बिलासपुर : अधिकारी कर्मचारी के आंदोलन में न्यायिक कर्मचारी भी शामिल है.न्यायिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से प्रदेश के जिला एवं सत्र न्यायालय में रोजाना सुनवाई होने वाले लगभग 50 हजार मामलों की सुनवाई आगे बढ़ा दी गई (Effect of employee strike in chhattisgarh ) है.जिला न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने दावा किया है कि कर्मचारी हड़ताल की वजह से कोर्ट में होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ा दी गई है. जिसकी वजह से आम जनता से जुड़े सुनवाई में बाधा हुई है. साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में देर हो रही (judicial service in Chhattisgarh) है.
हड़ताल का असर : प्रदेश के जिला एवं सत्र न्यायालय में काम करने वाले न्यायिक शासकीय कर्मचारियों ने भी इस हड़ताल में अपना समर्थन दिया है. वे 22 तारीख से काम बंद हड़ताल पर चले गए है. न्यायिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से प्रदेश के सत्र न्यायालयों में होने वाली न्यायिक सुनवाई की तिथि आगे बढ़ा दी गई है.क्योंकि न्यायिक कर्मचारी तिथि निर्धारित करने और न्यायिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले कर्मचारी होते है और वो हड़ताल पर हैं. यही वजह है कि प्रदेश के किसी भी न्यायालय में सुनवाई नहीं हो रही है. अदालतों में केवल रिमांड और जमानत पर ही सुनवाई हो रही है. पहले से चल रहे मामलों की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी जा रही है.
सीएम भूपेश ने की अपील :छत्तीसगढ़ में कर्मचारी अधिकारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल और प्रदेश के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से प्रशासनिक व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हड़ताली कर्मचारियों से काम पर वापस लौटने की अपील सोशल मीडिया टि्वटर में ट्वीट करके की (CM Bhupesh Baghel appeals to the striking workers) है.सीएम ने कहा है कि इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है. वहीं सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अपील का स्वागत हड़ताली कर्मचारी अधिकारियों ने किया है. कर्मचारियों का कहना है कि जब तक आपस में बैठकर बात नहीं हो जाती तब तक हड़ताल वापस नहीं लिया जाएगा. कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन गुरुवार को एक बैठक आयोजित करके इस विषय पर चर्चा करेंगे. उसके बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
कितने मामलों की सुनवाई बढ़ी : बिलासपुर जिला एवं सत्र न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष धीरज पलेरिया ने दावा किया है कि '' प्रदेश के सभी जिला एवं सत्र न्यायालय में रोजाना ही लगभग 8 से 10 हजार मामलों की सुनवाई होती है, इस हिसाब से 22 तारीख से अब तक प्रदेश में लगभग 50 हजार मामलों की सुनवाई हो जाती. लेकिन राज्य सरकार की हठधर्मिता और कर्मचारियों का हक नहीं देने की मंशा से परेशान न्यायिक कर्मचारी भी हड़ताल पर (bilaspur news ) हैं.''
राज्य बनने के बाद पहली बार हड़ताल : छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पहली बार कोर्ट कर्मचारी सामूहिक हड़ताल पर गए है. इससे पहले कोर्ट कर्मचारी 1997 में अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान कर्मचारी हड़ताल पर गए थे. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से जहां कोर्ट रूम वीरान हो गया है.वहीं न्यायालयीन प्रक्रिया से जुड़े कई काम काज नहीं हो रहे हैं. ऐसे में वादी और प्रतिवादी कोर्ट तो पहुंच रहे हैं, लेकिन कोर्ट प्रक्रिया में होने वाले कार्य नहीं हो पा रहे हैं. कोर्ट कर्मचारी भी इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल का मन बना कर कामकाज ठप्प कर दिए हैं, और मांगे पूरी नहीं होने तक वापस नहीं आने की बात कह रहे हैं.