बिलासपुरः जिला न्यायाधीश (district judge) प्रवेश स्तर परीक्षा (entry level exam) में अनुभव प्रमाण पत्र में खामी बताकर कई प्रतियोगियों को वंचित कर दिया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस (Justice) गौतम भादुड़ी व जस्टिस आरसीएस (RCS) सामंत की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता प्रतियोगियों (petitioners contestants) को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति दे दी है.
साथ ही रजिस्ट्रार जनरल (registrar general) के माध्यम से हाईकोर्ट (High Court) को नोटिस (notice) जारी करते हुए अंतिम आदेश से बाधित रखा है. प्रदेश में जिला न्यायाधीश (district judge) प्रवेश स्तर परीक्षा (entry level exam) के लिए छह जनवरी 2020 को अधिसूचना (notification) जारी की गई थी. इसके तहत 22 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया. आवेदकों के लिए निर्धारित प्रारूप में सात वर्ष का अनुभव प्रमाण पत्र अनिवार्य था.
इसके लिए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजीपुर निवासी अनिल उपाध्याय व रामकृपाल राय ने भी आवेदन किया. हाईकोर्ट (High Court) प्रशासन (Administration) की स्क्रूटनी कमेटी (scrutiny committee) ने आवेदन की छंटनी की. सक्षम प्राधिकारी का अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण दोनों को परीक्षा से बाहर कर दिया गया.
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हाईकोर्ट में दर्ज की गई है याचिका
इसी माह होने वाले इस परीक्षा से वंचित होने पर उन्होंने अपने अधिवक्ता जयप्रकाश शुक्ला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ताओं ने उत्तर-प्रदेश के साथ ही राजस्थान में आयोजित जिला न्यायाधीश की प्रवेश स्तरीय परीक्षा में भाग लिया था. इसमें इसी अनुभव प्रमाण पत्र को स्वीकार किया गया था. याचिका में अनुभव प्रमाण पत्र के लिए बनाए गए नियम की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में यह भी बताया गया कि जिला न्यायाधीश अगर किसी कारणवश प्रमाणपत्र देने के लिए उपलब्ध नहीं हैं तो वे एडीजे को अधिकृत कर सकते हैं. साथ ही प्रमाणपत्र प्रमाणित हो तो प्रोफार्मा जरूरी नहीं है.