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शेर भूल गया था कि वो शेर है, इसलिए दूसरे शेर को याद दिलाना पड़ा- संघ प्रमुख मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) घोष शिविर कार्यक्रम के स्थल पर पहुंच गए हैं. कार्यक्रम में भागवत घोष वादकों के घोष का दर्शन किया. भागवत ने यहां अपने संबोधन में कहा कि मतांतरण नहीं जीना सीखाता है हिंदू धर्म. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि शेर भूल गया था कि वो शेर है, इसलिए दूसरे शेर को यह याद दिलाना पड़ा.

RSS chief reached Bilaspur
घोष शिविर में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत
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Published : Nov 19, 2021, 1:34 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 9:15 PM IST

मुंगेली: जिले के सरगांव बैतालपुर के करीब शिवनाथ नदी के बीच में स्थित मदकूद्वीप द्वीप पर आरएसएस का घोष प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Sarsanghchalak Mohan Bhagwat) शामिल हुए.

संघ प्रमुख ने क्या बोला

क्या कहा संघ प्रमुख ने ?

आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने यहां शिविर में भाषण दिया. उन्होंने कहा धर्म मतलब सबको साथ लेकर चलना है. किसी को किसी के मानने को नहीं बदलना है जो अपना धर्म अपना मानता है. दूसरे को उसको उसका धर्म मानने देना ही हिन्दू धर्म है.जो अपने धर्म को भूल गए हैं. उन्हें याद दिलाना हिन्दू धर्म है. हम संपूर्ण दुनिया को अपना कुटुंब मानने वाले लोग हैं. हमको सारी दुनिया को उस सत्य को देना है अपने व्यहवार से हम सारी दुनिया और विदेश में जाएंगे. हम चंद्रमा पर भी जाएंगे. हम सबका खोया हुआ व्यहवार का संतुलन वापस देने वाला धर्म देंगे. जो पर्यावरण के साथ ठीक रहना सीखाता है. जो अपने पंथ पूजा और भाषा की विविधता होते हुए भी एक रहना सीखाता है. जो किसी को पराया नहीं मानता है. वह हिंदू धर्म है. उसे सारी दुनिया में देना है. हमें उसे पूरी दुनिया को देना है. इसलिए हमारा भारत में जन्म हुआ है

'शेर भूल गया था कि वो शेर है, इसलिए दूसरे शेर को याद दिलाना पड़ा'

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने अपने भाषण में शेर और बकरी की कहानी सुनाई. इस कहानी में उन्होंने बताया कि एक अनाथ शेर के बच्चे को देखकर बकरी चराने वाले एक गरड़िया को तरस आया और वह उसे लेकर आ गया. शेर का बच्चा बकरियों के साथ रह रहकर उनके जैसा ही हो गया था. वह भूल गया था कि वह शेर है. जवान होकर भी बकरी जैसा था. तभी दूसरे शेर ने उसे पानी में उसका प्रतिबिम्ब दिखाकर याद दिलाया. जैसे ही जंगल में इसने दहाड़ा तो फिर बकरी और गरड़िया भाग गए. शेर को सिर्फ याद दिलाना पड़ा कि वह शेर है. इसी तरह याद दिलाओ शेर को कि वो शेर है. संघ प्रमुख की बात साफ ये दर्शा रही थी कि लोगो को याद दिलाना है कि वो क्या हैं.

घोष शिविर में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत तय समय से पहले ही मदकू द्वीप पहुंचे. सबसे पहले उन्होंने पूजा-अर्चन किया. शमी का पौधा भी लगाया. मांडूक्य ऋषि (Mandukya Rishi) की भव्य प्रतिमा के दर्शन किए. हरिहर आश्रम के संत रामस्वरूप ने भागवत को प्राचीन कथाओं से अवगत (familiar with ancient tales) कराया.

अखंड रामायण का दर्शन

संघ प्रमुख मोहन (RSS chief Mohan Bhagwat) ने हरिहर आश्रम कुटिया के अखंड रामायण का दर्शन भी किया.

भागवत के लिए विशेष व्यवस्था

निमित्त घोष के दौरान 7 प्रकार के वाद्ययंत्रों आनक, शंख, झल्लरी, बंशी, प्रणव, ट्रैंगल और नागांग को खास लय-ताल में बजाया जाता है. मार्चपास्ट के साथ इस बैंड को बजाया जाता है. मदकूद्वीप में संघ प्रमुख के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत के भोजन व्यवस्था के लिए भाटापारा से विशेष रसोइयों को बुलाया गया है

मुंगेली: जिले के सरगांव बैतालपुर के करीब शिवनाथ नदी के बीच में स्थित मदकूद्वीप द्वीप पर आरएसएस का घोष प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Sarsanghchalak Mohan Bhagwat) शामिल हुए.

संघ प्रमुख ने क्या बोला

क्या कहा संघ प्रमुख ने ?

आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने यहां शिविर में भाषण दिया. उन्होंने कहा धर्म मतलब सबको साथ लेकर चलना है. किसी को किसी के मानने को नहीं बदलना है जो अपना धर्म अपना मानता है. दूसरे को उसको उसका धर्म मानने देना ही हिन्दू धर्म है.जो अपने धर्म को भूल गए हैं. उन्हें याद दिलाना हिन्दू धर्म है. हम संपूर्ण दुनिया को अपना कुटुंब मानने वाले लोग हैं. हमको सारी दुनिया को उस सत्य को देना है अपने व्यहवार से हम सारी दुनिया और विदेश में जाएंगे. हम चंद्रमा पर भी जाएंगे. हम सबका खोया हुआ व्यहवार का संतुलन वापस देने वाला धर्म देंगे. जो पर्यावरण के साथ ठीक रहना सीखाता है. जो अपने पंथ पूजा और भाषा की विविधता होते हुए भी एक रहना सीखाता है. जो किसी को पराया नहीं मानता है. वह हिंदू धर्म है. उसे सारी दुनिया में देना है. हमें उसे पूरी दुनिया को देना है. इसलिए हमारा भारत में जन्म हुआ है

'शेर भूल गया था कि वो शेर है, इसलिए दूसरे शेर को याद दिलाना पड़ा'

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने अपने भाषण में शेर और बकरी की कहानी सुनाई. इस कहानी में उन्होंने बताया कि एक अनाथ शेर के बच्चे को देखकर बकरी चराने वाले एक गरड़िया को तरस आया और वह उसे लेकर आ गया. शेर का बच्चा बकरियों के साथ रह रहकर उनके जैसा ही हो गया था. वह भूल गया था कि वह शेर है. जवान होकर भी बकरी जैसा था. तभी दूसरे शेर ने उसे पानी में उसका प्रतिबिम्ब दिखाकर याद दिलाया. जैसे ही जंगल में इसने दहाड़ा तो फिर बकरी और गरड़िया भाग गए. शेर को सिर्फ याद दिलाना पड़ा कि वह शेर है. इसी तरह याद दिलाओ शेर को कि वो शेर है. संघ प्रमुख की बात साफ ये दर्शा रही थी कि लोगो को याद दिलाना है कि वो क्या हैं.

घोष शिविर में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत तय समय से पहले ही मदकू द्वीप पहुंचे. सबसे पहले उन्होंने पूजा-अर्चन किया. शमी का पौधा भी लगाया. मांडूक्य ऋषि (Mandukya Rishi) की भव्य प्रतिमा के दर्शन किए. हरिहर आश्रम के संत रामस्वरूप ने भागवत को प्राचीन कथाओं से अवगत (familiar with ancient tales) कराया.

अखंड रामायण का दर्शन

संघ प्रमुख मोहन (RSS chief Mohan Bhagwat) ने हरिहर आश्रम कुटिया के अखंड रामायण का दर्शन भी किया.

भागवत के लिए विशेष व्यवस्था

निमित्त घोष के दौरान 7 प्रकार के वाद्ययंत्रों आनक, शंख, झल्लरी, बंशी, प्रणव, ट्रैंगल और नागांग को खास लय-ताल में बजाया जाता है. मार्चपास्ट के साथ इस बैंड को बजाया जाता है. मदकूद्वीप में संघ प्रमुख के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत के भोजन व्यवस्था के लिए भाटापारा से विशेष रसोइयों को बुलाया गया है

Last Updated : Nov 19, 2021, 9:15 PM IST
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