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ग्रामीण महिलाएं कर रहीं कचरे की सफाई और उसी से अपनी कमाई - Rural women

स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण (cleanliness survey) में अग्रणी अम्बिकापुर में शुरू स्वच्छता का मॉडल (model of cleanliness) अब ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) में भी लागू हो चुका है. जिले के उदयपुर ग्राम पंचायत ने इस मॉडल को अपनाया है और गांव में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन (door-to-door garbage collection) और सेग्रीगेशन (segregation) का काम शुरू किया है.

Rural women are cleaning the garbage and earn their money from it
ग्रामीण महिलाएं कर रहीं कचरे की सफाई और उसी से अपनी कमाई
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Published : Sep 11, 2021, 11:03 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 4:01 PM IST

सरगुजा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में अग्रणी अम्बिकापुर में शुरू हुआ स्वच्छता का मॉडल अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सफल हो रहा है. उदयपुर ग्राम पंचायत ने इस मॉडल को अपनाया है और गांव में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन का काम शुरू किया है.

इस काम से ना सिर्फ सफाई हो रही है बल्कि गांव की महिलाओं की कमाई भी हो रही है. उदयपुर ग्राम में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (solid waste management) का काम शुरू किया गया है. बड़ी बात यह है की यह काम महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है.

ग्रामीण महिलाएं कर रहीं कचरे की सफाई और उसी से अपनी कमाई

यहां महिलाएं गांव को कचरा मुक्त करने की मुहिम में घर-घर से जा कर कचरा लाती हैं और फिर उस कचरे को सेग्रीगेशन सेंटर में सेग्रीगेट किया जाता है. कचरे को छांटने के बाद बेच दिया जाता है. जिससे समूह को आमदनी होती है. इसके साथ ही हर घर से यूजर चार्ज लिया जाता है. घरों से 50 रुपए और दुकानों से 150 रुपये यूजर चार्ज लिया जाता है.

परिवार देता है यूजर चार्ज

उदयपुर गांव में 600 परिवार है. लेकिन अभी 350 लोग ही यूजर चार्ज देते हैं. घरों से महीने में लगभग 17 हजार और 150 दुकानों से करीब 22 हजार रुपये यूजर चार्ज लिया जा रहा है. घरों से मिलने वाले कचरे को बेच कर अब तक 12 हजार रुपये की आय महिला समूह कर चुकी हैं.

अंबिकापुर: देश के पहले गार्बेज कैफे पर लॉकडाउन का असर, जागरुकता पर फोकस

दस में से 5 महिलाएं कर रहीं हैं काम

समूह की दस महिलाओं में से 5 महिलाएं ही इस काम को कर रही हैं. बाकी की महिलाएं अन्य कार्य करती हैं. प्रशासन ने इस योजना को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग किया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शेड निर्माण व सामग्री खरीद कर दी गई है. महिलाओं की आमदनी का सिलसिला यहीं नही रुकता, ये महिलाएं सेनेटरी पैड की बिक्री व वर्मी कंपोस्ट का निर्माण भी कर रही हैं. वर्मी कंपोस्ट के एक टैंक से 55 दिन में करीब 12 हजार की आय होती है.

इसके साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर भी यहां काम शुरू किया जाना है. जिसके तहत गांव में एफएसटीपी प्लांट लगाने की योजना है. इससे लोगों के घरों के सैप्टिक टैंक के मलबे का निपटान किया जा सकेगा. वहीं, महिलाओं की आमदनी बढ़ाने अन्य नवाचार भी किया जाना है. फिलहाल, महिलाओं को स्वच्छाग्राही के रूप से ढाई से तीन हजार महीने का इंसेंटिव दिया जा रहा है.

सरगुजा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में अग्रणी अम्बिकापुर में शुरू हुआ स्वच्छता का मॉडल अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सफल हो रहा है. उदयपुर ग्राम पंचायत ने इस मॉडल को अपनाया है और गांव में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन का काम शुरू किया है.

इस काम से ना सिर्फ सफाई हो रही है बल्कि गांव की महिलाओं की कमाई भी हो रही है. उदयपुर ग्राम में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (solid waste management) का काम शुरू किया गया है. बड़ी बात यह है की यह काम महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है.

ग्रामीण महिलाएं कर रहीं कचरे की सफाई और उसी से अपनी कमाई

यहां महिलाएं गांव को कचरा मुक्त करने की मुहिम में घर-घर से जा कर कचरा लाती हैं और फिर उस कचरे को सेग्रीगेशन सेंटर में सेग्रीगेट किया जाता है. कचरे को छांटने के बाद बेच दिया जाता है. जिससे समूह को आमदनी होती है. इसके साथ ही हर घर से यूजर चार्ज लिया जाता है. घरों से 50 रुपए और दुकानों से 150 रुपये यूजर चार्ज लिया जाता है.

परिवार देता है यूजर चार्ज

उदयपुर गांव में 600 परिवार है. लेकिन अभी 350 लोग ही यूजर चार्ज देते हैं. घरों से महीने में लगभग 17 हजार और 150 दुकानों से करीब 22 हजार रुपये यूजर चार्ज लिया जा रहा है. घरों से मिलने वाले कचरे को बेच कर अब तक 12 हजार रुपये की आय महिला समूह कर चुकी हैं.

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दस में से 5 महिलाएं कर रहीं हैं काम

समूह की दस महिलाओं में से 5 महिलाएं ही इस काम को कर रही हैं. बाकी की महिलाएं अन्य कार्य करती हैं. प्रशासन ने इस योजना को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग किया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शेड निर्माण व सामग्री खरीद कर दी गई है. महिलाओं की आमदनी का सिलसिला यहीं नही रुकता, ये महिलाएं सेनेटरी पैड की बिक्री व वर्मी कंपोस्ट का निर्माण भी कर रही हैं. वर्मी कंपोस्ट के एक टैंक से 55 दिन में करीब 12 हजार की आय होती है.

इसके साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर भी यहां काम शुरू किया जाना है. जिसके तहत गांव में एफएसटीपी प्लांट लगाने की योजना है. इससे लोगों के घरों के सैप्टिक टैंक के मलबे का निपटान किया जा सकेगा. वहीं, महिलाओं की आमदनी बढ़ाने अन्य नवाचार भी किया जाना है. फिलहाल, महिलाओं को स्वच्छाग्राही के रूप से ढाई से तीन हजार महीने का इंसेंटिव दिया जा रहा है.

Last Updated : Sep 16, 2021, 4:01 PM IST
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