बिलासपुरः पहला करोनाकाल से बंद सिटी बस संचालन अब तक शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में जहां बस डिपो में खड़ी-खड़ी बसें जर्जर हो गई हैं, वहीं इन बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों को निजी बसों में अधिक पैसे देकर सफर करना मजबूरी बन गया है. ना राज्य सरकार इस ओर ध्यान देती और ना जिला प्रशासन. ऐसे में राज्य सरकार के प्रति यात्रियों का आक्रोश बढ़ने लगा है.
कोरोनाकाल के पहले चरण में केंद्र ने जब पूरे भारत में लॉकडाउन किया था. तब शहर में संचालित सिटी बस भी बंद कर दी गई थी. इसके बाद धीरे-धीरे पूरा देश अनलॉक हो गया, लेकिन बिलासपुर के साथ ही राज्य भर में चलने वाली सिटी बस अनलॉक नहीं हो पाया है. इस वजह से जहां डिपो में बस खड़ी खड़ी जर्जर हो गई हैं वहीं, शहर में इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों को भी काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है. उन्हें निजी बसों में ज्यादा पैसे चुका कर गंतव्य तक जाना पड़ रहा है. इसके अलावा बस स्टैंड या बस स्टॉपेज तक पहुंचने के लिए उन्हें अपने घर से ऑटो में जाना पड़ता है, और इस वजह से उन्हें दोगुना किराया भी देना पड़ता है.
इस बात को हम इस तरह से समझ सकते हैं कि घर से बस स्टॉप तक जाने के लिए 50 से100 रुपए तक ऑटो वाले चार्ज करते हैं, इसके बाद निजी बस में बैठकर 50 किलोमीटर का अगर सफर करना है तो 55 से 60 रुपए लगता है. यानी डेढ़ से 200 रुपए तक पैसे चुका कर 50 किलोमीटर का सफर यात्री करते हैं. जबकि सिटी बस के संचालन में उनका यही सफर 50 से 60 रुपए में हो जाता था. यानी अपने घर से निकल कर मुख्य सड़क तक पहुंचने पर सिटी बस मिल जाती थी. लेकिन अभी सिटी बस नहीं होने की वजह से यात्रियों को शहर से बाहर बस स्टैंड तक जाने के लिए 70 से 100 रुपए तक ऑटो का किराया देना होता है.
समिति भी नहीं दे रही है ध्यान
जिला प्रशासन सिटी बस का संचालन करती है और इसके अध्यक्ष जिला के कलेक्टर होते हैं, साथ ही नगर निगम आयुक्त इसमें सचिव होते हैं. अब इन सिटी बसों के संचालन की जिम्मेदारी इनकी है लेकिन यह समिति भी इधर ध्यान नही दे रही है. वैसे तो पूरे राज्य का यही हाल हाल है. बिलासपुर शहर के साथ ही शहर से बाहर 30 से 35 किलोमीटर और 50 किलोमीटर तक सिटी बस सफर तय करती है. जिसमें संचालन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के साथ ही निगम की होती है. नगर निगम कमिश्नर अजय त्रिपाठी ने बताया कि करोनाकॉल के पहले चरण में बस का संचालन बंद कर दिया गया था और इसके अलावा बस संचालित करने वाली कंपनी ने भी अब दोबारा बस संचालन करने से मना कर दिया है. कमिश्नर त्रिपाठी ने बताया कि बस संचालन कर रही कंपनी के मालिक के मरने की जानकारी है और यही कारण है कि अब वह कंपनी बस का संचालन नहीं कर रही है.
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बस संचालन के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की जरूरत
बिलासपुर में अलग-अलग रूट पर 50 बसें संचालित की जाती रही हैं और अब दोबारा इन बसों को शुरू करने में भारी भरकम राशि खर्च करनी होगी. बसों के बैटरी, चक्के, ट्यूब, अंदर सीट की मरम्मत के साथ ही बॉडी मरम्मत में लगभग 1 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. इसके अलावा बसों के इंश्योरेंस, रोड टैक्स, और परमिट में 45 से 50 लाख रुपए लगेंगे यानी सिटी बस संचालन दोबारा शुरू करने के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की आवश्यकता है.
ऑटो वाले उठाते है फायदा
बिलासपुर शहर से हाईटेक बस स्टैंड लगभग 8 किलोमीटर है और यहां पहुंचने पर ही रायपुर के लिए बस मिलेगी. यात्रियों को ऑटो में सफर करना पड़ता है क्योंकि पहले सिटी बस हाईटेक बस स्टैंड तक जाती थी और यहां आने जाने के लिए यात्रियों को सिटी बस में 10रुपए किराया लगता था. लेकिन सिटी बस के संचालित नहीं होने से ऑटो वाले फायदा उठाते हैं और शहर के मध्य से बस स्टैंड जाने के लिए वे 80 से 100 रुपए तक यात्रियों से लेते हैं.