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protest against Ravana combustion : गौरेला में रावण दहन को लेकर विरोध, आदिवासी समाज ने दिया अल्टीमेटम - सर्व आदिवासी समाज

tribal protest against Ravana combustion बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला विजयदशमी का पर्व गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में होगा या नहीं इस पर संशय है. क्योंकि सर्व आदिवासी समाज एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने प्रशासन को अल्टीमेटम देकर रावण दहन का विरोध जताया है. जिला प्रशासन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रावण दहन एवं दशहरा की पूरी तैयारी कर रखी है. वहीं जिला पुलिस भी परंपरा अनुसार रावण दहन में पुलिस बल की सुरक्षा तैयारी के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

गौरेला में रावण दहन को लेकर विरोध, आदिवासी समाज ने दिया अल्टीमेटम
गौरेला में रावण दहन को लेकर विरोध, आदिवासी समाज ने दिया अल्टीमेटम
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Published : Oct 5, 2022, 12:09 PM IST

Updated : Oct 5, 2022, 2:01 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार जहां राम वन गमन मार्ग पर पर्यटन परिपथ सर्किल बनाकर भगवान राम के प्रति आस्था प्रकट कर रही है. वहीं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सर्व आदिवासी समाज एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी रावण समेत महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हुए उसके दहन पर रोक लगाने का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया है.

जिसके तहत सर्व आदिवासी समाज ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए लिखा है कि नवदुर्गा पूजा में स्थापित देवी प्रतिमा में महिषासुर को देवी के चरणों के पास अमानवीय तरीके से रखा जाता है. वहीं रावण को जलाकर जिस तरह जश्न मनाया जाता है. वो ठीक नहीं है. वो उनके पूर्वज हैं. ऐसा करने से सर्व आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त (Tribals protest against Ravana combustion) है.

वहीं रावण को अपना पूर्वज बताने पर जानकारों ने पुराणों में वर्णित लेखों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ''उत्तम कुल पुलस्ति कर नाती, सिव बिंरचि पूजेहु बहु भांति'' रावण सुमाली ऋषि का नाती था और यदि यह मान भी लिया जाए कि वह इनके भी पूर्वज थे तो क्या अहंकार , पर स्त्री हरण, अत्याचार जैसे रावण की बुराइयों को क्या वे सही मानते हैं. वैसे भी हिंदुस्तान बहुत बड़ा है जहां सभी परंपराएं चलती हैं. मरवाही विधानसभा के सर्व आदिवासी समाज हिंदुस्तान नहीं हैं.

मामले मरवाही विधानसभा के विधायक डॉक्टर के के ध्रुव जो खुद आदिवासी समाज से आते हैं उनका मानना है कि '' रावण दहन पुरानी परंपराओं के अनुसार ही होगा. सभी धर्म के लोग से पुराने समय से मिलकर मनाते आ रहे हैं. वैसा ही होना चाहिए..

वहीं सर्व आदिवासी समाज में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में गौरेला जनपद की अध्यक्ष ममता पैकरा ने रावण दहन को पुरानी परंपरा से जोड़ते हुए कहा है कि ''पूर्वजों से हम रावण दहन देखते आ रहे हैं और यह उसी तरह चलता रहेगा. हमारा विरोध नहीं है.

ये भी पढ़ें- रावण दहन परंपरा बंद करने की मांग

प्रशासन ने भी आदिवासी समाज की ओर से मिले ज्ञापन के बाद कमर कस ली है. पुलिस का कहना है कि हर साल कई वर्ग सामाजिक कार्यक्रमों को परंपरा के अनुसार ही मनाता है. इसके लिए लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने के लिए पुलिस की व्यवस्था पर्याप्त रहेगी. यदि कोई अप्रिय स्थिति बनी तो तदनुसार कार्यवाही भी की जाएगी.Gaurela Pendra Marwahi


गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार जहां राम वन गमन मार्ग पर पर्यटन परिपथ सर्किल बनाकर भगवान राम के प्रति आस्था प्रकट कर रही है. वहीं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सर्व आदिवासी समाज एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी रावण समेत महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हुए उसके दहन पर रोक लगाने का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया है.

जिसके तहत सर्व आदिवासी समाज ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए लिखा है कि नवदुर्गा पूजा में स्थापित देवी प्रतिमा में महिषासुर को देवी के चरणों के पास अमानवीय तरीके से रखा जाता है. वहीं रावण को जलाकर जिस तरह जश्न मनाया जाता है. वो ठीक नहीं है. वो उनके पूर्वज हैं. ऐसा करने से सर्व आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त (Tribals protest against Ravana combustion) है.

वहीं रावण को अपना पूर्वज बताने पर जानकारों ने पुराणों में वर्णित लेखों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ''उत्तम कुल पुलस्ति कर नाती, सिव बिंरचि पूजेहु बहु भांति'' रावण सुमाली ऋषि का नाती था और यदि यह मान भी लिया जाए कि वह इनके भी पूर्वज थे तो क्या अहंकार , पर स्त्री हरण, अत्याचार जैसे रावण की बुराइयों को क्या वे सही मानते हैं. वैसे भी हिंदुस्तान बहुत बड़ा है जहां सभी परंपराएं चलती हैं. मरवाही विधानसभा के सर्व आदिवासी समाज हिंदुस्तान नहीं हैं.

मामले मरवाही विधानसभा के विधायक डॉक्टर के के ध्रुव जो खुद आदिवासी समाज से आते हैं उनका मानना है कि '' रावण दहन पुरानी परंपराओं के अनुसार ही होगा. सभी धर्म के लोग से पुराने समय से मिलकर मनाते आ रहे हैं. वैसा ही होना चाहिए..

वहीं सर्व आदिवासी समाज में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में गौरेला जनपद की अध्यक्ष ममता पैकरा ने रावण दहन को पुरानी परंपरा से जोड़ते हुए कहा है कि ''पूर्वजों से हम रावण दहन देखते आ रहे हैं और यह उसी तरह चलता रहेगा. हमारा विरोध नहीं है.

ये भी पढ़ें- रावण दहन परंपरा बंद करने की मांग

प्रशासन ने भी आदिवासी समाज की ओर से मिले ज्ञापन के बाद कमर कस ली है. पुलिस का कहना है कि हर साल कई वर्ग सामाजिक कार्यक्रमों को परंपरा के अनुसार ही मनाता है. इसके लिए लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने के लिए पुलिस की व्यवस्था पर्याप्त रहेगी. यदि कोई अप्रिय स्थिति बनी तो तदनुसार कार्यवाही भी की जाएगी.Gaurela Pendra Marwahi


Last Updated : Oct 5, 2022, 2:01 PM IST
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