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जांजगीर-चांपा: कोर्ट दे रही तारीख पर तारीख, अदालत में बढ़ रहे हैं केस पर केस

जिले के विभिन्न 24 राजस्व न्यायालयों में 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं. सबसे खराब स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर तहसील की है. यहां एक हजार 34 प्रकरण विचाराधीन हैं.

राजस्व न्यायालय
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Published : Mar 28, 2019, 2:24 AM IST

Updated : Mar 28, 2019, 12:37 PM IST

जांजगीर-चांपा: धीमी रफ्तार होने की वजह से जिले के राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी माह से ही लगातार न्यायालयों में पेशी बढ़ रही है. जिसके चलते जिले के विभिन्न 24 राजस्व न्यायालयों में 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं.

सबसे खराब स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर तहसील की है. यहां एक हजार 34 प्रकरण विचाराधीन हैं. न्यायालयों में पेशी दर पेशी देकर पक्षकारों को चक्कर कटवाना आम बात हो गई है. ज्यादातर जमीन संबंधी विवाद एसडीएम, तहसीलदार और नायाब तहसीलदार के न्यायालयों में सुनवाई के लिए आते हैं. इसके अलावा आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र और एसडीएम न्यायालय में पंचायतों के प्रकरण भी दर्ज होते हैं.

पक्षकारों को भुगतना पड़ता है खामियाजा
लोक सेवा गारंटी अधिनियम में विभिन्न प्रकरणों के निराकरण की समय सीमा भी निर्धारित है लेकिन समय पर ज्यादातर मामलों का निराकरण नहीं होता, इसका खामियाजा पक्षकारों को भुगतना पड़ता है. इस मामले में विलंब के लिए पक्षकार की शिकायत पर पीठासीन अधिकारियों पर अर्थदंड का है. लेकिन पक्षकार शिकायत के लिए आगे नहीं आते हैं.

वीडियो

बढ़ते जा रहे हैं केस
हालात यह है कि एसडीएम, तहसीलदार से लेकर कलेक्टर और अपर कलेक्टर तक चुनाव के कार्यों में व्यस्त हो गए हैं. 28 मार्च को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 23 अप्रैल को चुनाव है. तब तक यहां प्रकरणों के निराकरण में गति नहीं आ पाएगी. हालांकि अभी भी राजस्व अमला चुनाव के काम में जुटा हुआ है. इसकी वजह से लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

अधिकारी भी कर रहे हैं स्वीकार
जिले में कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालयों को मिलाकर 24 राजस्व न्यायालय हैं. इनमें 9 हजार 296 प्रकरण लंबित हैं. विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले लंबित प्रकरणों की संख्या साढ़े 4 हजार के करीब थी. इस मामले को अधिकारी स्वीकार करते हैं, साथ ही निराकरण के प्रयास की बात भी कह रहे हैं.

जांजगीर-चांपा: धीमी रफ्तार होने की वजह से जिले के राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी माह से ही लगातार न्यायालयों में पेशी बढ़ रही है. जिसके चलते जिले के विभिन्न 24 राजस्व न्यायालयों में 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं.

सबसे खराब स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर तहसील की है. यहां एक हजार 34 प्रकरण विचाराधीन हैं. न्यायालयों में पेशी दर पेशी देकर पक्षकारों को चक्कर कटवाना आम बात हो गई है. ज्यादातर जमीन संबंधी विवाद एसडीएम, तहसीलदार और नायाब तहसीलदार के न्यायालयों में सुनवाई के लिए आते हैं. इसके अलावा आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र और एसडीएम न्यायालय में पंचायतों के प्रकरण भी दर्ज होते हैं.

पक्षकारों को भुगतना पड़ता है खामियाजा
लोक सेवा गारंटी अधिनियम में विभिन्न प्रकरणों के निराकरण की समय सीमा भी निर्धारित है लेकिन समय पर ज्यादातर मामलों का निराकरण नहीं होता, इसका खामियाजा पक्षकारों को भुगतना पड़ता है. इस मामले में विलंब के लिए पक्षकार की शिकायत पर पीठासीन अधिकारियों पर अर्थदंड का है. लेकिन पक्षकार शिकायत के लिए आगे नहीं आते हैं.

वीडियो

बढ़ते जा रहे हैं केस
हालात यह है कि एसडीएम, तहसीलदार से लेकर कलेक्टर और अपर कलेक्टर तक चुनाव के कार्यों में व्यस्त हो गए हैं. 28 मार्च को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 23 अप्रैल को चुनाव है. तब तक यहां प्रकरणों के निराकरण में गति नहीं आ पाएगी. हालांकि अभी भी राजस्व अमला चुनाव के काम में जुटा हुआ है. इसकी वजह से लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

अधिकारी भी कर रहे हैं स्वीकार
जिले में कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालयों को मिलाकर 24 राजस्व न्यायालय हैं. इनमें 9 हजार 296 प्रकरण लंबित हैं. विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले लंबित प्रकरणों की संख्या साढ़े 4 हजार के करीब थी. इस मामले को अधिकारी स्वीकार करते हैं, साथ ही निराकरण के प्रयास की बात भी कह रहे हैं.

Intro:राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों से आम जनता परेशान, चुनाव के चलते न्यायालयों में प्रकरणों का लगा अम्बार

पक्षकार को लगातार मिल रही तारीख पर तारीख

जिले के विभन्न न्यायालयों में 9 हजार 2 सौ 96 प्रकरण लंबित

लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत विलंब के लिए पक्षकार की शिकायत पर पीठासीन अधिकारियों पर अर्थदंड का है प्रावधन

जांजगीर चाम्पा :- जिले के राजस्व न्यायालयों में मामलों की सुनवाई धीमी गति से हो रही है लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी माह से ही लगातार न्यायालयों में पेशी बढ़ रही है। जिसके चलते जिले के विभिन्न 24 राजस्व न्यायालयों में 9 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं। सर्वाधिक खराब स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर तहसील की है यहां 1 हजार 34 प्रकरण विचाराधीन हैं। न्यायालयों में पेशी दर पेशी देकर पक्षकारों को चक्कर कटवाना आम बात है। ज्यादातर जमीन संबंधी विवाद एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार के न्यायालयों में सुनवाई के लिए आते हैं। इसके अलावा आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र व एसडीएम न्यायालय में पंचायतों के प्रकरण भी दर्ज होते हैं। लोक सेवा गारंटी अधिनियम में विभिन्न प्रकरणों के निराकरण की समय सीमा भी निर्धारित हैं, मगर समय पर ज्यादातर मामलों का निराकरण नहीं होता, इसका खामियाजा पक्षकारों को भुगतना पड़ता है।  इस मामले मे विलंब के लिए पक्षकार की शिकायत पर पीठासीन अधिकारियों पर अर्थदंड का है प्रावधन मगर पक्षकार शिकायत के लिए सामने नही आत हैं। जिसके चलते राजस्व न्यायालयों में मामलों के निराकरण में फूर्ति नहीं दिखती है। हालात यह हैं कि एसडीएम, तहसीलदार से लेकर कलेक्टर और अपर कलेक्टर तक चुनाव के कार्यों में व्यस्त हो गए हैं। 28 मार्च को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 23 अप्रैल को चुनाव है, तब तक यहां प्रकरणों के निराकरण में गति नहीं आ पाएगी। हालांकि अभी भी राजस्व अमला चुनाव के काम में जूटा हुआ है। इसके चलते लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिले में कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालयों को मिलाकर 24 राजस्व न्यायालय हैं। इनमें 9 हजार 296 प्रकरण लंबित हैं। विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले लंबित प्रकरणों की संख्या साढ़े 4 हजार के करीब थी। विधानसभा चुनाव व्यस्तता के चलते भी पक्षकारों को तारीख दर तारीख मिलती रही और अब फिर से लोकसभा चुनाव के कारण तारीख बढ़ रही है। इस मामले को उच्चाअधिकारी स्वीकार करते हैं साथ ही निराकरण के प्रयास की बात भी कह रहे हैं। 

बाईट-1 ए के धृतलहरे एडीएम जांजगीर-चांपा 

बाईट-2 संतोष गुप्ता अधिवक्ता 

बाईट-3 राजेश पाण्डेय अधिवक्ता

P2C हुमेश जायसवाल


Body:विसुअल बाइट


Conclusion:
Last Updated : Mar 28, 2019, 12:37 PM IST
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