हैं. शुक्रवार को पूरे प्रदेश के 40 हजार संविदा कर्मचारी एक दिवसीय हड़ताल पर रहे. ऐसी स्थिति में कार्यालय में ताला लग गया था. सरकार और कर्मचारियों के बीच चल रहे उठापटक में आम जनता काफी परेशान है. संविदा कर्मचारियों में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी भी शामिल थे.
वैक्सीनेशन मुहिम में पड़ा असर : कोरोना के डोज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में वैक्सीनेशन महाअभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत जिले में लगभग साढ़े चार हजार वैक्सीनेशन रोजाना की जा रही थी. लेकिन शुक्रवार को संविदा कर्मचारियों के हड़ताल में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी ने अपना समर्थन दिया और पूरे जिले में वैक्सीनेशन महा अभियान पूरी तरह से बंद हो गया. सिम्स मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल में वैक्सीनेशन तो हुए, लेकिन जितनी बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी 15 सेंटरों के माध्यम से वैक्सीनेशन का कार्य करते हैं. वह पूरी तरह से बंद पड़ (Vaccination campaign affected) गया.
क्या है हड़ताल पर राय : अपनी मांगों को लेकर जहां पिछले 5 दिनों से राज्य के शासकीय कर्मचारी हड़ताल पर हैं. वहीं शुक्रवार को संविदा कर्मचारी भी एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए. इस वजह से कार्यालयों में ताला लटकने की नौबत आ गई. कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से जहां शासकीय काम में बाधा हुई है. वहीं आम जनता के कोई भी जरूरी काम नहीं हो पाए हैं. इस विषय में कर्मचारी नेता कर्मचारी और आम जनता से बात करने पर सबकी राय सामने आए हैं.
कर्मचारी नेता का बयान : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में संभागीय कर्मचारी संघ के संरक्षक पीआर यादव ने कहा कि ''आज जो स्थिति उत्पन्न हुई है, यह राज्य सरकार की वजह से उत्पन्न हुई है. क्योंकि इससे पहले जब कर्मचारी पांच दिवसीय हड़ताल पर थे, तभी सरकार को बता दिया गया था कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होगी तो आने वाले समय में वह अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. यदि उसी समय सरकार कर्मचारियों की मांगे मान लेती तो शायद यह स्थिति आज उत्पन्न नहीं होती.''
संविदा कर्मचारियों का अपना तर्क: स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी श्याम मोहन ने कहा कि ''उनकी दो सूत्रीय मांग है. पहला सरकार अपना वादा निभाए और अनियमित कर्मचारियों को नियमित करे और दूसरा वेतन विसंगति दूर करे. सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी के प्रदेश में 40 हजार और जिले में 24 सौ कर्मचारी है.'' काम बंद कर हड़ताल पर जाने और आम जनता को हो रही परेशानी के मामले में उन्होंने कहा कि ''वे चिंता कर रहे है कि कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से जनता परेशान है. लेकिन जनता के रुके हुए कामों को वो काम शुरु करते ही ज्यादा समय देकर पूरा करेंगे. पिछली बार भी इसी तरह हड़ताल के बाद जनता के पेंडिंग कामों को ऑफिस टाइम के अलावा एक्स्ट्रा टाइम देकर काम कर पूरा किये थे.''
आम जनता हो रही परेशान : बहतराई गांव में रहने वाले सुरेश खरे ने बताया कि ''वह पिछले 3 दिनों से नजूल कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. उनका काम हड़ताल की वजह से नहीं हो रहा है. उन्होंने हड़ताल को लेकर कहा कि भले कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आम जनता की समस्या को ध्यान में रखकर हड़ताल की शुरुआत करनी थी. पहले उन्हें आम जनता परेशान ना हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी थी. इसके बाद हड़ताल पर जाना था, क्योंकि उनके बहुत सारे काम रुके हुए हैं और नजूल शाखा में अपने काम को करवाने वह 3 दिनों से चक्कर काट रहे हैं.''