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Ambikapur latest news : हौंसलों को पंख देने की कहानी, ठेले से बास्केटबॉल ट्रेनर तक का सफर

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Published : Oct 18, 2022, 2:12 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 7:36 PM IST

Ambikapur latest news अम्बिकापुर में फास्ट फूड बेचकर अपना और अपने परिवार का जीवन चलाने वाले एक युवक की मेहनत रंग लाई है. युवक अब बास्केटबॉल का प्रशिक्षक बन चुका है. परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिये बचपन से दोनों भाई चौपाटी में फास्ट फूड बेचते थे. दुकान की जिम्मेदारी की वजह से दोनों भाई शिफ्ट में पढ़ाई करते थे.खेलने का समय नही मिलता था. लेकिन छोटे भाई को बड़े भाई ने सपोर्ट किया. कोच ने प्रेरणा दी. जिसका नतीजा ये हुआ कि आज वो अच्छा खिलाड़ी होने के साथ-साथ दूसरों को भी खेल की कोचिंग देने के लिए तैयार है.story of Abid basketball trainer

Ambikapur latest news
ठेले से बॉस्केटबाल ट्रेनर तक का सफर

सरगुजा : मेहनत अगर सच्ची हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है. इस शब्दों को सच कर दिखाया (basketball trainer of Ambikapur) है. अम्बिकापुर के आबिद ने. चौपाटी में फास्ट फूड बेचने वाले आबिद बास्केटबॉल के प्लेयर थे. लेकिन उसने ट्रेनिंग ली और पढ़ाई जारी रखी. आज आबिद बास्केटबॉल के प्रशिक्षक बन चुके हैं. अम्बिकापुर की चौपाटी में फास्टफूड की दुकान बचपन से ही दो भाई चला रहे थे. शासकीय स्कूल में दोनों पढ़ते. लेकिन दुकान की जिम्मेदारी के कारण स्कूल जाने का भी समय नहीं मिलता. किसी तरह दोनो भाई शिफ्ट में स्कूल और दुकान मेंटेन करते थे. तभी छोटे भाई आबिद को बास्केटबॉल खेलने का मन हुआ. समय की कमी के कारण वो रेग्युलर प्रेक्टिस में नही जा पाता था. बास्केटबॉल कोच राजेश प्रताप सिंह ने आबिद को सपोर्ट किया और उसे शनिवार और रविवार को प्रैक्टिस करने की सलाह दी. story of Abid basketball trainer

हौंसलों को पंख देने की कहानी, ठेले से बास्केटबॉल ट्रेनर तक का सफर

भाई और कोच ने बनाया सफल : आबिद ने भी हार नही मानी और खेलता रहा. भाई ने सपोर्ट किया और दुकान से खेलने के लिये उसे समय दिया जाने लगा. कुछ दिनों बाद आबिद ने नेशनल खेला और सिल्वर मेडल हासिल किया. इसके अलावा कई ओपन और यूनिवर्सिटी की तरफ से आबिद ने बास्केटबॉल टूर्नामेंट खेले हैं. जीवन को बेहतर बनाने आबिद ने पढ़ाई जारी रखी और बैंगलोर जाकर प्रशिक्षक का कोर्स किया. अब आबिद बास्केटबॉल के प्रशिक्षक बन चुके हैं. स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा उसे प्रमाण पत्र भी दिया गया है.

खिलाड़ियों के लिए नजीर हैं आबिद : आबिद जैसे युवक यह संदेश देते हैं की सच्ची लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नही होता है. कम उम्र में घर के जिम्मेदारी उठाई. पढ़ाई जारी रखी और उसके साथ अपने सपने को भी साकार करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाये. अब आबिद आगे भी पढ़ाई जारी रखे हुए है और उम्मीद कर रहा है की शायद उसे कहीं नौकरी मिल जाये. जिससे वो बास्केटबॉल कोच के तौर पर अपने शौक और हुनर को और भी निखार सके.

चौपाटी से ट्रेनर तक का सफर : फिलहाल दोनों भाई अम्बिकापुर की चौपाटी में फास्टफूड बेच रहे हैं. परिवार की जिम्मेदारी बचपन से ही उठा रहे हैं. अब दोनों बड़े हो चुके हैं और दुकान चलाकर परिवार की देख भाल करते हैं. लेकिन आबिद के सपने कुछ और हैं. वो चौपाटी से निकलकर मैदान में अपना हुनर दिखाना चाहता है. लेकिन देखना होगा कि आखिर इस युवक को कब सही प्लेटफार्म मिलेगा. जहां वो अपनी काबिलियत से और भी बच्चों को ट्रेंड कर बास्केटबॉल खिलाड़ी बना सकेगा. Ambikapur latest news

सरगुजा : मेहनत अगर सच्ची हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है. इस शब्दों को सच कर दिखाया (basketball trainer of Ambikapur) है. अम्बिकापुर के आबिद ने. चौपाटी में फास्ट फूड बेचने वाले आबिद बास्केटबॉल के प्लेयर थे. लेकिन उसने ट्रेनिंग ली और पढ़ाई जारी रखी. आज आबिद बास्केटबॉल के प्रशिक्षक बन चुके हैं. अम्बिकापुर की चौपाटी में फास्टफूड की दुकान बचपन से ही दो भाई चला रहे थे. शासकीय स्कूल में दोनों पढ़ते. लेकिन दुकान की जिम्मेदारी के कारण स्कूल जाने का भी समय नहीं मिलता. किसी तरह दोनो भाई शिफ्ट में स्कूल और दुकान मेंटेन करते थे. तभी छोटे भाई आबिद को बास्केटबॉल खेलने का मन हुआ. समय की कमी के कारण वो रेग्युलर प्रेक्टिस में नही जा पाता था. बास्केटबॉल कोच राजेश प्रताप सिंह ने आबिद को सपोर्ट किया और उसे शनिवार और रविवार को प्रैक्टिस करने की सलाह दी. story of Abid basketball trainer

हौंसलों को पंख देने की कहानी, ठेले से बास्केटबॉल ट्रेनर तक का सफर

भाई और कोच ने बनाया सफल : आबिद ने भी हार नही मानी और खेलता रहा. भाई ने सपोर्ट किया और दुकान से खेलने के लिये उसे समय दिया जाने लगा. कुछ दिनों बाद आबिद ने नेशनल खेला और सिल्वर मेडल हासिल किया. इसके अलावा कई ओपन और यूनिवर्सिटी की तरफ से आबिद ने बास्केटबॉल टूर्नामेंट खेले हैं. जीवन को बेहतर बनाने आबिद ने पढ़ाई जारी रखी और बैंगलोर जाकर प्रशिक्षक का कोर्स किया. अब आबिद बास्केटबॉल के प्रशिक्षक बन चुके हैं. स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा उसे प्रमाण पत्र भी दिया गया है.

खिलाड़ियों के लिए नजीर हैं आबिद : आबिद जैसे युवक यह संदेश देते हैं की सच्ची लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नही होता है. कम उम्र में घर के जिम्मेदारी उठाई. पढ़ाई जारी रखी और उसके साथ अपने सपने को भी साकार करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाये. अब आबिद आगे भी पढ़ाई जारी रखे हुए है और उम्मीद कर रहा है की शायद उसे कहीं नौकरी मिल जाये. जिससे वो बास्केटबॉल कोच के तौर पर अपने शौक और हुनर को और भी निखार सके.

चौपाटी से ट्रेनर तक का सफर : फिलहाल दोनों भाई अम्बिकापुर की चौपाटी में फास्टफूड बेच रहे हैं. परिवार की जिम्मेदारी बचपन से ही उठा रहे हैं. अब दोनों बड़े हो चुके हैं और दुकान चलाकर परिवार की देख भाल करते हैं. लेकिन आबिद के सपने कुछ और हैं. वो चौपाटी से निकलकर मैदान में अपना हुनर दिखाना चाहता है. लेकिन देखना होगा कि आखिर इस युवक को कब सही प्लेटफार्म मिलेगा. जहां वो अपनी काबिलियत से और भी बच्चों को ट्रेंड कर बास्केटबॉल खिलाड़ी बना सकेगा. Ambikapur latest news

Last Updated : Oct 18, 2022, 7:36 PM IST
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