बिलासपुर : देश भर में सैकड़ों ऐसे मंदिर हैं जहां पर भक्त देवी-देवताओं को खुश करने चढ़ावे के तौर पर सोना, चांदी, प्रसाद, चुनरी या अन्य कई तरह की सामग्री चढ़ाते है, लेकिन कई ऐसी देवी देवता हैं जिन्हें चढ़ावे के रूप में अलग तरह की वस्तु पसंद है, उनकी पसंद की वस्तु कुछ अलग ही होती है जो लोगो का ध्यान आकर्षित करती है. बिलासपुर में भी इसी तरह की देवी है जिन्हें पत्थर पसंद है. खमतराई के मंदिर में भक्त पत्थर के चढ़ावे से देवी को खुश करते हैं.देवी स्वयंभू है और लगभग 100 साल पहले से इनकी यहां स्थापित होने के प्रमाण मिलते है. देवी पेड़ के नीचे स्वयं स्थापित हुई थी. इस जगह पहले जंगल हुआ करता था. यहां से गुजरने वाले लोग पत्थर चढ़ाकर आगे बढ़ते थे. देवी को चढ़ावा चढ़ाने के लिए कुछ नहीं होने पर लोग आसपास से पत्थर उठाकर देवी को अर्पित करते थे, तब से चली यह परंपरा चली आ रही है. Bilaspur navratri 2022
कौन है पत्थरों से प्रसन्न होने वाली माता : बिलासपुर के पास खमतराई गांव में बगदाई देवी का मंदिर (Bilaspur Bagdaai Devi ) है. इस मंदिर में नवरात्र के समय श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या पहुच रही हैं. यह मंदिर अनूठा है, इसका निर्माण तो अभी हाल के वर्षों में शुरू हुआ है, लेकिन इस स्थान पर लोगों की श्रद्धा काफी पुरानी है. लगभग 100 साल से भी ज्यादा देवी यहां विराजमान है. जब यहां जंगल हुआ करता था, और जंगली जानवर घुमा करते थे. तब यहां से आने-जाने वाले लोग अपने घर या गंतव्य तक सकुशल पहुंचने के लिए पांच पत्थर रखकर मनोकामना मांगते हुए आगे बढ़ जाते थे. इसके बाद सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचते थे. धीरे-धीरे लोगों को बगदाई वनदेवी के विषय में जानकारी हुई. बाद के वर्षों में यहां जब बस्ती बसी तो यहां पेड़ के नीचे रखी प्रतिमा के लिए आसपास के लोगों ने छोटे मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर से जुड़े लोग और श्रद्धालुओं ने बताया कि 100 साल पहले से भी बगदाई वनदेवी यहां स्थापित हैं. तब से परंपरा चली आ रही है.लोगों ने 5 पत्थर रखकर अपनी मनोकामना की और यह परम्परा आज भी (bagdaai devi is pleased by offering stones) है.
स्वयंभू स्थापित है देवी : बगदाई वनदेवी के विषय में कहा जाता है कि वह स्वयंभू स्थापित हैं .क्योंकि लगभग 100 साल से लोग यहां आ रहे हैं. लेकिन किसी को यह नहीं मालूम है कि देवी की प्रतिमा कौन लेकर आया है और यहां कैसे पहुंची. कहते हैं कि पेड़ के नीचे ही लोगों को देवी की प्रतिमा दिखी थी. शुरुआती दौर पर तो कोई ऐसे ही प्रतिमा होने की सोच देवी की ओर ध्यान नहीं देता था. लेकिन बाद में एक जमीदार को देवी ने स्वप्न देकर खुद के होने की जानकारी दी.धीरे-धीरे लोगों को देवी की चमत्कार की जानकारी लगने लगी. छोटे से मंदिर के रूप में निर्माण कराकर देवी को स्थापित कर दिया(Miracle of Khamtrai Bagdai Devi of Bilaspur) गया.
देवी के चमत्कार ने भक्तों का किया उद्धार : मंदिर आने वाले एक भक्त ने बताया कि ''देवी के चमत्कार की जानकारी होने पर वे यहां आए हैं. जब इन्हें देवी के दैवीय चमत्कारों की जानकारी लगी तो वह यहां आकर देवी से प्रार्थना करने लगे. उन्होंने कहा कि अब जो भी हो देवी उनका उद्धार करेगी तो वो वापस आएंगे. उन्होंने देवी की प्रतिमा के सामने पांच पत्थर रखे और अब उनकी मनोकामना पूरी होने पर वे दोबारा यहां पत्थर चढ़ाने आएंगे.''
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मंदिर आने वाले एक भक्त ने बताया कि देवी के चमत्कार का जीता जागता सबूत वह स्वयं है, क्योंकि जब उसको बीमारी हुई थी और डॉक्टरों ने यह कह दिया था कि उनकी बीमारी लाइलाज है.लेकिन इन्हें देवी के दैवीय चमत्कारों की जानकारी लगी तो वह यहां आकर देवी से प्रार्थना करने लगे. उन्होंने कहा कि अब जो भी हो देवी ही उन्हें ठीक करेगी. उन्होंने देवी की प्रतिमा के सामने पांच पत्थर रखे और कहा कि मुझे जल्दी ठीक कर दो.धीरे-धीरे उनकी बीमारी ठीक होने लगी है.