बिलासपुर : हाईकोर्ट (Division Bench of Bilaspur High Court gave an important decision) ने घर से निकाली गई विधवा बहू के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद पति की मौत होने पर विधवा की जिम्मेदारी कौन उठाएगा इस बात का भी रास्ता साफ हो चुका है. भारत में पहले यह स्पष्ट नहीं था कि यदि पति की असमय मृत्यु हो जाए और विधवा महिला को ससुराल से निकाल दिया जाए तो उसकी जिम्मेदारी और भरण पोषण की जवाबदेही किस पर होगी. लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब विधवा महिला अपने ससुर और ससुरालवालों पर भरण पोषण के लिए दावा कर सकती है.
कहां का है मामला : जांजगीर-चांपा जिला की रहने वाली चंचला का विवाह कोरबा के अश्विनी कुमार से 2008 में हुआ था. शादी के 4 साल बाद अश्विनी की मृत्यु हो गई. इसके बाद ससुर ने विधवा बहू को ससुराल से निकाल दिया और बेटे की बैंक पासबुक और एटीएम अपने पास रख ली. विधवा बहू अपने मायके में रहने लगी. उसने 2015 में जांजगीर चांपा के कुटुंब न्यायालय में ससुर से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए वाद दाखिल किया. कुटुंब न्यायालय ने बहू के पक्ष में फैसला दिया. इसके खिलाफ ससुर नंदकिशोर लाल ने हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में अपील दायर की.
हाईकोर्ट का निर्देश : ससुर और बहू के भरण-पोषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए (decision of Bilaspur High Court in favor of widowed daughter inlaw) हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. जस्टिस गौतम भादुड़ी की डिवीजन बेंच ने कहा कि ''किसी महिला के पति की मौत हो जाने पर उसकी जिम्मेदारी ससुर और ससुरालपक्ष की होती है.यदि ऐसे मामले में बहू को घर से निकाल दिया जाए तो भी ससुरालपक्ष ही उसका खर्च निर्वहन करेगा.'' इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई भी विधवा महिला पति की मौत के बाद अपने ससुर या ससुरालवालों पर भरण पोषण के लिए दावा कर सकती है.
कहां फंसा था पेंच :अब तक ऐसा होता आ रहा था कि यदि विवाह संबंध विच्छेद होता था तो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत महिला अपने पति से जीवन-यापन का खर्चा ले सकती हैं.इस मामले में पति या उसका परिवार अलग रह रही महिला को खर्च देने के लिए बाध्य होता था.लेकिन यदि किसी महिला के पति की मौत हो जाने पर उसके जीवन यापन की जिम्मेदारी किसकी होगी.इस बात पर कोई भी स्पष्ट आदेश नहीं था. लेकिन अब बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद विधवा महिलाओं के सामने भरण पोषण को लेकर हो रही परेशानी को दूर करने का विकल्प होगा.