सरगुजा: जिले में कोरोना संक्रमितों के बढ़ते आंकड़ों के साथ ही अस्पतालों में अब बेड की कमी भी साफ देखने को मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने मरीजों को अब होम आइसोलेशन में रखने का निर्देश जारी कर दिया है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ गाइडलाइन बनाए हैं, जिनका पालन करने के बाद ही एसिम्टोमैटिक मरीज को होम आइसोलेशन में रखा जाना है. अगर होम आइसोलेशन के पालन में थोड़ी सी भी चूक हुई, तो इसका खामियाजा उस परिवार को तो भुगतना ही पड़ेगा, साथ ही आसपास के लोगों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा. हालांकि होम आइसोलेशन देने के बाद प्रशासन संक्रमित लोगों पर कड़ाई से निगरानी रखने और लापरवाही पर FIR दर्ज करने की बात कह रहा है.
शासन संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए कोविड-19 हॉस्पिटल के साथ ही कोविड केयर सेंटर का निर्माण कर रही है, लेकिन जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उससे यह प्रयास भी नाकाफी साबित हो सकता है. वहीं कोविड हॉस्पिटल से लगातार मरीजों की तरफ से भोजन, साफ-सफाई सहित अन्य शिकायतें आ रही थीं. केंद्र सरकार ने कई राज्यों में होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू कर दी थी और प्रदेश में भी इस सुविधा को लगभग 15 दिन पहले लागू कर दिया गया है. प्रदेश में इस सुविधा को सबसे पहले चरण में चिकित्सकों पर ही ट्रायल के रूप में लिया गया था और उसके बाद अब आम लोगों के लिए यह सुविधा दी गई है. सरगुजा में भी होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू कर दी गई है.
होम आइसोलेशन के नियम
होम आइसोलेशन के लिए कुछ सख्त नियम भी बनाए गए हैं. इनमें सबसे जरूरी यह है कि इस सुविधा का लाभ सिर्फ एसिम्टोमैटिक मरीजों को ही मिलेगा. इसके साथ ही मरीज को अंडरटेकिंग देने वाले डॉक्टर को प्रतिदिन संक्रमित मरीज के बीपी, पल्स, ऑक्सीजन सैचुरेशन की जानकारी एक फॉर्मेट में भरकर अपने हस्ताक्षर के साथ देनी होगी. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ऐसे में यदि किसी मरीज के बीपी और पल्स लेने में थोड़ी-सी भी गलती हुई और मरीज की जान को कोई खतरा हुआ, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी डॉक्टर की होगी.
पल्स ऑक्सीमीटर होना आवश्यक
होम आइसोलेशन लेने वाले एसिम्टोमैटिक मरीजों को कुछ मानकों का ख्याल रखना होगा. घर में पल्स ऑक्सीमीटर, बीपी मशीन, मास्क, सैनिटाइजर की व्यवस्था, घर में शौचालय के साथ अटैच एक कमरा हो, जिसमें वह अलग रह सके. गंभीर बीमार, बुजुर्ग, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, हार्ट, किडनी, शुगर जैसी गंभीर बीमरियों से पीड़ित मरीजों को यह सुविधा नहीं मिलेगी. जिन मरीजों को यह सुविधा मिलेगी, उनके घर के बाहर प्रशासन एक पोस्टर भी लगाएगा, जिसमें चेतावनी लिखी होगी.
होम आइसोलेशन बड़ी चुनौती
होम आइसोलेशन में सबसे बड़ी चुनौती मरीजों की निगरानी है. होम आइसोलेशन लेने के बाद यदि मरीज नियमों का पालन नहीं कर रहा है और थोड़ी भी लापरवाही करता है, तो उसका खामियाजा परिजन को तो उठाना ही पड़ेगा, इसके साथ ही आस-पड़ोस पर भी खतरा बढ़ जाएगा. मरीज के स्वास्थ्य की रिपोर्ट कंट्रोल में बैठा चिकित्सक लेगा, लेकिन मरीज निरंतर रूप से घर पर ही है, इसकी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. अब देखना यह होगा कि होम आइसोलेशन का फॉर्मूला कितना सफल होता है.