गौरेला पेंड्रा मरवाही : गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले नरेश प्रजापति प्रवासी कामगारों के लिए भारत के 10 राज्यों से होकर 5100 किलोमीटर पैदल यात्रा कर रहे (Gaurela Pendra Marwahi reached the person who left for Delhi from Gujarat) हैं. नरेश ने प्रवासी मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई है. नरेश की मानें तो ''मेट्रो शहरों से काफी संख्या में मजदूर पैसा कमाने के लिए दूसरे प्रदेशों की ओर रुख करते हैं. लेकिन उन्हें किसी भी तरह का सहयोग नहीं (Naresh Prajapati fight for migrant laborers) मिलता.'' महज 28 साल के नरेश 5100 किलोमीटर की यात्रा करते हुए दिल्ली में पहुंचकर राष्ट्रपति भवन में प्रवासी मजदूरों के हित को लेकर जानकारी देंगे.
कितने राज्यों से गुजरेंगे नरेश : गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले 28 साल के नरेश प्रजापति इन दिनों प्रवासी मजदूरों के उत्थान को लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं. वे भारत के 10 ऐसे राज्य की यात्रा पर हैं, जहां से काफी संख्या में प्रवासी मजदूर (person arrived from Gujarat in Gaurela Pendra Marwahi) काम करने के लिए दूसरे मेट्रो शहरों का रुख करते हैं और वहां उनका शोषण होता है. नरेश रास्ते में पड़ने वाले गांव, शहर, कस्बों से गुजरने के दौरान मजदूर वर्ग के लोगों से मुलाकात करते हैं. साथ ही रास्ते में मिलने वाले मजदूर वर्ग के लोग भी उनके साथ कुछ दूर चलते हैं .
क्या है यात्रा का उद्देश्य : नरेश की मानें तो पदयात्रा के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य है कि वे मजदूरों को जान सकें. जब मजदूर काम करने दूसरे राज्य मेट्रो सिटी जाते हैं. वहां पर काम करने का समय, खाने का समय, आराम करने का समय, पगार फिक्स ना होना (gaurela pendra marwahi news) जैसी समस्याओं से जूझते हैं. इसलिए वो पैदल चलकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. नरेश का यह भी कहना है कि प्रवासी मजदूरों को खुद जागरूक होना पड़ेगा.
मजदूरों की मांग रहे जानकारी : नरेश ने कहा कि ''जब वो राज्यों से पदयात्रा करते हुए गुजरे तो पहले कुछ जगहों पर कलेक्टर ऑफिस में जाकर उनसे मिलने की भी कोशिश की. वहां पर उन्हें अहमियत नहीं मिली. जिसके बाद वो सूचना का अधिकार के तहत आवेदन लगा रहे हैं. जिसमें जानकारी मांग रहे हैं कि आपके जिले से कितने मजदूर बाहर काम करने जाते हैं. कितने मजदूर काम करने आते हैं. इसके साथ ही नरेश दिल्ली में राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें मजदूरों की समस्या से अवगत कराना चाहते हैं. नरेश के परिवार में उनके माता पिता के साथ पत्नी और दो बेटियां भी हैं. लेकिन परिवार से ज्यादा नरेश को प्रवासी मजदूरों के हित की आवाज उठाना जरूरी लगा. इसलिए वे 5100 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं.