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lumpy virus alert in bilaspur : कानन पेंडारी जू में नहीं है लंपी वायरस का खतरा, अलर्ट पर प्रबंधन

बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लंपी वायरस को लेकर प्रबंधन अलर्ट पर है. इसके लिए प्रबंधन ने तैयारी कर रखी है. लिहाजा लंपी को लेकर किसी भी तरह का कोई खतरा यहां नजर नहीं आ रहा.लंपी वायरस के खतरे को देखते हुए जू प्रबंधन ने जानवरों के बाड़े में एहतियातन निगरानी रखनी शुरु कर दी है.साथ ही साथ वायरस से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया है.ताकि किसी भी जानवर में लंपी के संकेत lumpi virus symptoms मिलते ही उसे तुरंत कंट्रोल किया जा सके.

कानन पेंडारी जू में नहीं है लंपी वायरस का खतरा
कानन पेंडारी जू में नहीं है लंपी वायरस का खतरा
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Published : Sep 29, 2022, 5:11 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 7:17 PM IST

बिलासपुर : कानन पेंडारी जू प्रबंधन (Kanan Pendari Zoo of bilaspur) ने लंपी वायरस से निपटने के लिए व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है. फिलहाल लंपी वायरस का प्रकोप छत्तीसगढ़ में नहीं है. फिर भी एहतियातन कानन पेंडारी जू प्रबंधन और एटीआर ने इसके लिए पहले से तैयारी कर ली है. जिला प्रशासन ने भी लंपी वायरस से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया है. जिले के गायों को लंपी वायरस से बचाव के लिए टीका लगाया जा रहा है. इसके साथ ही जिले में लगने वाले मवेशी बाजार पर भी रोक लगा दी गई है. वेटनरी डिपार्टमेंट टीकाकरण अभियान को जोर शोर से चला रही है.

कानन पेंडारी जू में नहीं है लंपी वायरस का खतरा,अलर्ट पर प्रबंधन

छत्तीसगढ़ में लंपी वायरस को लेकर तैयारी : लंपी वायरस का प्रकोप भारत में बढ़ता जा रहा है. यह वायरस अधिकतर गायों में पाया जा रहा है. इस वायरस की चपेट में आकर कई गायों की मौत हो चुकी है. छत्तीसगढ़ में अब तक लंपी वायरस का केस सामने नहीं आया है.लेकिन दूसरे राज्यों में इस वायरस ने कहर बरपाया है. जिसके बाद छत्तीसगढ़ के पशुपालकों के मन में इस वायरस का डर बना हुआ है. वहीं गायों के बाद अब लंपी वायरस का खतरा दूसरे जानवरों में भी देखा जा रहा है. पिछले दिनों राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व में हिरणों पर लंपी वायरस के प्रकोप के बाद पलामू टाइगर रिजर्व ने अलर्ट जारी किया है. इस मामले में छत्तीसगढ़ अभी सुरक्षित है. लेकिन प्रदेश सरकार ने इससे निपटने तैयारी कर ली है. बिलासपुर में भी लंपी वायरस (Lumpy skin disease ) से निपटने के लिए पहले ही अलर्ट जारी हो चुका है.

कानन पेंडारी में अलर्ट पर प्रबंधन : राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व के हिरणों पर लंपी वायरस (lumpi virus symptoms ) की जानकारी के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी जू को सुरक्षित रखने व्यवस्था शुरू कर दी गई है. प्रबंधन ने हिरणों को बाड़े में रखने के अलावा कानन जू के चारों तरफ बने बाउंड्रीवॉल और सभी प्रवेश द्वारों को सुरक्षित कर लिया है. ताकि कोई भी बाहरी जानवर कानन जू में प्रवेश न कर सके. कानन प्रबंधन ने हिरणों की देखरेख बढ़ा दी है. साथ ही हर तीन माह में उन्हें बीमारी और वायरस से बचाव के लगने वाले जनरल टिका लगाने में गंभीरता बरत रही है. बाड़े में बंद हिरणों की गतिविधियों पर भी नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी जानवर की तबीयत बिगड़े तो उसे अलग करके तुरंत इलाज किया जा सके.अब तक की जानकारी में लंपी वायरस गायों में ही देखी गई है. जबकि भैंस या अन्य दूसरे जानवरों पर लंपी का प्रकोप नहीं देखा गया है.

कानन पेंडारी में कितने जानवर : कानन पेंडारी जू में हिरणों के 12 प्रजाति के लगभग 200 से भी ज्यादा जानवर हैं. इनमें बारहसिंघा, चौसिंघा, स्प्रिंग हिरण, इंडियन गजैल, नीलगाय, कोटरी जैसे हिरण के लगभग 12 प्रजाति के जानवर हैं. इन्हें अलग-अलग बड़ों में रखा गया है. साथ ही इनकी देखरेख कैमरे की नजर से भी की जा रही है. यदि लंपी वायरस का प्रकोप कानन पेंडारी जू में हुआ तो यहां 200 से ज्यादा हिरण और अन्य जानवर है जिन पर खतरा मंडराने लगेगा, इसलिए कानन प्रबंधन ने प्रिकॉशन के तौर पर अभी से ही जानवरों की देखरेख और सुरक्षा बढ़ाई है.

कानन पेंडारी जू प्रबंधन पूरी तरह से है मुस्तैद : कानन पेंडारी ज़ू के डीएफओ और डायरेक्टर विष्णुराज नायर ने बताया कि जू में हिरण के 10 प्रजाति और एंटीलोप के 2 प्रजाति है. अभी उन्हें किसी बात का खतरा नहीं है, क्योंकि कानन जू के चारों तरफ मजबूत दीवार है.कोई भी जानवर अंदर नही आ सकता है. इसके अलावा आसपास के गांवों की जानकारी भी ली जा रही है कि कहीं किसी गाय में लंपी वायरस के लक्षण तो नही है.

अपनी तैयारी में डीएफओ विष्णुराज नायर ने बताया कि '' जानवरों को लगने वाले सामान्य वायरस के टीकाकरण को यहां समय-समय पर लगाया जाता है, साथ ही कानन के चिकित्सक अजित पांडेय जानवरों की स्थिति की स्वयं ही जानकारी लेते रहते हैं. इस समय कानन जू पूरी तरह से सुरक्षित है. कानन के सभी हिरण तंदुरुस्त हैं.

कानन के दूसरे जानवरों की देखरेख बढ़ी : कानन पेंडारी जू में शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों की बहुत बड़ी तादाद है. यहां शेर, भालू, तेंदुआ, हिरण, बफेलो, शुतुरमुर्ग, इमो,साइरस, घड़ियाल, हिप्पोपोटामस और कई छोटे-बड़े जंगली जानवर और पक्षी हैं. लंपी वायरस के कारण प्रबंधन ने इनकी सुरक्षा तगड़ी कर दी है.देखरेख भी बढ़ा दी गई है. लंपी वायरस का प्रकोप यहां शुरू होने से पहले ही इससे निपटने की सारी तैयारियां की जा चुकी है. इसके अलावा प्रबंधन ने आम जनता को भी जंगली जानवरों से दूर रहने और निश्चित स्थान तक ही जाने की इजाजत दे रखी है. पर्यटकों के सभी गतिविधियों पर कैमरे से नजर रखी जा रही है. ताकि लंपी वायरस के अलावा बारिश के सीजन में फैलने वाले दूसरे वायरस से भी कानन जू के जानवरों को बचाया जा सके.lampi virus news


जानिए क्या होता है लम्पी वायरस: लंपी स्कीन डिसिज गाय और भैंस में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है. इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी और किलनी है, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है. रोगग्रस्त पशुओं में 2 से 3 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है. इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमड़ी में गोल गोल गांठें उभर आती है. लगातार बुखार होने के कारण पशुओं की खुराक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन और भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है. रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है. शारीरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक प्रभावित होता है.

लंपी वायरस होने पर क्या करें: लंपी रोग से पशुओं के रोगग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में औषधियों की व्यवस्था क्षेत्रीय संस्थाओं में की गई है. विषम परिस्थिति से निपटने के लिये जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है, ताकि गांवों के पशुओं में प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का काम तेजी से किया जा सके. पशुओं के आवास में जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव और पशुओं में जू कॉलनीनाशक दवा का छिड़काव की सलाह पशुपालकों को दी गई है, ताकि इस रोग पर नियंत्रण रखा जा सके.

बिलासपुर : कानन पेंडारी जू प्रबंधन (Kanan Pendari Zoo of bilaspur) ने लंपी वायरस से निपटने के लिए व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है. फिलहाल लंपी वायरस का प्रकोप छत्तीसगढ़ में नहीं है. फिर भी एहतियातन कानन पेंडारी जू प्रबंधन और एटीआर ने इसके लिए पहले से तैयारी कर ली है. जिला प्रशासन ने भी लंपी वायरस से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया है. जिले के गायों को लंपी वायरस से बचाव के लिए टीका लगाया जा रहा है. इसके साथ ही जिले में लगने वाले मवेशी बाजार पर भी रोक लगा दी गई है. वेटनरी डिपार्टमेंट टीकाकरण अभियान को जोर शोर से चला रही है.

कानन पेंडारी जू में नहीं है लंपी वायरस का खतरा,अलर्ट पर प्रबंधन

छत्तीसगढ़ में लंपी वायरस को लेकर तैयारी : लंपी वायरस का प्रकोप भारत में बढ़ता जा रहा है. यह वायरस अधिकतर गायों में पाया जा रहा है. इस वायरस की चपेट में आकर कई गायों की मौत हो चुकी है. छत्तीसगढ़ में अब तक लंपी वायरस का केस सामने नहीं आया है.लेकिन दूसरे राज्यों में इस वायरस ने कहर बरपाया है. जिसके बाद छत्तीसगढ़ के पशुपालकों के मन में इस वायरस का डर बना हुआ है. वहीं गायों के बाद अब लंपी वायरस का खतरा दूसरे जानवरों में भी देखा जा रहा है. पिछले दिनों राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व में हिरणों पर लंपी वायरस के प्रकोप के बाद पलामू टाइगर रिजर्व ने अलर्ट जारी किया है. इस मामले में छत्तीसगढ़ अभी सुरक्षित है. लेकिन प्रदेश सरकार ने इससे निपटने तैयारी कर ली है. बिलासपुर में भी लंपी वायरस (Lumpy skin disease ) से निपटने के लिए पहले ही अलर्ट जारी हो चुका है.

कानन पेंडारी में अलर्ट पर प्रबंधन : राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व के हिरणों पर लंपी वायरस (lumpi virus symptoms ) की जानकारी के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी जू को सुरक्षित रखने व्यवस्था शुरू कर दी गई है. प्रबंधन ने हिरणों को बाड़े में रखने के अलावा कानन जू के चारों तरफ बने बाउंड्रीवॉल और सभी प्रवेश द्वारों को सुरक्षित कर लिया है. ताकि कोई भी बाहरी जानवर कानन जू में प्रवेश न कर सके. कानन प्रबंधन ने हिरणों की देखरेख बढ़ा दी है. साथ ही हर तीन माह में उन्हें बीमारी और वायरस से बचाव के लगने वाले जनरल टिका लगाने में गंभीरता बरत रही है. बाड़े में बंद हिरणों की गतिविधियों पर भी नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी जानवर की तबीयत बिगड़े तो उसे अलग करके तुरंत इलाज किया जा सके.अब तक की जानकारी में लंपी वायरस गायों में ही देखी गई है. जबकि भैंस या अन्य दूसरे जानवरों पर लंपी का प्रकोप नहीं देखा गया है.

कानन पेंडारी में कितने जानवर : कानन पेंडारी जू में हिरणों के 12 प्रजाति के लगभग 200 से भी ज्यादा जानवर हैं. इनमें बारहसिंघा, चौसिंघा, स्प्रिंग हिरण, इंडियन गजैल, नीलगाय, कोटरी जैसे हिरण के लगभग 12 प्रजाति के जानवर हैं. इन्हें अलग-अलग बड़ों में रखा गया है. साथ ही इनकी देखरेख कैमरे की नजर से भी की जा रही है. यदि लंपी वायरस का प्रकोप कानन पेंडारी जू में हुआ तो यहां 200 से ज्यादा हिरण और अन्य जानवर है जिन पर खतरा मंडराने लगेगा, इसलिए कानन प्रबंधन ने प्रिकॉशन के तौर पर अभी से ही जानवरों की देखरेख और सुरक्षा बढ़ाई है.

कानन पेंडारी जू प्रबंधन पूरी तरह से है मुस्तैद : कानन पेंडारी ज़ू के डीएफओ और डायरेक्टर विष्णुराज नायर ने बताया कि जू में हिरण के 10 प्रजाति और एंटीलोप के 2 प्रजाति है. अभी उन्हें किसी बात का खतरा नहीं है, क्योंकि कानन जू के चारों तरफ मजबूत दीवार है.कोई भी जानवर अंदर नही आ सकता है. इसके अलावा आसपास के गांवों की जानकारी भी ली जा रही है कि कहीं किसी गाय में लंपी वायरस के लक्षण तो नही है.

अपनी तैयारी में डीएफओ विष्णुराज नायर ने बताया कि '' जानवरों को लगने वाले सामान्य वायरस के टीकाकरण को यहां समय-समय पर लगाया जाता है, साथ ही कानन के चिकित्सक अजित पांडेय जानवरों की स्थिति की स्वयं ही जानकारी लेते रहते हैं. इस समय कानन जू पूरी तरह से सुरक्षित है. कानन के सभी हिरण तंदुरुस्त हैं.

कानन के दूसरे जानवरों की देखरेख बढ़ी : कानन पेंडारी जू में शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों की बहुत बड़ी तादाद है. यहां शेर, भालू, तेंदुआ, हिरण, बफेलो, शुतुरमुर्ग, इमो,साइरस, घड़ियाल, हिप्पोपोटामस और कई छोटे-बड़े जंगली जानवर और पक्षी हैं. लंपी वायरस के कारण प्रबंधन ने इनकी सुरक्षा तगड़ी कर दी है.देखरेख भी बढ़ा दी गई है. लंपी वायरस का प्रकोप यहां शुरू होने से पहले ही इससे निपटने की सारी तैयारियां की जा चुकी है. इसके अलावा प्रबंधन ने आम जनता को भी जंगली जानवरों से दूर रहने और निश्चित स्थान तक ही जाने की इजाजत दे रखी है. पर्यटकों के सभी गतिविधियों पर कैमरे से नजर रखी जा रही है. ताकि लंपी वायरस के अलावा बारिश के सीजन में फैलने वाले दूसरे वायरस से भी कानन जू के जानवरों को बचाया जा सके.lampi virus news


जानिए क्या होता है लम्पी वायरस: लंपी स्कीन डिसिज गाय और भैंस में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है. इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी और किलनी है, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है. रोगग्रस्त पशुओं में 2 से 3 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है. इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमड़ी में गोल गोल गांठें उभर आती है. लगातार बुखार होने के कारण पशुओं की खुराक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन और भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है. रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है. शारीरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक प्रभावित होता है.

लंपी वायरस होने पर क्या करें: लंपी रोग से पशुओं के रोगग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में औषधियों की व्यवस्था क्षेत्रीय संस्थाओं में की गई है. विषम परिस्थिति से निपटने के लिये जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है, ताकि गांवों के पशुओं में प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का काम तेजी से किया जा सके. पशुओं के आवास में जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव और पशुओं में जू कॉलनीनाशक दवा का छिड़काव की सलाह पशुपालकों को दी गई है, ताकि इस रोग पर नियंत्रण रखा जा सके.

Last Updated : Sep 29, 2022, 7:17 PM IST
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