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रिटायर्ड अफसरों के NGO में करोड़ों के घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई

scam in State Resource Disabled Public Institute Hospital raipur: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम पर घोटाले को लेकर सुनवाई हुई. अगली सुनवाई 6 मई को तय की गई है.

Hearing in Chhattisgarh High Court
राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर में घोटाला
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Published : Apr 22, 2022, 10:54 AM IST

Updated : Apr 22, 2022, 2:03 PM IST

बिलासपुर: राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता ने ईडी को भी पक्षकार बनाने की मांग की है. शासन ने जवाब पेश करने दस दिन का समय लिया है. जिस पर अब अगली सुनवाई 6 मई को तय की गई है. (Hearing on scam in NGO in Chhattisgarh High Court)

राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर में घोटाला: रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के वर्तमान और रिटायर्ड आईएएस अफसरों की तरफ से एनजीओ के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया था कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान में कार्यरत बताते हुए उसे वेतन देने की जानकारी पहले मिली. इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की. याचिकाकर्ता को मिली जानकारी से पता चला कि नया रायपुर स्थित इस कथित अस्पताल को एक एनजीओ चला रहा है. जिसमें करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं. इनके रख रखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया. इस मामले में पहले 2017 में एक पिटीशन दायर की गई. बाद में 2018 में इसे जनहित याचिका के रूप में पेश किया गया.

रमन सिंह की संपत्ति की जांच को लेकर High Court में लगी याचिका

मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ये 1 हजार करोड़ का घोटाला है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाइकोर्ट ने पहले हुई सुनवाई में आदेश जारी कर घोटाले मे शामिल अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर कारवाई करने के निर्देश दिए थे. इसी मामले में सरकार ने एक पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था कि सीबीआई की बजाय यह मामला पुलिस को दिया जाए. प्रकरण में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डीबी में राज्य महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष प्रस्तुत किया. महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने बताया था कि 'सीबीआई की जगह यह मामला राज्य पुलिस को सौंपा जाए. सिर्फ इसी एक बिन्दु पर यह मामला शासन ने पेश किया है. राज्य पुलिस इसकी खुद जांच करना चाहती है और इसमें सक्षम भी है.

गुरुवार को चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मामले में ईडी को भी पक्षकार बनाने की मांग की. शासन से जवाब के लिए पूछा गया तो शासन ने दस दिन देने का आग्रह किया. चीफ जस्टिश की डिवीजन बैंच ने इसे मंजूर कर 6 मई को अगली सुनवाई तय कर दी है.

बिलासपुर: राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता ने ईडी को भी पक्षकार बनाने की मांग की है. शासन ने जवाब पेश करने दस दिन का समय लिया है. जिस पर अब अगली सुनवाई 6 मई को तय की गई है. (Hearing on scam in NGO in Chhattisgarh High Court)

राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर में घोटाला: रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के वर्तमान और रिटायर्ड आईएएस अफसरों की तरफ से एनजीओ के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया था कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान में कार्यरत बताते हुए उसे वेतन देने की जानकारी पहले मिली. इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी हासिल की. याचिकाकर्ता को मिली जानकारी से पता चला कि नया रायपुर स्थित इस कथित अस्पताल को एक एनजीओ चला रहा है. जिसमें करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं. इनके रख रखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया. इस मामले में पहले 2017 में एक पिटीशन दायर की गई. बाद में 2018 में इसे जनहित याचिका के रूप में पेश किया गया.

रमन सिंह की संपत्ति की जांच को लेकर High Court में लगी याचिका

मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ये 1 हजार करोड़ का घोटाला है. मामले की गंभीरता को देखते हुए हाइकोर्ट ने पहले हुई सुनवाई में आदेश जारी कर घोटाले मे शामिल अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर कारवाई करने के निर्देश दिए थे. इसी मामले में सरकार ने एक पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था कि सीबीआई की बजाय यह मामला पुलिस को दिया जाए. प्रकरण में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डीबी में राज्य महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष प्रस्तुत किया. महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने बताया था कि 'सीबीआई की जगह यह मामला राज्य पुलिस को सौंपा जाए. सिर्फ इसी एक बिन्दु पर यह मामला शासन ने पेश किया है. राज्य पुलिस इसकी खुद जांच करना चाहती है और इसमें सक्षम भी है.

गुरुवार को चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मामले में ईडी को भी पक्षकार बनाने की मांग की. शासन से जवाब के लिए पूछा गया तो शासन ने दस दिन देने का आग्रह किया. चीफ जस्टिश की डिवीजन बैंच ने इसे मंजूर कर 6 मई को अगली सुनवाई तय कर दी है.

Last Updated : Apr 22, 2022, 2:03 PM IST
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