बिलासपुर : आज हनुमान जयंती है. ऐसा माना जाता है कि पवनपुत्र हनुमान आज के ही दिन धरती पर माता अंजनी के घर पर अवतरित हुए.संकट मोचन बजरंग बली का जन्म त्रेता युग में शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हुआ था. इसलिए उनका नाम आंजनेय भी पड़ा.यही नहीं जिस पर्वत पर हनुमान ने जन्म लिया उसका भी नाम आंजनेय ही था.आगे चलकर उनका मिल प्रभु श्रीराम से हुआ. तब से लेकर आज तक हनुमान रामभक्ति में ही लीन है. रामयाण और महाभारत में हनुमानजी से जुड़ी कई कहानियां हैं. भारत में ऐसे कई जगह हैं जहां हनुमान की महिमा देखते ही बनती है. भूत-पिशाच, बुरा साया, बुरा समय और बीमारियों को दूर करने वाले हैं प्रभु हनुमान. ऐसी मान्यता हैं कि पृथ्वी पर आज भी हनुमान जी विद्यमान हैं.
भारत में हनुमान की महिमा- आप यदि भारत में रहते हैं तो आपको हजारों नहीं लाखों की संख्या में हनुमान के छोटे बड़े मंदिर देखने को मिल जाएंगे. कई जगह तो सिर्फ हनुमान जी के मंदिर के कारण ही प्रसिद्ध हैं. तो कई शहरों में चौराहे और जगह के नाम भी हनुमान के नाम ही है. लेकिन आज हम जिस हनुमान के आपको दर्शन कराने वाले हैं वो साधारण बिल्कुल भी नहीं हैं. जिस जगह पर हनुमान विराजे हैं वो देवीय स्थान के रुप में पूरे भारत में प्रसिद्ध है. शायद यही वजह है कि यहां के हनुमान बेहद अनोखे हैं. तो आईए आप भी दर्शन किजिए इस अद्भुत हनुमान के.
नारी रूप वाले हनुमान : ये है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर रतनपुर. जहां विराजे हैं नारी रूप में संकटमोचन. इस मंदिर में हनुमान जी का रूप नारी का है. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा दस हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है.इस स्थान को लोग गिरिजाबंध हनुमान (Girijabandha Hanuman of Ratanpur) के नाम से पूरे भारत में जानते हैं. मंदिर में जो मूर्ति स्थापित है वो दक्षिणमुखी है.
क्यों हैं नारी रुप : रतनपुर में रहने वाले पुराने लोग और पुजारी की माने तो भगवान का नारी रूप ऐसे ही नहीं है. बल्कि ये प्रभु श्रीराम (lord Sri ram) और उनके भाई लक्ष्मण पर आए संकट का सूचक है. दरअसल रावण ने जब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण (Sri ram and laxman)को मृत्यु लोक में भेजना चाहा तो ये काम रावण के भाई अहिरावण को सौंपा गया. तब मायावी अहिरावण अपने भाई विभीषण का रूप धारण करके राम और लक्ष्मण के पास पहुंचा.
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माया से ले गया पाताल : विभीषण का रूप धारण किए अहिरावण ने माया से दोनों भाईयों को अपने साथ पाताल लोक चलने को कहा. राम और लक्ष्मण पाताल लोक चले गए. यहां पर अहिरावण ने दोनों भाईयों को बंधक बना लिया और बलि की तैयारी करने लगा. तभी हनुमान जी ने देवी निकुंबला के शरीर में प्रवेश किया. निकुंबला पाताल की देवी मानी जाती हैं. इसी रूप में हनुमान जी अहिरावण का वध पाताल लोक में किया. इसके बाद नारी रूप में ही हनुमान ने राम और लक्ष्मण को छुड़ाया था. इसके बाद हनुमान अपने मूल रूप में आकर पाताल लोक से राम और लक्ष्मण को धरती पर लाए थे.