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छत्तीसगढ़ में पहली बार जेरेनियम की खेती, लाखों का मुनाफा

छत्तीसगढ़ के किसान अब उन्नत हो गए हैं. पारंपरिक खेती से हटकर अब किसान नई फसलों को उगाकर लाखों का (profit from geranium cultivation in bilaspur) मुनाफा कमा रहे हैं.

Geranium cultivation for the first time in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पहली बार जेरेनियम की खेती
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Published : Apr 15, 2022, 2:00 PM IST

Updated : Apr 16, 2022, 3:12 PM IST

बिलासपुर: जेरेनियम की खेती छत्तीसगढ़ में पहली बार (Geranium cultivation for the first time in Chhattisgarh) की जा रही है. बिलासपुर के जयराम नगर के किसान लोकेश पटाडे इसकी उन्नत खेती कर रहे हैं. जेरेनियम एक तरह से सुगंधित गाजर घास होता है. लेमन ग्रास, पचोली सुगंधित गाजर घास होते हैं. ठीक उसी तरह जेरेनियम भी सुगंधित पौधा होता है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस कर तेल निकाला जाता है. यह तेल काफी महंगा होता है. जेरेनियम के तेल का उपयोग कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है. खास बात यह है कि जेरेनियम के पौधे को कोई भी जानवर, पक्षी नहीं खाता है.

छत्तीसगढ़ में पहली बार जेरेनियम की खेती

बिलासपुर में जेरेनियम की खेती से मुनाफा : किसान लोकेश पटाडे ने बताया कि जेरेनियम की एक बार बुवाई करने के बाद लगभग 4 साल तक इसमें पत्ते आते हैं. हर साल 4 बार इसकी कटाई की जा सकती है. जेरेनियम के पौधे को 1 एकड़ में लगाने और सिंचाई करने में करीब 80 हजार रुपए खर्च आता है. इसकी हर 3 महीने में कटाई करने पर लगभग 15-16 टन पत्तियां निकलती है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस करने के बाद करीब पंद्रह-सोलह लीटर जेरेनियम का तेल मिल जाता है. पूरे साल में 50-60 लीटर तेल मिलता है. बाजार में 1 लीटर तेल की कीमत साढ़े ग्यारह हजार रुपए है. यानी 60 लीटर तेल बाजार में करीब 7 लाख रुपए में (Geranium oil is sold in lakhs) बिकता है.

कैसे करें खेती : जेरेनियम की खेती के लिए जैविक या रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग किया जाता है. जिस जमीन में पानी का भराव ना हो, वह जमीन जेरेनियम की खेती करने योग्य है. बारिश के मौसम में बारिश का पानी ज्यादा दिन तक खेत में इकट्ठा नहीं होना चाहिए. जेरेनियम के पौधों को खेत में डेढ़ से दो फीट के फासले पर रोपते हैं. जेरेनियम को सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए नवबंर से जून का समय सबसे बेहतर माना जाता है.

किसान के लिए फायदेमंद : लोकेश पटाडे ने नौकरी छोड़कर जेरेनियम की खेती शुरू की. वे पहले बिलासपुर के एनटीपीसी सीपत पावर प्लांट में काम करते थे. लोकेश ने बताया कि ''जेरेनियम तेल की प्रोसेसिंग मशीन से होती है. बड़े बॉयलर में पत्ती डाल कर तेल निकाला जाता है. जेरेनियम के तेल के लिए मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में अच्छा बाजार है. कॉस्मेटिक बनाने वाली कंपनियां हाथों-हाथ तेल खरीद लेती हैं. विदेशों में भी इस तेल की डिमांड है. लेकिन ज्यादा मात्रा में खेती नहीं करने की वजह से विदेश में इस तेल की सप्लाई नहीं कर पाते हैं''.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर के कृषि मेले में आई जाइंट हल्दी, किसान को कर रही मालामाल

कृषि मेले में लगी प्रदर्शनी : बिलासपुर में कृषि वैज्ञानिकों ने जेरेनियम की खेती की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के मकसद से इसकी प्रदर्शनी लगाई. खेतों में जिस तरह जेरेनियम उगाया जाता है, ठीक उसी तरह से प्रदर्शनी में भी जेरेनियम उगाकर बताया जा रहा है. इस पौधे के तेल का इस्तेमाल इत्र, कॉस्मेटिक बाजार में सबसे ज्यादा होता है.

बिलासपुर: जेरेनियम की खेती छत्तीसगढ़ में पहली बार (Geranium cultivation for the first time in Chhattisgarh) की जा रही है. बिलासपुर के जयराम नगर के किसान लोकेश पटाडे इसकी उन्नत खेती कर रहे हैं. जेरेनियम एक तरह से सुगंधित गाजर घास होता है. लेमन ग्रास, पचोली सुगंधित गाजर घास होते हैं. ठीक उसी तरह जेरेनियम भी सुगंधित पौधा होता है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस कर तेल निकाला जाता है. यह तेल काफी महंगा होता है. जेरेनियम के तेल का उपयोग कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है. खास बात यह है कि जेरेनियम के पौधे को कोई भी जानवर, पक्षी नहीं खाता है.

छत्तीसगढ़ में पहली बार जेरेनियम की खेती

बिलासपुर में जेरेनियम की खेती से मुनाफा : किसान लोकेश पटाडे ने बताया कि जेरेनियम की एक बार बुवाई करने के बाद लगभग 4 साल तक इसमें पत्ते आते हैं. हर साल 4 बार इसकी कटाई की जा सकती है. जेरेनियम के पौधे को 1 एकड़ में लगाने और सिंचाई करने में करीब 80 हजार रुपए खर्च आता है. इसकी हर 3 महीने में कटाई करने पर लगभग 15-16 टन पत्तियां निकलती है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस करने के बाद करीब पंद्रह-सोलह लीटर जेरेनियम का तेल मिल जाता है. पूरे साल में 50-60 लीटर तेल मिलता है. बाजार में 1 लीटर तेल की कीमत साढ़े ग्यारह हजार रुपए है. यानी 60 लीटर तेल बाजार में करीब 7 लाख रुपए में (Geranium oil is sold in lakhs) बिकता है.

कैसे करें खेती : जेरेनियम की खेती के लिए जैविक या रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग किया जाता है. जिस जमीन में पानी का भराव ना हो, वह जमीन जेरेनियम की खेती करने योग्य है. बारिश के मौसम में बारिश का पानी ज्यादा दिन तक खेत में इकट्ठा नहीं होना चाहिए. जेरेनियम के पौधों को खेत में डेढ़ से दो फीट के फासले पर रोपते हैं. जेरेनियम को सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए नवबंर से जून का समय सबसे बेहतर माना जाता है.

किसान के लिए फायदेमंद : लोकेश पटाडे ने नौकरी छोड़कर जेरेनियम की खेती शुरू की. वे पहले बिलासपुर के एनटीपीसी सीपत पावर प्लांट में काम करते थे. लोकेश ने बताया कि ''जेरेनियम तेल की प्रोसेसिंग मशीन से होती है. बड़े बॉयलर में पत्ती डाल कर तेल निकाला जाता है. जेरेनियम के तेल के लिए मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में अच्छा बाजार है. कॉस्मेटिक बनाने वाली कंपनियां हाथों-हाथ तेल खरीद लेती हैं. विदेशों में भी इस तेल की डिमांड है. लेकिन ज्यादा मात्रा में खेती नहीं करने की वजह से विदेश में इस तेल की सप्लाई नहीं कर पाते हैं''.

ये भी पढ़ें- बिलासपुर के कृषि मेले में आई जाइंट हल्दी, किसान को कर रही मालामाल

कृषि मेले में लगी प्रदर्शनी : बिलासपुर में कृषि वैज्ञानिकों ने जेरेनियम की खेती की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के मकसद से इसकी प्रदर्शनी लगाई. खेतों में जिस तरह जेरेनियम उगाया जाता है, ठीक उसी तरह से प्रदर्शनी में भी जेरेनियम उगाकर बताया जा रहा है. इस पौधे के तेल का इस्तेमाल इत्र, कॉस्मेटिक बाजार में सबसे ज्यादा होता है.

Last Updated : Apr 16, 2022, 3:12 PM IST
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