सरगुजा: अंबिकापुर का दशहरा शांति और आपसी भाई चारे का संदेश देता है. यहां सालों से मुस्लिम परिवार रावण के पुतले का निर्माण करते हैं. सिर्फ अंबिकापुर ही नहीं बल्कि संभाग के अन्य जिलों व कस्बों में भी रावण मुस्लिम परिवार ही बनाते हैं. बड़ी बात यह है की तीन पीढ़ियों से यह परिवार रावण बना रहा है. Ravana effigies being built by Muslim families
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75 फिट का रावण: शानू कहते हैं "हम लोग तो हर त्योहार होली, दिवाली सब साथ मिलकर मनाते हैं. इसलिए रावण भी बनाते हैं. दादा जी बनाते थे रावण, फिर पिता जी ने शुरू किया अब मैं भी एक दो साल से ये काम कर रहा हूँ. यह रावण 75 फिट ऊंचा बनेगा, मेघनाथ और कुम्भकर्ण 45 - 45 फिट के होंगे". Construction of effigy of Ravana in Ambikapur
शानू खान के पिता जावेद खान ही इस काम को मुख्य रूप से लीड करते हैं. संभाग में विश्रामपुर, बैकुंठपुर व कुशमी जैसे स्थानों पर भी जावेद खान ही रावण निर्माण करा रहे हैं. जावेद वर्तमान में बलरामपुर जिले के कुशमी में रावण बनवा रहे हैं और अम्बिकापुर में देखरेख की जिम्मेदारी अपने बेटे शानू को दे दी है.
देश में एकता का संदेश: देश मे भले ही हिन्दू मुस्लिम के बीच दरारें देखी या बताई जाती हो. लेकिन अंबिकापुर हिंदू और मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक रहा है. यहां मुस्लिम रावण बनाते हैं, मां महामाया का द्वार बनवाने की पहल मुस्लिम पार्षद करते हैं. रामनवमी में भगवान राम की शोभायात्रा में भीड़ को मुस्लिम समाज शरबत और नाश्ता कराता है. मोहर्रम की भीड़ में हिन्दू भाई देखे जाते हैं. इस शहर में अमन और चैन के साथ हिन्दू मुस्लिम रहते हैं. अपने इस तरह के कार्यों से देश में एकता का संदेश देते रहते हैं.