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सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर जताई नाराजगी, कहा- आगे से ध्यान रखें

Supreme Court objects: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी पर समय से सुनवाई नहीं करने पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को मामले में ज्यूडिशियल नोट जारी कर आगे से इस पर ध्यान रखने को कहा है. delay hearing of bail plea in Chhattisgarh HC

delay hearing of bail plea in Chhattisgarh HC
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट नाराज
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Published : Sep 13, 2022, 12:16 PM IST

बिलासपुर: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर नाराजगी जताते हुए जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला लेने की सलाह दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा "जमानत आवेदन चाहे वह गिरफ्तारी से पहले की जमानत हो या बाद की, इसमें यथासंभव जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला हो."SC objects over delay hearing of bail plea

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर देरी से हो रही सुनवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में याचिकाकर्ता ने बताया था कि हाई कोर्ट में उसकी जमानत याचिका की सुनवाई में देरी की जा रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मामले को सुनने में देर करने पर नाराजगी जाहिर की.Supreme Court objects with Chhattisgarh HC

ये है पूरा मामला: राजनांदगांव के छुईखदान में पदस्थ पटवारी तुलसीराम साहू के खिलाफ उसके भांजे लोकेश साहू ने सिविल कोर्ट में मुकदमा पेश किया. मुकदमा में याचिकाकर्ता ने उसकी जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया. मामला पुलिस में आने के कारण पटवारी तुलसीराम ने गिरफ्तारी से बचने अपने निवास स्थान दुर्ग के जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई, जो खारिज हो गई. इसके बाद पटवारी तुलसी राम साहू ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश कर अंतरिम आवेदन भी दिया कि जब तक अग्रिम जमानत पर सुनवाई पूरी ना हो जाए गिरफ्तारी ना की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक तिवारी ने इस आवेदन को खारिज कर मामला ड्यू कोर्स में डाल दिया, ताकि नंबर आने पर ही सुनवाई हो. इसे तुलसीराम ने अपनी अधिवक्ताओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अंतरिम आवेदन दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम साहू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और राज्य शासन को नोटिस जारी कर दिया.Chhattisgarh high court news

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले बीएसपी प्रबंधन ने पांच कंपनियों को किया सील

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट पर जताई नाराजगी: पटवारी तुलसीराम साहू की जमानत के मामले में हाईकोर्ट में सिंगल बेंच ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दें. इसके बाद कुछ दिनों पहले ही जस्टिस रजनीश दुबे की बेंच में यह मामला चला गया. जस्टिस रजनीश दुबे ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता तुलसी राम साहू को जमानत दे दी. अब याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह मामला वापस लेने का अनुरोध किया, क्योंकि हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि यह सामान्य प्रकरण नहीं है. इसमें हाईकोर्ट ने गंभीर लापरवाही की है. जमानत के मामले को लंबे समय तक नहीं सुनना और निर्धारित नहीं करना सही प्रवृत्ति नहीं है. उन्होंने इस मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रति छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को भेजकर चीफ जस्टिस को एक ज्यूडिशियल नोट जारी करने कहा है. ताकि फिर से कोई इस तरह का आदेश जारी ना करें. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई देर से करने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "हम कोर्ट में इस तरह की प्रथा को अस्वीकार करते हैं. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक नोट लेने का अनुरोध करते हैं. कम से कम जमानत आवेदन चाहे वह गिरफ्तारी से पहले की जमानत हो या बाद की, इसमें यथासंभव जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. "

बिलासपुर: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर नाराजगी जताते हुए जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला लेने की सलाह दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा "जमानत आवेदन चाहे वह गिरफ्तारी से पहले की जमानत हो या बाद की, इसमें यथासंभव जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला हो."SC objects over delay hearing of bail plea

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर देरी से हो रही सुनवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस मामले में याचिकाकर्ता ने बताया था कि हाई कोर्ट में उसकी जमानत याचिका की सुनवाई में देरी की जा रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मामले को सुनने में देर करने पर नाराजगी जाहिर की.Supreme Court objects with Chhattisgarh HC

ये है पूरा मामला: राजनांदगांव के छुईखदान में पदस्थ पटवारी तुलसीराम साहू के खिलाफ उसके भांजे लोकेश साहू ने सिविल कोर्ट में मुकदमा पेश किया. मुकदमा में याचिकाकर्ता ने उसकी जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया. मामला पुलिस में आने के कारण पटवारी तुलसीराम ने गिरफ्तारी से बचने अपने निवास स्थान दुर्ग के जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई, जो खारिज हो गई. इसके बाद पटवारी तुलसी राम साहू ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन पेश कर अंतरिम आवेदन भी दिया कि जब तक अग्रिम जमानत पर सुनवाई पूरी ना हो जाए गिरफ्तारी ना की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक तिवारी ने इस आवेदन को खारिज कर मामला ड्यू कोर्स में डाल दिया, ताकि नंबर आने पर ही सुनवाई हो. इसे तुलसीराम ने अपनी अधिवक्ताओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अंतरिम आवेदन दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम साहू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और राज्य शासन को नोटिस जारी कर दिया.Chhattisgarh high court news

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सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट पर जताई नाराजगी: पटवारी तुलसीराम साहू की जमानत के मामले में हाईकोर्ट में सिंगल बेंच ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दें. इसके बाद कुछ दिनों पहले ही जस्टिस रजनीश दुबे की बेंच में यह मामला चला गया. जस्टिस रजनीश दुबे ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता तुलसी राम साहू को जमानत दे दी. अब याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह मामला वापस लेने का अनुरोध किया, क्योंकि हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि यह सामान्य प्रकरण नहीं है. इसमें हाईकोर्ट ने गंभीर लापरवाही की है. जमानत के मामले को लंबे समय तक नहीं सुनना और निर्धारित नहीं करना सही प्रवृत्ति नहीं है. उन्होंने इस मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रति छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को भेजकर चीफ जस्टिस को एक ज्यूडिशियल नोट जारी करने कहा है. ताकि फिर से कोई इस तरह का आदेश जारी ना करें. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई देर से करने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि "हम कोर्ट में इस तरह की प्रथा को अस्वीकार करते हैं. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक नोट लेने का अनुरोध करते हैं. कम से कम जमानत आवेदन चाहे वह गिरफ्तारी से पहले की जमानत हो या बाद की, इसमें यथासंभव जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि जमानत आवेदन पर जल्द से जल्द फैसला किया जाना चाहिए. "

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