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आठ साल से आठ सौ परिवारों को पक्के मकान का इंतजार - Corporation has to build houses in Talapara area

बिलासपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर 800 परिवार खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. अब इनके जर्जर मकान थोड़ी सी हवा में ही गिरने लगे ( Eight hundred families of Bilaspur need a house) हैं.

Eight hundred families of Bilaspur need a house
आठ साल से आठ सौ परिवारों को पक्के मकान का इंतजार
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Published : May 31, 2022, 7:58 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 12:09 PM IST

बिलासपुर : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिलने की आस में बिलासपुर के गरीब सालों से इंतजार कर रहे है. निगम की लेट लतीफी कहे या केंद्र सरकार से मिलने वाले फण्ड का जारी नही होना, लेकिन सरकारी माथापच्ची ने वार्ड नंबर 11 के 8 सौ परिवारों को पक्के मकान से महरूम कर रखा है. अब स्थिति ये हो गई है कि बारिश से पहले चलने वाली आंधी से ही गरीबों के घरों की दीवारें गिरने लगी है. ऐसे में यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

प्रधानमंत्री आवास योजना की सच्चाई

कहां का है मामला : बिलासपुर नगर निगम के वार्ड (Bilaspur Municipal Corporation) क्रमांक 11 में प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कराया जाना है. वार्ड में लगभग 800 परिवार ऐसे हैं जो शासकीय जमीन में तालाब किनारे बेजा कब्जा कर पिछले 50 सालों से रह रहे हैं. यहां नगर निगम ने 8 साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने योजना तैयार की थी. इसके तहत यहां रहने वालों का सर्वे भी कराया गया था, लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी यहां आवास के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है. ऐसे में सालों से अपने पक्के मकान का सपना देख रहे लोगों की आस अब टूटने लगी है.

कैसी है मकानों की हालत : निवासी अब इस कशमकश में है कि क्या करें. मकान इतने जर्जर हो चुके हैं कि आंधी आने पर कभी छत उड़ जाती है, तो कभी दीवार ढह जाती है. पिछले सप्ताह आंधी तूफान की वजह से एक मकान की दीवार ढह गई थी. इस दीवार के गिरने से दूसरे मकान का भी दीवार गिर गया. इस घटना में किसी के हताहत होने की जानकारी तो नहीं, लेकिन गरीबों के घर में रखे सामान दीवार के गिरने से बर्बाद हो गए.

सुध नही ले रही नगर निगम : तालापारा के इस इलाके में मकान बनने (Corporation has to build houses in Talapara area) है. पिछले दिनों कच्चे मकान ढहने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं. सैकड़ों रहवासी वर्षों से जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं. लोगों को पक्का मकान दिलाने नगर निगम सर्वे करा चुका है, पंजीयन शुल्क भी लोगों से लिया जा चुका है. बावजूद केंद्र और राज्य के बीच गरीबों का 986 मकान अटका हुआ है. सिवाए आश्वासन लोगों को कुछ नहीं मिल रहा है. निगम सरकार और विपक्ष इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताने में लगे हैं.

क्या किया है नगर निगम ने अब तक : निगम को यहां मोर जमीन मोर मकान के तहत पीएम आवास बनाकर देना है. जो लंबे समय से प्रस्तावित है. इसके लिए कई मर्तबा सर्वे किया जा चुका है. लोगों से पंजीयन शुल्क भी लिया जा चुका है. बावजूद लंबे समय से केवल गरीबों को आश्वासन मिल रहा है. मकान का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है. नगर निगम के अधिकारी बार-बार यहां सर्वे करने आते रहे. लेकिन मकान बनाने का काम शुरू ही नही हो सका. गरीब संशय में कि मकानों की मरम्मत कराए या नहीं.

ये भी पढ़ें- दीवार तो है लेकिन छत नहीं, कैसे होगा आशियाने का सपना पूरा

क्यों नहीं हो रही मरम्मत : मकान के इंतजार में गरीब परिवार अपने आवासों का मरम्मत भी नहीं करा रहे हैं. पैसे खर्च करने के बाद उन्हें मकान टूटने का डर है. आर्थिक नुकसान को देखते हुए वे जर्जर मकानों में ही रहने को मजबूर हैं. इधर वर्षो पुराना मकान होने के कारण अधिकांश मकान जर्जर और खस्ताहाल (house dilapidated and dilapidated) हो गए हैं. बताया जा रहा है,केंद्र और राज्य के बीच में गरीबों का 986 मकान अटके हैं. निगम सरकार गरीबों के आवास की व्यवस्था करने में गंभीर नहीं है.निगम के सभापति इसे फंड की कमी का होना बता रहे हैं. वहीं रहवासी निगम पर सारा दोष मढ़ रहे.

बिलासपुर : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिलने की आस में बिलासपुर के गरीब सालों से इंतजार कर रहे है. निगम की लेट लतीफी कहे या केंद्र सरकार से मिलने वाले फण्ड का जारी नही होना, लेकिन सरकारी माथापच्ची ने वार्ड नंबर 11 के 8 सौ परिवारों को पक्के मकान से महरूम कर रखा है. अब स्थिति ये हो गई है कि बारिश से पहले चलने वाली आंधी से ही गरीबों के घरों की दीवारें गिरने लगी है. ऐसे में यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

प्रधानमंत्री आवास योजना की सच्चाई

कहां का है मामला : बिलासपुर नगर निगम के वार्ड (Bilaspur Municipal Corporation) क्रमांक 11 में प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कराया जाना है. वार्ड में लगभग 800 परिवार ऐसे हैं जो शासकीय जमीन में तालाब किनारे बेजा कब्जा कर पिछले 50 सालों से रह रहे हैं. यहां नगर निगम ने 8 साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने योजना तैयार की थी. इसके तहत यहां रहने वालों का सर्वे भी कराया गया था, लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी यहां आवास के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है. ऐसे में सालों से अपने पक्के मकान का सपना देख रहे लोगों की आस अब टूटने लगी है.

कैसी है मकानों की हालत : निवासी अब इस कशमकश में है कि क्या करें. मकान इतने जर्जर हो चुके हैं कि आंधी आने पर कभी छत उड़ जाती है, तो कभी दीवार ढह जाती है. पिछले सप्ताह आंधी तूफान की वजह से एक मकान की दीवार ढह गई थी. इस दीवार के गिरने से दूसरे मकान का भी दीवार गिर गया. इस घटना में किसी के हताहत होने की जानकारी तो नहीं, लेकिन गरीबों के घर में रखे सामान दीवार के गिरने से बर्बाद हो गए.

सुध नही ले रही नगर निगम : तालापारा के इस इलाके में मकान बनने (Corporation has to build houses in Talapara area) है. पिछले दिनों कच्चे मकान ढहने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं. सैकड़ों रहवासी वर्षों से जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं. लोगों को पक्का मकान दिलाने नगर निगम सर्वे करा चुका है, पंजीयन शुल्क भी लोगों से लिया जा चुका है. बावजूद केंद्र और राज्य के बीच गरीबों का 986 मकान अटका हुआ है. सिवाए आश्वासन लोगों को कुछ नहीं मिल रहा है. निगम सरकार और विपक्ष इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताने में लगे हैं.

क्या किया है नगर निगम ने अब तक : निगम को यहां मोर जमीन मोर मकान के तहत पीएम आवास बनाकर देना है. जो लंबे समय से प्रस्तावित है. इसके लिए कई मर्तबा सर्वे किया जा चुका है. लोगों से पंजीयन शुल्क भी लिया जा चुका है. बावजूद लंबे समय से केवल गरीबों को आश्वासन मिल रहा है. मकान का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है. नगर निगम के अधिकारी बार-बार यहां सर्वे करने आते रहे. लेकिन मकान बनाने का काम शुरू ही नही हो सका. गरीब संशय में कि मकानों की मरम्मत कराए या नहीं.

ये भी पढ़ें- दीवार तो है लेकिन छत नहीं, कैसे होगा आशियाने का सपना पूरा

क्यों नहीं हो रही मरम्मत : मकान के इंतजार में गरीब परिवार अपने आवासों का मरम्मत भी नहीं करा रहे हैं. पैसे खर्च करने के बाद उन्हें मकान टूटने का डर है. आर्थिक नुकसान को देखते हुए वे जर्जर मकानों में ही रहने को मजबूर हैं. इधर वर्षो पुराना मकान होने के कारण अधिकांश मकान जर्जर और खस्ताहाल (house dilapidated and dilapidated) हो गए हैं. बताया जा रहा है,केंद्र और राज्य के बीच में गरीबों का 986 मकान अटके हैं. निगम सरकार गरीबों के आवास की व्यवस्था करने में गंभीर नहीं है.निगम के सभापति इसे फंड की कमी का होना बता रहे हैं. वहीं रहवासी निगम पर सारा दोष मढ़ रहे.

Last Updated : Jun 2, 2022, 12:09 PM IST
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