सरगुजा: बलरामपुर जिले में लगातार हो रही पंडो जनजाति के लोगों की मौत के बीच बुधवार को फिर 2 पंडो ग्रामीणों की मौत हो गई. दोनों की मौत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज (Ambikapur Medical College) अस्पताल में हुई है. मरने वालों में एक बलरामपुर जिले की महिला है. वहीं दूसरा मृतक सूरजपुर जिले का रहने वाला था. दोनों को गंभीर हालत में उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया था. लेकिन खून की कमी से जूझ रही महिला की बीती रात मौत हो गई. सूरजपुर के ग्रामीण की भी मौत हो गई. फिलहाल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग मौत के कारणों की जांच कर रहा है.
बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम बिमलापुर निवासी 41 वर्षीया मनकुरी पंडो को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महिला के शरीर में हीमोग्लोबीन की मात्रा 8 ग्राम थी. महिला एक हफ्ते से बुखार से जूझ रही थी. ऐसे में समाज के अध्यक्ष उदय पंडो की पहल पर महिला को 18 सितम्बर को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां ICU में उसका उपचार चल रहा था. लेकिन उपचार के दौरान बीती रात उसकी मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले 15 अगस्त को महिला के ससुर रामजीत पंडो की घर में मौत हो गई थी.
दूसरी मौत सूरजपुर जिले के भैयाथान केवरा निवासी 50 साल के धीरन पंडो की हुई है. जिसको उल्टी-दस्त की शिकायत पर भैयाथान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. फिर वहां से उन्हें सूरजपुर जिला चिकित्सालय भेजा गया. लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर दो दिन पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर किया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई.
पंडो परिवार से मिली रेणुका सिंह,- कहा- दूषित जल से हुई मौतें, PHE विभाग जिम्मेदार
बलरामपुर जिले में लगातार पंडो जनजाति (pando tribe ) के लोगों की अलग-अलग बीमारियों के कारण मौत हो रही है. बीते 5 महीने में 30 पंडो जनजातियों की मौत हो चुकी है. बीते दिनों केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह (Union Minister of State Renuka Singh) दो दिवसीय प्रवास पर बलरामपुर पहुंची थी. केंद्रीय राज्य मंत्री (Union Minister of State) ने पंडो परिवार के घर जाकर पहुंचकर लोगों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना. इस दौरान रेणुका सिंह (Renuka Singh) ने पंडो की मौत के मामले के लिए वजह दूषित जल होने के कारण पीएचई विभाग को जिम्मेदार ठहराया.
जिले में पंडो जनजाति के लोगों की मौतों को लेकर यह बात सामने आ रही है कि आर्थिक तंगी व जानकारी के आभाव में ग्रामीण घर में ही अपना उपचार जड़ी बूटी व झाड़फूंक के माध्यम से करा रहे हैं. जिससे उनकी हालत में सुधार होने की बजाए स्थिति और बिगड़ रही है. समय पर सही उपचार नहीं होने के कारण ही इनकी मौतें होने की बात सामने आई रही है. जिसके बाद प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है और पंडो बाहुल्य क्षेत्रों में कैंप लगाकर मरीजों की पहचान की जा रही है. सामाजिक संगठन और स्थानीय जन प्रतिनिधियों की मदद से इन मरीजों की पहचान कर उन्हें उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है.